राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग क्या है और उसके प्रमुख कार्य || What is National Human Rights Commission and its main functions


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भारत में मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन के लिए स्थापित एक स्वतंत्र निकाय है। इसकी स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को की गई थी, जिसे मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत बनाया गया है। आयोग का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना, उनके उल्लंघन की जांच करना और उनके संरक्षण के लिए सुझाव देना है।

स्थापना का इतिहास और पृष्ठभूमि

  1. आवश्यकता और पृष्ठभूमि:
    • 20वीं सदी के उत्तरार्ध में, भारत में मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों में वृद्धि हुई। इसने एक स्वतंत्र निकाय की आवश्यकता को जन्म दिया जो मानवाधिकारों की रक्षा कर सके और उनके उल्लंघनों की जांच कर सके।
    • वैश्विक स्तर पर, मानवाधिकारों की सुरक्षा पर ध्यान बढ़ा। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार घोषणापत्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संधियों के तहत मानवाधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया गया।
  2. मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993:
    • 28 सितंबर 1993 को भारतीय संसद ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम पारित किया। यह अधिनियम 12 अक्टूबर 1993 से लागू हुआ, जिससे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।

आयोग की स्थापना और प्रारंभिक संरचना

  1. आयोग का गठन:
    • आयोग का गठन 12 अक्टूबर 1993 को हुआ। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
    • आयोग में एक अध्यक्ष और चार पूर्णकालिक सदस्य होते हैं, जिनमें से एक सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होते हैं। इसके अलावा, आयोग में चार से अधिक अंशकालिक सदस्य होते हैं।
  2. प्रथम अध्यक्ष:
    • न्यायमूर्ति रगुनाथन मिश्र (Justice Ranganath Misra) आयोग के पहले अध्यक्ष थे। वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश थे।

आयोग की भूमिका और अधिकार

  1. मानवाधिकारों की सुरक्षा:
    • मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करना और उचित कार्रवाई करना।
    • सरकार को मानवाधिकार संरक्षण के लिए सुझाव देना और उनकी सिफारिशों के अनुपालन की निगरानी करना।
  2. शिक्षा और जागरूकता:
    • मानवाधिकार शिक्षा और जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम और कार्यशालाएँ आयोजित करना।
    • मानवाधिकार मुद्दों पर अनुसंधान और अध्ययन करना।
  3. विविध कार्य:
    • जेलों और अन्य संस्थानों का निरीक्षण करना और वहां के मानवाधिकार स्थितियों का मूल्यांकन करना।
    • मानवाधिकारों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर रिपोर्ट और प्रकाशन जारी करना।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना भारत में मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम थी। मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत गठित यह आयोग देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने और उनके संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है। आयोग के द्वारा किए गए कार्य और उनकी सिफारिशें मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आयोग की संरचना

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की संरचना को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम कर सके। आयोग के सदस्य विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं, जिनमें न्यायपालिका, प्रशासन और मानवाधिकार विशेषज्ञ शामिल होते हैं। यहाँ NHRC की संरचना के मुख्य तत्वों का विवरण दिया गया है:

1. अध्यक्ष

  • पद और चयन: अध्यक्ष भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होते हैं। अध्यक्ष का चयन एक उच्च स्तरीय चयन समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा के स्पीकर, राज्यसभा के उपाध्यक्ष, और विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।

2. सदस्य

  • न्यायिक सदस्य: आयोग में एक न्यायिक सदस्य होता है, जो सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है।
  • सेवानिवृत्त न्यायाधीश: एक सदस्य किसी उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होता है।
  • अन्य सदस्य: अन्य दो सदस्य मानवाधिकारों के क्षेत्र में ज्ञान और अनुभव रखने वाले व्यक्ति होते हैं।

3. अंशकालिक सदस्य

  • आयोग में चार अंशकालिक सदस्य होते हैं, जो मानवाधिकारों के क्षेत्र में प्रतिष्ठित होते हैं। इनमें से कम से कम एक महिला सदस्य होनी चाहिए।

4. पूर्व पदाधिकारी (Ex-officio members)

  • आयोग में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes), राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes), राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women), और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities) के अध्यक्ष पूर्व पदाधिकारी के रूप में शामिल होते हैं।

5. सचिवालय

  • महासचिव: आयोग का संचालन और प्रबंधन करने के लिए एक महासचिव होता है, जो प्रशासनिक और वित्तीय मामलों का प्रभारी होता है।
  • अन्य अधिकारी और कर्मचारी: आयोग के सुचारु कार्य के लिए विभिन्न प्रशासनिक, कानूनी, अनुसंधान और तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति की जाती है।

6. विशेषज्ञ समितियाँ और सेल

  • विशेषज्ञ समितियाँ: आयोग समय-समय पर विभिन्न मानवाधिकार मुद्दों पर सलाह और सुझाव देने के लिए विशेषज्ञ समितियाँ गठित करता है।
  • सेल और प्रभाग: आयोग में विभिन्न प्रभाग और सेल होते हैं, जैसे अनुसंधान प्रभाग, जांच प्रभाग, मानवाधिकार शिक्षा प्रभाग आदि।

7. क्षेत्रीय कार्यालय

  • क्षेत्रीय कार्यालय: आयोग के पास विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जो स्थानीय स्तर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतें प्राप्त करते हैं और उनकी जांच करते हैं।

आयोग के कार्य


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के कार्य मुख्यतः मानवाधिकारों की सुरक्षा, संवर्धन और उल्लंघनों की जांच के इर्द-गिर्द घूमते हैं। यहाँ NHRC के प्रमुख कार्यों का विस्तृत विवरण दिया गया है:

1. मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच और सुनवाई

  • शिकायतें प्राप्त करना: आयोग किसी भी व्यक्ति, समूह या संस्था द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में शिकायतें प्राप्त करता है। ये शिकायतें डाक, ई-मेल, फैक्स या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं।
  • प्रारंभिक जांच: शिकायत प्राप्त होने के बाद, आयोग प्रारंभिक जांच करता है। यदि शिकायत में प्रथम दृष्टया मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला बनता है, तो आयोग मामले को आगे की जांच के लिए स्वीकार करता है।
  • गहराई से जांच: आयोग स्वयं या राज्य मानवाधिकार आयोगों के माध्यम से जांच कर सकता है। इसमें दस्तावेजों की समीक्षा, गवाहों के बयान, और निरीक्षण शामिल होते हैं।

2. स्वतः संज्ञान लेना (Suo Moto Cognizance)

  • स्वतः संज्ञान: आयोग स्वतः संज्ञान लेकर भी मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच कर सकता है। इसका मतलब है कि अगर आयोग को किसी घटना या परिस्थिति के बारे में पता चलता है जो मानवाधिकारों के उल्लंघन का संकेत देती है, तो वह स्वयं ही उस मामले की जांच शुरू कर सकता है।

3. निरीक्षण और मूल्यांकन

  • संस्थानों का निरीक्षण: आयोग जेलों, सुधार गृहों, पुलिस थानों, और अन्य संस्थाओं का निरीक्षण करता है जहां मानवाधिकार उल्लंघन की संभावना हो सकती है।
  • मानवाधिकार स्थिति का मूल्यांकन: विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकारों की स्थिति का मूल्यांकन करना और आवश्यक सुधार के सुझाव देना।

4. सिफारिशें और सुझाव

  • सरकार को सिफारिशें: आयोग जांच के बाद रिपोर्ट तैयार करता है और सरकार को सिफारिशें भेजता है। इसमें आवश्यक सुधार और कार्रवाई के सुझाव शामिल होते हैं।
  • मानवाधिकार नीतियाँ: आयोग मानवाधिकार नीतियों और कानूनों में सुधार के लिए भी सुझाव देता है।

5. मानवाधिकार शिक्षा और जागरूकता

  • शिक्षा कार्यक्रम: आयोग मानवाधिकार शिक्षा और जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है। इसमें संगोष्ठी, कार्यशाला और सेमिनार शामिल हैं।
  • प्रकाशन और रिपोर्ट: आयोग मानवाधिकारों से संबंधित विभिन्न रिपोर्ट, अध्ययन और प्रकाशन जारी करता है।

6. मॉनिटरिंग और अनुपालन

  • अनुपालन की निगरानी: आयोग द्वारा दी गई सिफारिशों और सुझावों के अनुपालन की निगरानी करता है और आवश्यकतानुसार सरकार को रिमाइंडर भेजता है।
  • पुनरीक्षण और मूल्यांकन: आयोग समय-समय पर अपनी कार्यप्रणाली और नीतियों का पुनरीक्षण करता है और उनमें सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाता है।

7. अन्य महत्वपूर्ण कार्य

  • विशेषज्ञ समितियाँ: आयोग विभिन्न मुद्दों पर विशेषज्ञ समितियाँ गठित करता है जो विशेष मामलों पर गहराई से अध्ययन और सुझाव प्रदान करती हैं।
  • सहयोग और समन्वय: आयोग राज्य मानवाधिकार आयोगों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के साथ सहयोग और समन्वय करता है।

आयोग की कार्यप्रणाली

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की कार्यप्रणाली का उद्देश्य भारत में मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन करना है। आयोग की कार्यप्रणाली निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर आधारित है:

1. शिकायतों का पंजीकरण और जांच

  • शिकायतें प्राप्त करना: आयोग को किसी भी व्यक्ति, समूह या संगठन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में शिकायतें प्राप्त होती हैं। ये शिकायतें डाक, ई-मेल, फैक्स या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं।
  • प्रारंभिक जांच: शिकायत प्राप्त होने के बाद, आयोग प्रारंभिक जांच करता है। यदि शिकायत में प्रथम दृष्टया मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला बनता है, तो आयोग मामले को आगे की जांच के लिए स्वीकार करता है।
  • गहराई से जांच: आयोग स्वयं या राज्य मानवाधिकार आयोगों के माध्यम से जांच कर सकता है। इसमें दस्तावेजों की समीक्षा, गवाहों के बयान, और निरीक्षण शामिल होते हैं।

2. स्वतंत्र जाँच और कार्रवाई

  • स्वतः संज्ञान लेना: आयोग अपनी ओर से भी किसी महत्वपूर्ण घटना या व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में स्वतः संज्ञान ले सकता है।
  • निरीक्षण और मूल्यांकन: आयोग विभिन्न संस्थाओं जैसे जेल, पुलिस स्टेशन, बाल गृह आदि का निरीक्षण करता है और वहां की स्थिति का मूल्यांकन करता है।

3. सिफारिशें और सुझाव

  • सरकार को सिफारिशें: आयोग जांच के बाद रिपोर्ट तैयार करता है और सरकार को सिफारिशें भेजता है। इसमें आवश्यक सुधार और कार्रवाई के सुझाव शामिल होते हैं।
  • मानवाधिकार नीतियाँ: आयोग सरकार को मानवाधिकार नीतियों और कानूनों में सुधार के लिए भी सुझाव देता है।

4. शिक्षा और जागरूकता

  • शिक्षा कार्यक्रम: आयोग मानवाधिकार शिक्षा और जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है। इसमें संगोष्ठी, कार्यशाला और सेमिनार शामिल हैं।
  • प्रकाशन और रिपोर्ट: आयोग मानवाधिकारों से संबंधित विभिन्न रिपोर्ट, अध्ययन और प्रकाशन जारी करता है।

5. मॉनिटरिंग और अनुपालन

  • अनुपालन की निगरानी: आयोग द्वारा दी गई सिफारिशों और सुझावों के अनुपालन की निगरानी करता है और आवश्यकतानुसार सरकार को रिमाइंडर भेजता है।
  • पुनरीक्षण और मूल्यांकन: आयोग समय-समय पर अपनी कार्यप्रणाली और नीतियों का पुनरीक्षण करता है और उनमें सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाता है।

6. अन्य महत्वपूर्ण कार्य

  • विशेषज्ञ समितियाँ: आयोग विभिन्न मुद्दों पर विशेषज्ञ समितियाँ गठित करता है जो विशेष मामलों पर गहराई से अध्ययन और सुझाव प्रदान करती हैं।
  • सहयोग और समन्वय: आयोग राज्य मानवाधिकार आयोगों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के साथ सहयोग और समन्वय करता है।

आयोग की भूमिका आयोग का कार्य निष्पादन

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की भूमिका और कार्य निष्पादन का मुख्य उद्देश्य भारत में मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन करना है। आयोग विभिन्न माध्यमों से मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करता है, सुधारात्मक उपाय सुझाता है, और मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। नीचे NHRC की भूमिका और उसके कार्य निष्पादन का विस्तृत विवरण दिया गया है:

आयोग की भूमिका

  1. मानवाधिकारों की सुरक्षा:
    • मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच और समीक्षा।
    • पीड़ितों को न्याय और मुआवजा दिलाने में सहायता।
  2. संवर्धन और संरक्षण:
    • मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना।
    • शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
  3. सरकारी नीतियों का मूल्यांकन:
    • मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सरकारी नीतियों और योजनाओं का मूल्यांकन।
    • सरकार को सुधारात्मक सुझाव देना।
  4. निगरानी और निरीक्षण:
    • जेलों, सुधार गृहों, पुलिस थानों, और अन्य संस्थानों का निरीक्षण।
    • मानवाधिकारों के अनुपालन की निगरानी करना।

आयोग का कार्य निष्पादन

1. शिकायतों का निपटान

  • शिकायतों की प्राप्ति: NHRC को मानवाधिकार उल्लंघनों के बारे में शिकायतें प्राप्त होती हैं, जो डाक, ई-मेल, फैक्स या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं।
  • जांच प्रक्रिया:
    • प्रारंभिक जांच: शिकायत की प्राथमिक जांच की जाती है।
    • गहराई से जांच: प्रथम दृष्टया मामला सही पाए जाने पर विस्तृत जांच होती है।
    • रिपोर्ट तैयार करना: जांच पूरी होने पर रिपोर्ट तैयार की जाती है।
  • सिफारिशें और कार्रवाई:
    • आयोग दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करता है।
    • पीड़ितों को मुआवजा देने की सिफारिश करता है।
    • सरकार को आवश्यक सुधार के सुझाव देता है।

2. स्वतः संज्ञान लेना

  • स्वतः संज्ञान: NHRC किसी घटना या मानवाधिकार उल्लंघन की रिपोर्ट पर स्वयं संज्ञान ले सकता है और जांच शुरू कर सकता है।
  • विशेष जांच दल: विशेष मामलों में, आयोग विशेष जांच दल गठित कर सकता है।

3. शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम

  • शिक्षा कार्यक्रम: मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए संगोष्ठी, कार्यशाला, और सेमिनार आयोजित करना।
  • प्रकाशन और रिपोर्ट:
    • मानवाधिकारों पर रिपोर्ट, अध्ययन, और प्रकाशन जारी करना।
    • मानवाधिकार मुद्दों पर जानकारी प्रसारित करना।

4. संस्थानों का निरीक्षण और मूल्यांकन

  • निरीक्षण: जेलों, सुधार गृहों, पुलिस थानों, और अन्य संस्थानों का नियमित निरीक्षण।
  • मूल्यांकन: मानवाधिकारों की स्थिति का मूल्यांकन करना और सुधार के लिए सिफारिशें देना।

5. अन्य कार्य

  • विशेषज्ञ समितियाँ: विभिन्न मानवाधिकार मुद्दों पर विशेषज्ञ समितियाँ गठित करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के साथ समन्वय और सहयोग करना।
  • संसदीय समितियों के साथ समन्वय: मानवाधिकार से संबंधित संसदीय समितियों के साथ मिलकर काम करना

राष्ट्रीय मानवधिकार आयोगः एक नजर

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भारत में मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए एक स्वतंत्र निकाय है। इसकी स्थापना और कार्यप्रणाली के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर डालते हैं:

1. स्थापना

  • स्थापना का वर्ष: 12 अक्टूबर 1993
  • अधिनियम: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत
  • मुख्यालय: नई दिल्ली, भारत

2. संरचना

  • अध्यक्ष: सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
  • सदस्य:
    • एक सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश
    • एक उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
    • मानवाधिकारों के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले दो सदस्य
    • चार अंशकालिक सदस्य
  • पूर्व पदाधिकारी सदस्य: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष

3. मुख्य कार्य और भूमिका

  • मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच:
    • शिकायतों की प्राप्ति और जांच
    • स्वतः संज्ञान लेकर मामले की जांच
  • सिफारिशें और सुधार:
    • सरकार को उल्लंघनों के सुधार और मुआवजे के लिए सिफारिशें देना
    • मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए नीतिगत सुझाव
  • शिक्षा और जागरूकता:
    • मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना
    • शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना
  • निरीक्षण और मूल्यांकन:
    • जेलों, सुधार गृहों, और अन्य संस्थानों का निरीक्षण
    • मानवाधिकारों की स्थिति का मूल्यांकन
  • अन्य कार्य:
    • विशेषज्ञ समितियों का गठन
    • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के साथ सहयोग

4. कार्य निष्पादन

  • शिकायतों का निपटान:
    • शिकायतें डाक, ई-मेल, फैक्स या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्राप्त होती हैं
    • प्रारंभिक और गहन जांच
    • दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश और पीड़ितों को मुआवजा दिलाना
  • स्वतः संज्ञान लेना:
    • किसी घटना या रिपोर्ट पर स्वयं संज्ञान लेकर जांच शुरू करना
    • विशेष जांच दल गठित करना
  • शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम:
    • संगोष्ठी, कार्यशाला, और सेमिनार का आयोजन
    • मानवाधिकारों पर रिपोर्ट, अध्ययन, और प्रकाशन जारी करना
  • संस्थानों का निरीक्षण और मूल्यांकन:
    • नियमित निरीक्षण
    • मानवाधिकारों की स्थिति का मूल्यांकन और सुधार के लिए सिफारिशें

5. महत्वपूर्ण बिंदु

  • स्वतंत्रता: NHRC एक स्वतंत्र निकाय है, जो बिना किसी बाहरी दबाव के कार्य करता है।
  • संविधान और कानूनों का पालन: आयोग का कार्यभार संविधान और मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत निर्धारित होता है।
  • सहयोग: राज्य मानवाधिकार आयोगों और अन्य राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है। इसके विभिन्न कार्य, जैसे शिकायतों की जांच, स्वतः संज्ञान लेना, शिक्षा और जागरूकता फैलाना, और संस्थानों का निरीक्षण, यह सुनिश्चित करते हैं कि मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो और पीड़ितों को न्याय मिले। NHRC का कार्यभार और संरचना इसे एक स्वतंत्र और प्रभावी निकाय बनाते हैं, जो मानवाधिकारों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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