संसदीय मंच || Parliamentary Forums

संसदीय मंच विधानमंडल के भीतर विशेष मंच हैं जो संसद सदस्यों (एमपी) को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विशिष्ट मुद्दों पर गहराई से जुड़ने का अवसर देते हैं। ये मंच सांसदों को नियमित विधायी और निर्वाचन क्षेत्र के काम से परे विषयों पर चर्चा, बहस और सहयोग करने का अवसर प्रदान करते हैं। इन मंचों का प्राथमिक उद्देश्य सांसदों के बीच प्रमुख मुद्दों की समझ को बढ़ाकर और सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाकर क्षमता का निर्माण करना है।

मंच की स्थापना

वर्ष 2005 में पहला संसदीय फोरम जल संरक्षण एवं प्रबंधन पर गठित हुआ इसके सात अन्य फोरम भी गठित किए गए। वर्तमान में 8 संसदीय कार्यरत है-

  • जल संरक्षण एवं प्रबंधन पर संसदीय फोरम (2005)
  • युवाओं पर संसदीय फोरम (2006)
  • बच्चों पर संसदीय फोरम (2006)
  • जनसंख्या एवं जन-स्वास्थ्व पर संसदीय फोरम (2008)
  • भूमंडलय उष्णता एंव जलवायु परिवर्तन पर संसदीय फोरम (2008)
  • आपदा प्रबंधन पर संसदीय फोरम (2011)
  • शिल्पकारों एवं दस्तकारों पर संसदीय फोरम (2013)
  • सहस्त्रब्दि विकास लक्ष्य पर संसदीय फोरम (2013)

मंच के उद्देश्य

संसदीय मंचों (Parliamentary Forums) के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. विशेष मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना: मंच का उद्देश्य सांसदों के बीच महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर जागरूकता और समझ बढ़ाना है, ताकि वे उन पर गहराई से विचार कर सकें।
  2. जानकारी और अनुभव साझा करना: यह मंच सांसदों को विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों, और अन्य हितधारकों के साथ जानकारी और अनुभव साझा करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे वे अपने ज्ञान और समझ को बढ़ा सकें।
  3. विचार-विमर्श और चर्चा: संसदीय मंच विशेष मुद्दों पर विचार-विमर्श और बहस के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे सांसद महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों पर विचार कर सकें और सरकार को सुझाव दे सकें।
  4. सहयोग और समन्वय: मंच का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना है, ताकि महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित किया जा सके।
  5. नीतिगत सिफारिशें तैयार करना: मंच के माध्यम से प्राप्त ज्ञान और चर्चा के आधार पर, सांसद नीतिगत सिफारिशें तैयार कर सकते हैं, जिन्हें सरकार और संबंधित मंत्रालयों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।
  6. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अनुभवों का अध्ययन: मंच अन्य देशों के अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करने और उन्हें अपने देश में लागू करने के तरीके पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करता है।

फोरम का संघटन

संसदीय मंचों (Parliamentary Forums) का संघटन (Composition) और संरचना इस प्रकार होती है:

  1. सदस्यता:
    • संसदीय मंचों में सदस्यता स्वयंसेवी आधार पर होती है। इसका मतलब है कि जो सांसद (सांसदगण) किसी विशेष मुद्दे में रुचि रखते हैं, वे उस मंच का सदस्य बन सकते हैं।
    • सदस्यता दोनों सदनों, अर्थात् लोकसभा और राज्यसभा, के सांसदों के लिए खुली होती है।
  2. अध्यक्ष:
    • प्रत्येक मंच का एक अध्यक्ष होता है, जो आमतौर पर लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा नामित किया जाता है। अध्यक्ष मंच की गतिविधियों का नेतृत्व करता है और इसकी बैठकों की अध्यक्षता करता है।
    • कुछ मामलों में, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया जा सकता है।
  3. सलाहकार समिति:
    • मंचों के पास एक सलाहकार समिति हो सकती है, जिसमें विशेषज्ञ, अकादमिक, और विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर शामिल होते हैं। यह समिति मंच को विशेष मुद्दों पर मार्गदर्शन और विशेषज्ञता प्रदान करती है।
  4. सचिवालय:
    • प्रत्येक मंच के लिए एक सचिवालय होता है, जो उसकी प्रशासनिक और आयोजन संबंधी जरूरतों को पूरा करता है। सचिवालय संसदीय शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (PRIDE) या संबंधित संसदीय विभाग द्वारा सहायता प्राप्त करता है।
  5. विशेषज्ञ एवं अतिथि वक्ता:
    • मंच के कार्यों में विशेषज्ञों और अतिथि वक्ताओं को भी आमंत्रित किया जाता है, जो विभिन्न मुद्दों पर गहन जानकारी और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
  6. कार्यदल:
    • कुछ मंचों में विशिष्ट मुद्दों पर काम करने के लिए छोटे कार्यदल (वर्किंग ग्रुप्स) भी गठित किए जा सकते हैं। ये कार्यदल विषय-विशेष पर गहराई से अध्ययन करते हैं और मंच के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
  7. बैठकें:
    • मंच की नियमित बैठकों का आयोजन किया जाता है, जहाँ सदस्य विषय विशेष पर चर्चा करते हैं और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करते हैं।

फोरम के कार्य

संसदीय मंचों (Parliamentary Forums) के कार्य निम्नलिखित हैं:

  1. विचार-विमर्श और बहस:
    • मंच सांसदों को विशेष मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श और बहस का अवसर प्रदान करता है। यह विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों को सामने लाने का एक मंच है, जिससे सांसद उस विषय पर गहरी समझ विकसित कर सकें।
  2. जागरूकता और ज्ञान संवर्धन:
    • मंचों का एक महत्वपूर्ण कार्य सांसदों के बीच जागरूकता और ज्ञान का संवर्धन करना है। यह विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, और अन्य स्रोतों से जानकारी प्राप्त करने के माध्यम से किया जाता है।
  3. नीतिगत सिफारिशें तैयार करना:
    • विचार-विमर्श और अध्ययन के बाद, मंच द्वारा सरकार और संबंधित मंत्रालयों के लिए नीतिगत सिफारिशें तैयार की जाती हैं। ये सिफारिशें मंच की चर्चा और अध्ययन पर आधारित होती हैं और उन्हें विधायिका के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
  4. विशेषज्ञों से परामर्श:
    • मंच विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और पेशेवरों से परामर्श लेता है। यह विशेषज्ञ मंच के सदस्यों को गहन जानकारी प्रदान करते हैं और उनकी समझ को और भी समृद्ध बनाते हैं।
  5. अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों का अध्ययन:
    • मंच अन्य देशों में लागू सर्वोत्तम प्रथाओं और नीतियों का अध्ययन करता है और यह देखने का प्रयास करता है कि उन अनुभवों को भारत में कैसे लागू किया जा सकता है। यह वैश्विक मानदंडों के साथ तालमेल बिठाने में मदद करता है।
  6. संसदीय प्रश्नों की तैयारी:
    • मंच के सदस्यों द्वारा संसद में उठाए जाने वाले प्रश्नों की तैयारी में मदद की जाती है। ये प्रश्न विशेष मुद्दों पर होते हैं जिन पर मंच ने विचार-विमर्श किया होता है।
  7. कार्यक्रम और संगोष्ठियों का आयोजन:
    • मंच विभिन्न कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, और संगोष्ठियों का आयोजन करता है, जहाँ सांसद और विशेषज्ञ विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। यह सांसदों के लिए सीखने और संवाद का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
  8. रिपोर्ट्स और प्रकाशनों का निर्माण:
    • मंच अपने विचार-विमर्श और सिफारिशों पर आधारित रिपोर्ट्स और प्रकाशनों का निर्माण करता है, जो सांसदों और अन्य हितधारकों के लिए उपयोगी होते हैं।

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