Budget for 2024-25 || 2024-25 का बजट

बजट एक वित्तीय योजना है, जिसमें एक निश्चित अवधि के दौरान सरकार की आय और व्यय का विवरण होता है। यह सरकार की आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिससे यह निर्धारित होता है कि सरकार किस प्रकार से अपने संसाधनों का उपयोग करेगी। बजट के माध्यम से सरकार अपने आय के स्रोतों (जैसे कि कर, शुल्क, आदि) और खर्चों (जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, आदि) का प्रबंधन करती है।

बजट 2024-25 के प्रमुख बिंदुः
  • 23 जुलाई, 2024 को भारत के वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 के लिए 18वीं लोकसभा चुनाव के बाद पहला केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया वहीं वितमंत्री सीतारमण ने सातवी बार बजट पेश कि।
  • 4 मुख्य जातियों पर ध्यान चार प्रमुख वर्गो यानी गरीब, महिलाएं, युवा एवं अन्नदाता किसान को ऊपर उठाने पर प्रधानमंत्री का फोकस दिया गया।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ होगा।
  • इस बजट में विशेष रूप से रोजगार, कौशल प्रशिक्षण एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • इस वर्ष शिक्षा, रोजगार और कौशल प्रशिक्षण के लिए 1.48 लाख करोड़ रूपय का प्रवधान रखा है।
बजट का मुख्य विषय
  • रोजगार
  • कौशल प्रशिक्षण
  • एमएसएमई
  • मध्यम वर्ग
  • विकसित भारत के लिए प्राथमिकताएं

इस बजट में निम्नलिखित 9 प्राथमिकताओं के संबंध में सतत प्रयासो की परिकल्पाना की गई है ।

  • कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता
  • रोजगार और कौशल प्रशिक्षण
  • समावेशी मानव संसाधन विकास और समाजिक न्याय
  • विनिर्माण और सेवाएं
  • शहरी विकास
  • ऊर्जा सुरक्षा
  • अवसंरचना
  • नवाचार,अनुसंधान और विकास
  • अगली पीढ़ी के सुधार
बजट अनुमान 2024-25
  • राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
  • लक्ष्य अगले वर्ष घाटे को 4.5 प्रतिशत से निचे लाना है।
  • राजस्व प्राप्तियाँ – 31.3 लाख करोड़
  • पंूजी प्राप्तियाँ – 16.9 लाख करोड़
बजट का इतिहास: भारत और विश्व

भारत में बजट:

  • पहला बजट: 1860 में, ब्रिटिश भारत के लिए, स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था।
  • स्वतंत्र भारत का पहला बजट: 26 नवंबर 1947 को, आरके शनमुखम चेट्टी द्वारा पेश किया गया।
  • 1950 ई. में गण्तंत्र भारत का पहला बजट वित मंत्री जॉन मेथाई द्वारा पारित किया गया था।
  • बजट के इतिहास में सर्वाधिक बार मोरारजी देसाई के द्वारा 10 बार बजट को पेश किया गया
  • भारत में पहली बार महिला द्वारा इंदिरा गांधी ने कार्यवाहक वित मंत्री के रूप में बजट पारित किया।
  • बजट के इतिहास में अंतरिम पूर्णकालिक तथा सर्वाधिक बार महिला वित मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण ने बजट पारित किया।
  • सबसे लंबी अवधि का बजट भाषण निर्मला सीतारामण ने 2020 में 02 घण्टा 40 मिनट का लम्बा भाषण दिया था।
  • महत्वपूर्ण बजट:
    • 1955-56: बजट कागज़ात हिंदी में भी उपलब्ध होने लगे।
    • 1991: तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को खोलने की शुरुआत की।
    • 2000: वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने ‘कंप्यूटर युग’ का बजट पेश किया, जिसमें ई-कॉमर्स और आईटी उद्योग को बढ़ावा दिया गया।
    • 2024: निर्मला सीतारामन द्वारा पेश किया गया ‘टेक-ज्ञान’ बजट, डिजिटल इंडिया को गति देने पर केंद्रित है।
विश्व में बजट:
  • प्राचीन काल: प्राचीन रोम और चीन में भी बजट जैसी व्यवस्थाएं मौजूद थीं।
  • आधुनिक बजट: 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड में विकसित होना शुरू हुआ।
  • 20वीं शताब्दी: प्रथम विश्व युद्ध के बाद, बजट का उपयोग आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया।
बजट का महत्व:
  • सरकार के लिए राजस्व और व्यय का अनुमान लगाना।
  • देश की आर्थिक प्राथमिकताओं को निर्धारित करना।
  • विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन आवंटित करना।
  • आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना।

बजट प्रक्रिया:

  • बजट तैयारी: वित्त मंत्रालय द्वारा कई महीनों की प्रक्रिया।
  • बजट भाषण: वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है।
  • बजट पर बहस: संसद सदस्यों द्वारा की जाती है।
  • बजट पारित होना: संसद द्वारा अनुमोदित होने के बाद लागू होता है।

बजट का इतिहास काफी पुराना और महत्वपूर्ण है, विशेषकर भारत में। यहां भारत के बजट के इतिहास की संक्षिप्त जानकारी दी गई है:

बजट के प्रमुख घटक
  1. आय: इसमें सरकार के विभिन्न स्रोतों से होने वाली आय शामिल होती है, जैसे कि कर, गैर-कर राजस्व, ब्याज, लाभांश, आदि।
  2. व्यय: इसमें सरकार के विभिन्न मदों पर होने वाला खर्च शामिल होता है, जैसे कि योजना व्यय, गैर-योजना व्यय, सब्सिडी, वेतन, पेंशन, आदि।
  3. राजकोषीय घाटा: यह बजट के खर्च और आय के बीच का अंतर होता है। अगर व्यय आय से अधिक हो, तो इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
बजट के प्रकार
  1. संतुलित बजट: जब सरकार की आय और व्यय बराबर होते हैं।
  2. अधिशेष बजट: जब सरकार की आय व्यय से अधिक होती है।
  3. घाटे का बजट: जब सरकार की आय व्यय से कम होती है।
बजट की प्रक्रिया

बजट की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  1. बजट प्रस्तावना: वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश किया जाता है।
  2. बजट भाषण: वित्त मंत्री बजट के मुख्य बिंदुओं और योजनाओं का विवरण देते हैं।
  3. चर्चा और बहस: संसद में बजट पर चर्चा और बहस होती है।
  4. वोटिंग और मंजूरी: बजट को पारित करने के लिए संसद में वोटिंग होती है। यदि बजट पारित हो जाता है, तो इसे लागू किया जाता है।
प्रारंभिक काल
  • 1858: भारत का पहला बजट ब्रिटिश शासन के दौरान पेश किया गया। यह बजट ब्रिटिश वित्त मंत्री जेम्स विल्सन द्वारा तैयार किया गया था।
  • 1947: भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, पहला बजट 26 नवंबर 1947 को आर. के. शनमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया।
स्वतंत्रता के बाद
  • 1950: स्वतंत्र भारत का पहला बजट जॉन मथाई द्वारा पेश किया गया। इसी वर्ष भारतीय संविधान लागू हुआ और गणतंत्र भारत का गठन हुआ।
  • 1951: पहले पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की गई, जिससे भारत के आर्थिक विकास की दिशा में एक नया युग शुरू हुआ।
महत्वपूर्ण सुधार
  • 1991: डॉ. मनमोहन सिंह ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) नीतियों को लागू किया। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े सुधार हुए और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में भारत की भागीदारी बढ़ी।
  • 2000: वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सेवा कर की शुरुआत की, जिससे सेवा क्षेत्र की टैक्सेशन प्रणाली में सुधार हुआ।
हाल के वर्षों में
  • 2017: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जैसे कि रेल बजट को आम बजट में शामिल करना और बजट की प्रस्तुति की तारीख को फरवरी की अंतिम तिथि से पहले पेश करना।
  • 2020: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया, जिसमें स्वास्थ्य, कृषि, और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया गया।
बजट प्रक्रिया

भारत का केंद्रीय बजट आम तौर पर फरवरी के पहले सप्ताह में प्रस्तुत किया जाता है। बजट प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  1. तैयारी: विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से वित्तीय मांगें एकत्र की जाती हैं।
  2. चर्चा: इन मांगों पर वित्त मंत्रालय में चर्चा होती है और प्राथमिकताओं का निर्धारण किया जाता है।
  3. मंजूरी: प्रधानमंत्री और कैबिनेट की मंजूरी के बाद बजट को अंतिम रूप दिया जाता है।
  4. प्रस्तुति: बजट को संसद में प्रस्तुत किया जाता है, जहां इसे पारित करने के लिए बहस और चर्चा होती है।
निष्कर्ष

भारत का बजट देश की आर्थिक नीति और विकास की दिशा को निर्धारित करता है। ऐतिहासिक रूप से, विभिन्न सुधारों और नीतियों ने भारतीय बजट को एक महत्वपूर्ण उपकरण बना दिया है जो देश की आर्थिक स्थिति और भविष्य की योजनाओं को प्रतिबिंबित करता है।

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