प्राचीन भारत में स्थापत्य कला || Architecture in ancient India

प्राचीन भारत में स्थापत्य कला (Architecture) अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण रही है। इसका विकास विभिन्न कालों में धार्मिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक प्रभावों के अधीन हुआ। इस कला ने मंदिरों, स्तूपों, गुफाओं, महलों, दुर्गों और नगर नियोजन में उत्कृष्टता प्राप्त की। यहाँ प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला के प्रमुख पहलुओं का वर्णन है:


1. सिंधु घाटी सभ्यता (3300–1300 ई.पू.)

  • शहरों का नियोजन: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगर योजनाबद्ध थे, जिनमें चौड़ी सड़कों और ईंट से बने मकान शामिल थे।
  • जल निकासी व्यवस्था: उन्नत जल निकासी प्रणाली और स्नानागार, जैसे कि महान स्नानागार (Great Bath), अद्भुत वास्तु कौशल दर्शाते हैं।
  • इमारतों के प्रकार: घरों के साथ-साथ गोदाम, कुंए और दुर्ग भी बनाए गए थे।

2. बौद्ध स्थापत्य कला (6ठी सदी ई.पू. – 5वीं सदी ईस्वी)

  • स्तूप: बुद्ध के अवशेषों को रखने के लिए स्तूप बनाए गए। सांची स्तूप इसका प्रमुख उदाहरण है, जो कला और धर्म का उत्कृष्ट संगम है।
  • गुफा मंदिर: बौद्ध भिक्षुओं के लिए चट्टानों को काटकर विहार (मठ) और चैत्य (पूजा स्थल) बनाए गए। अजंता और एलोरा गुफाएं इस कला की पराकाष्ठा हैं।
  • अशोक स्तंभ: सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए स्तंभ, जैसे कि सारनाथ का सिंह स्तंभ, शिल्पकला और शासकीय शक्ति का प्रतीक हैं।

3. हिंदू स्थापत्य कला (गुप्त और उत्तरवर्ती काल)

  • नागर शैली (उत्तर भारत): इसमें शिखरदार मंदिर बनाए जाते थे। खजुराहो के मंदिर और कोणार्क का सूर्य मंदिर इसके सुंदर उदाहरण हैं।
  • द्रविड़ शैली (दक्षिण भारत): मंदिरों के गोपुरम (प्रवेश द्वार) और विस्तृत प्रांगण विशेषता हैं। मीनाक्षी मंदिर और बृहदेश्वर मंदिर प्रसिद्ध हैं।
  • वेसर शैली (मध्य भारत): नागर और द्रविड़ शैलियों का मिश्रण। कर्नाटक में बने होयसलेश्वर मंदिर इसका उदाहरण है।

4. मौर्य और गुप्तकालीन स्थापत्य

  • मौर्य काल (322–185 ई.पू.): इस काल में राजसी महल और स्तंभों का निर्माण हुआ। अशोक के स्तंभ स्थापत्य के सुंदर नमूने हैं।
  • गुप्त काल (4–6वीं सदी): इसे स्वर्णयुग कहा जाता है। इस समय मंदिर निर्माण में ईंट और पत्थर का उपयोग बढ़ा। उड़ीसा के देउल मंदिर और मध्य प्रदेश के विष्णु मंदिर महत्वपूर्ण हैं।

5. गुफा स्थापत्य

  • अजंता और एलोरा: चट्टानों को काटकर बनाए गए गुफा मंदिर, जिनमें बुद्ध, हिंदू देवी-देवता, और जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां उकेरी गई हैं।
  • एलीफेंटा गुफाएं: यहाँ शिव के विभिन्न रूपों का चित्रण किया गया है।

6. राजमहल और किलों का निर्माण

  • महाजनपद और मौर्य काल से लेकर मध्यकाल तक भारत में दुर्ग और महलों का निर्माण जारी रहा।
  • राजस्थान के चित्तौड़गढ़ और कुम्भलगढ़ के किले और दक्षिण के गोलकुंडा का किला स्थापत्य कला के सुंदर उदाहरण हैं।

7. विशिष्ट विशेषताएं

  • शिल्पकला का प्रयोग: प्राचीन भारतीय मंदिरों और गुफाओं में मूर्तिकला का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मंदिरों की दीवारें देवी-देवताओं, नृत्य, संगीत, और कथाओं से सजाई जाती थीं।
  • समरूपता और प्रतीकवाद: वास्तु शास्त्र और ज्यामिति का उपयोग करके मंदिरों को इस तरह डिजाइन किया गया कि वे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक बन सकें।

प्राचीन भारत की स्थापत्य कला के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  • खजुराहो का मातंगेश्वर मंदिर शिव देवता को समर्पित है।
  • सौ से अधिक बौद्ध गुफाएँ कन्हेरी महाराष्ट्र में स्थित है।
  • पालिताणा मंदिर भावनगर में अवस्थित है।
  • त्रिमूर्ति के नाम से एलिफैंटा का गुफा विख्यात है।
  • खजुराहो के मंदिर हिंदू एवं जैन धर्म से सम्बंधित हैंऔर इनका निर्माण चंदेल शासको ने करवाया था।
  • एलोरा की प्रसिद्ध शैलकृत मंदिर व गुफाए हिंदू बौद्ध एव जैन धर्म से सम्बंधित है।
  • पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल देश में स्थित है।
  • बौद्ध गुफा मंदिरांे का निमार्ण अजंता सबसे प्रसिद्ध है।
  • एलोरा गुफाओ का निर्माण राष्ट्रकूटों शासको ने करवाया था।
  • प््रसिद्ध नेमिषारण्य तीर्थ सीतापूर जनपद में स्थित है।
  • शैलकृत मंदिर स्थापत्य का आश्चर्य कैलाश मंदिर को माना जाता है।
  • एलीफैंटा के शैलकृत मंदिरों केा स्थापित करने का श्रेय राष्ट्रकूट शासकों को दिया जाता है। यहाँ की गुफाएँ शैव धर्म से सम्बंधित है।
  • एलोरा के प्रसिद्ध शिव मंदिर का निर्माण कृष्णा प्रथम ने करवाया था।
  • अंकोरवाट का विष्णु मंदिर कंबोडिया में स्थित है।
  • जैन धर्म को राष्ट्रकूट का संरक्षण प्राप्त हूआ था।
  • कोणार्क, सूर्य मंदिर का निर्माण नरसिंह देव वर्मन ने करवाया था।
  • काला पैगोडा के नाम से कोणार्क का सूर्य मंदिर को जाना जाता है।
  • मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर गुजरात राज्य में स्थित है।
  • भुवनेश्वर तथा पूरी मंदिर का निर्माण नागर शौली में हुआ था।
  • जगन्नाथ मंदिर ओडिशा राज्य में स्थित है।
  • द्रविड शैली के मंदिरो में गोपुरम का तात्पर्य तोरण के उपर बने अलंकृत एवं बहुमंजिला भवन से है।
  • ओडिशा के भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर वहाँ के नष्ट हुए मंदिरो मे सर्वाधिक बढा और सबसे उंचा मंदिर है।
  • चट्टानों केा काटकर महाबलीपुरम का मंदिर पल्लव द्वारा बनवाया गया ।
  • प्राचीन नगर तक्षशिला सिंधु तथा झेलम ो नदियों के मध्य स्थित था।
  • ऐतिहासिक दिगंबर जैन तीर्थस्थल सोनगिरी मध्य प्रदेश मेे स्थित हैं।
  • प््रसिद्ध विरूपाक्ष मंदिर हम्पी में स्थित है।
  • आदि शंकराचार्य ने ज्योतिर्मठ उतराखण्ड शारदा मठ द्वारका गोवर्धन मठ पुरी एवं वेदांत मठ श्रृगेरी में स्थापना किया था।
  • भारत के संास्कृतिक इतिहास के सन्दर्भ में पंचायतन शब्द मंदिर रचना शैली को निर्दिष्ट करता है।
  • गंगैकोण्डचोलपुरम् के मंदिर का निर्माण राजेन्द्र चोल ने करवाया था।
  • राजराज चोल द्वारा निर्मित वृहदेश्वर मंदिर द्रविड़ शौली का उदाहरण था।
  • बोरोबदूर का प्रख्यात स्तूप इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर स्थित है।
  • अधिकांश चोल कालीन मंदिर शिव को समर्पित है।

मंदिर स्थापत्य कला

  • ऐरण का विष्णु मंदिर – ऐरण, सागर जिला, मध्य प्रदेश
  • भूमरा का शिव मंदिर – भूमरा, सतना जिला, मध्य प्रदेश
  • सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर – सिरपुर, रायपुर जिला, छतीसगढ
  • तिगवा का विष्णु मंदिर तिगवा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
  • नचना-कुठार का पार्वती मंदिर – नचना, कुठार पन्ना, मध्य प्रदेश
  • भीतरगाँव का कृष्ण मंदिर – भीतरगाव, कानपुर जिला, उतर प्रदेश
  • पिपरिया का विष्णु मंदिर – पिपरिया, सतना जिला, मध्य प्रदेश
  • देवगढ का दशावतार मंदिर – देवगढ, ललितपुर जिला, उतर प्रदेश

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