ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में कई महत्वपूर्ण अधिनियम, योजनाएँ और प्रस्ताव पारित किए गए, जिनका प्रभाव भारत के प्रशासन, अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ा। यहाँ कुछ प्रमुख अधिनियम और योजनाएँ दी गई हैं:
1. प्रशासनिक एवं राजनीतिक अधिनियम
(i) रेगुलेटिंग एक्ट, 1773
- ब्रिटिश सरकार द्वारा पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रशासन पर नियंत्रण।
- बंगाल के गवर्नर को “गवर्नर-जनरल” का दर्जा (वॉरेन हेस्टिंग्स पहले गवर्नर-जनरल बने)।

(ii) पिट्स इंडिया एक्ट, 1784
- ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश सरकार के बीच सत्ता का विभाजन।
- भारत मामलों के लिए “बोर्ड ऑफ कंट्रोल” की स्थापना।
(iii) चार्टर एक्ट, 1813
- कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त किया गया, केवल चाय और चीन व्यापार पर अधिकार बना रहा।
- ईसाई मिशनरियों को भारत में धर्म प्रचार की अनुमति।
(iv) चार्टर एक्ट, 1833
- कंपनी के व्यापारिक अधिकार पूरी तरह समाप्त।
- गवर्नर-जनरल ऑफ बंगाल को “गवर्नर-जनरल ऑफ इंडिया” बनाया गया (लॉर्ड विलियम बेंटिक पहले बने)।
(v) चार्टर एक्ट, 1853
- पहली बार भारत में लोक सेवा आयोग (Covenanted Civil Services) की परीक्षा की शुरुआत।
(vi) भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
- ब्रिटिश वायसराय की कार्यकारिणी में भारतीयों को शामिल करने की शुरुआत।
- प्रांतीय सरकारों को विधायी शक्तियाँ दी गईं।
(vii) भारतीय परिषद अधिनियम, 1892
- विधान परिषदों में सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई।
- पहली बार “अप्रत्यक्ष चुनाव” की अनुमति दी गई।
(viii) भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मॉर्ले-मिन्टो सुधार)
- पहली बार मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली लागू।
- विधान परिषदों में गैर-सरकारी सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई।
(ix) भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)
- “द्वैध शासन” की शुरुआत (प्रांतीय स्तर पर प्रशासन दो भागों में विभाजित)।
- केंद्रीय और प्रांतीय व्यवस्थाओं में सुधार।
(x) भारत सरकार अधिनियम, 1935
- भारत में “संघीय शासन” की अवधारणा।
- प्रांतीय स्वायत्तता दी गई।
- अखिल भारतीय संघ की स्थापना की योजना बनाई गई (लेकिन लागू नहीं हुई)।
(xi) भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947
- भारत और पाकिस्तान के विभाजन की घोषणा।
- ब्रिटिश शासन का अंत और भारत की स्वतंत्रता।
2. आर्थिक एवं सामाजिक अधिनियम
(i) स्थायी बंदोबस्त, 1793
- लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा लागू किया गया, जिसमें ज़मींदारों को स्थायी रूप से भू-राजस्व निर्धारित कर दिया गया।
(ii) रैयतवारी व्यवस्था, 1820
- मद्रास और बॉम्बे में लागू, जिसमें किसानों को सीधे सरकार से भूमि का अधिकार दिया गया।
(iii) महलवारी व्यवस्था, 1833
- उत्तर-पश्चिमी प्रांत, पंजाब, और अवध में लागू, जहाँ गाँव प्रमुखों को कर संग्रह की जिम्मेदारी दी गई।
(iv) सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1904
- किसानों और कारीगरों को ऋण देने के लिए सहकारी समितियों की स्थापना।
3. प्रमुख योजनाएँ और प्रस्ताव
(i) वुड डिस्पैच, 1854
- भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की नींव।
- प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा का विभाजन।
- विश्वविद्यालयों की स्थापना (कलकत्ता, बंबई, मद्रास)।
(ii) शिमला प्रस्ताव, 1945
- मुस्लिम लीग द्वारा मुसलमानों के लिए अलग प्रतिनिधित्व की माँग।
(iii) कैबिनेट मिशन योजना, 1946
- भारत के लिए संविधान निर्माण की योजना।
- भारत को तीन समूहों (A, B, C) में बाँटने का सुझाव।
(iv) माउंटबेटन योजना, 1947
- भारत और पाकिस्तान के विभाजन की योजना।
- भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने की प्रक्रिया तय की गई।
(v) साइमन कमीशन, 1927
- भारत और पाकिस्तान के विभाजन की योजना।
- भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने की प्रक्रिया तय की गई।
(iv) माउंटबेटन योजना, 1947
- लॉर्ड इरविन
- संविधान निर्माण योजना।
(vi) शारदा एक्ट, 1930
- लॉर्ड इरविन।
- विवाह की आयु न्यूनतम का निर्धारण लड़कों के लिए 18 वर्ष एवं लड़कियों के लिए 14 वर्ष।
(vii) अगस्त घोषणा प्रस्ताव, 1940
- लिनलिथगो।
- प्रादेशिक स्वशासन।
(viii) क्रिप्स मिशन प्रस्ताव, 1942
- लिनलिथगो।
- संविधान सभा की योजना।
(ix) वेवेल योजना, 1945
- लॉर्ड वेवेल।
- सभी दलों को मिलाकर परिषद् निर्माण।
(x) हिन्दू विधवा पूनर्विवाह अधिनियम, 1856
- लॉर्ड डलहौजी।
- विधवा विवाह का मान्याता।
ये अधिनियम, योजनाएँ और प्रस्ताव ब्रिटिश भारत के प्रशासन, सामाजिक और आर्थिक ढाँचे को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव डालते रहे।
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