ओडिशा का राजव्यवस्था और इतिहास-मुख्यमंत्री – गवर्नर – भौगोलिक स्थिति-कुछ महत्वपूर्ण बिंदु || Polity and History of Odisha – Chief Minister – Governor – Geographical Location – Some Important Points

ओडिशा भारत का एक पूर्वी राज्य है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, आदिवासी परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसकी राजधानी भुवनेश्वर है, और राज्य का सबसे बड़ा शहर कटक है। ओडिशा का इतिहास, समुद्री व्यापार और कला में महत्वपूर्ण रहा है, खासकर प्राचीन काल में कलिंग साम्राज्य के दौरान।

  • राजधानी: भुवनेश्वर
  • मुख्यमंत्री– नवीन पटनायक
  • गवर्नर – प्रो. गणेशी लाल
  • लोकसभा सीटें – 21
  • राज्यसभा सीटें – 10
  • विधानसभा सीटें – 147
  • जिलें -30
  • आधिकारिक भाषा: ओड़िया
  • स्थापना: 1 April 1936
  • साक्षरता दर:
  • त्योहार: रथयात्रा,श्री नृसिंह चतुर्दशी
  • राजकीय पशु – ‘सांभर’
  • राजकीय पक्षी – ‘इंडियन राेलर’ 
  •  क्षेत्रफल – 155,707 वर्ग किमी
  • राजकीय फूल – ‘अशोक’ 
  • लिंगानुपात – 979
  • राजकीय नृत्य ओड़िसी
  • उच्च न्यायालय : ओड़िशा
  • वन एवं राष्ट्रीय उद्यान :
  • पड़ोसी राज्य : पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश
  • प्रमुख नदियाँ: महानदी, ब्राह्मणी, और बैतरणी
  • प्रसिद्ध स्थान: पुरी का जगन्नाथ मंदिर, कोणार्क का सूर्य मंदिर, और चिल्का झील

राजव्यवस्था:

ओडिशा की शासन प्रणाली भारतीय संविधान के तहत कार्य करती है। यह एक संवैधानिक लोकतंत्र है, जहाँ सरकार तीन प्रमुख शाखाओं में विभाजित होती है: कार्यपालिका, न्यायपालिका, और विधायिका।

  • राज्यपाल: ओडिशा के राज्य का प्रमुख राज्यपाल होता है, जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। वर्तमान में (2024 के अनुसार) प्रो. गणेशी लाल ओडिशा के राज्यपाल हैं।
  • मुख्यमंत्री: ओडिशा की कार्यकारी शक्ति राज्य के मुख्यमंत्री में निहित होती है। मुख्यमंत्री राज्य की सबसे बड़ी कार्यकारी शक्ति होते हैं और राज्य मंत्रिपरिषद का नेतृत्व करते हैं। वर्तमान में (2024 के अनुसार) नवीन पटनायक ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं, जो 2000 से इस पद पर बने हुए हैं और राज्य के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री हैं।
  • विधानसभा: ओडिशा में एक एकसदनीय विधायिका है, जिसे ओडिशा विधान सभा कहा जाता है। विधानसभा में 147 सदस्य होते हैं, जिन्हें सीधे जनता द्वारा चुना जाता है।
  • न्यायपालिका: ओडिशा की न्यायपालिका का शीर्ष निकाय उच्च न्यायालय है, जो कटक में स्थित है। उच्च न्यायालय के न्यायधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

2. ओडिशा का इतिहास:

ओडिशा का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध है, जिसमें कई प्रमुख घटनाएँ और राजवंश शामिल हैं:

  • प्राचीन काल: ओडिशा का प्राचीन नाम कलिंग था। यह क्षेत्र वैदिक काल से ही महत्वपूर्ण रहा है। ओडिशा की सबसे पुरानी सभ्यता में वैदिक और बौद्ध संस्कृति का प्रभाव देखा जा सकता है। कलिंग का उल्लेख महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।
  • कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व): ओडिशा का इतिहास सम्राट अशोक के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। 261 ईसा पूर्व में हुए कलिंग युद्ध में अशोक की सेना ने कलिंग राज्य को पराजित किया, लेकिन इस युद्ध की भीषणता ने अशोक को गहरे पश्चाताप में डाल दिया और वह बौद्ध धर्म अपना कर शांति का प्रचार करने लगे। यह युद्ध ओडिशा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
  • गजपति राजवंश: मध्यकाल में ओडिशा पर गजपति राजवंश का शासन रहा। गजपति राजाओं ने 15वीं शताब्दी में ओडिशा के सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके शासनकाल में ओडिशा एक शक्तिशाली राज्य था, जिसने बंगाल से लेकर आंध्र प्रदेश तक के क्षेत्रों पर शासन किया।
  • मुगल और मराठा शासन: 16वीं शताब्दी में मुगलों ने ओडिशा पर आक्रमण किया और इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया। बाद में मराठों ने 18वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर नियंत्रण किया।
  • ब्रिटिश शासन: 1803 में अंग्रेजों ने ओडिशा पर अधिकार कर लिया और इसे ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना दिया। औपनिवेशिक काल में ओडिशा का सामाजिक और आर्थिक विकास बहुत धीमा रहा, और यह क्षेत्र गरीबी और अकाल से जूझता रहा।
  • ओडिशा का गठन: ओडिशा 1 अप्रैल 1936 को ब्रिटिश भारत के दौरान एक अलग राज्य के रूप में गठित हुआ। यह भारत का पहला राज्य था जिसे भाषाई आधार पर बनाया गया था। पहले इसे “उड़ीसा” के नाम से जाना जाता था, जिसे 2011 में बदलकर “ओडिशा” कर दिया गया।
  • आधुनिक युग: स्वतंत्रता के बाद, ओडिशा का राजनीतिक और सामाजिक विकास तेजी से हुआ। राज्य में प्रमुख राजनेताओं का उदय हुआ और वर्तमान समय में ओडिशा की राजनीति में नवीन पटनायक का महत्वपूर्ण प्रभाव है।

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