कैबिनेट मिशन, संविधान सभा तथा अंतरिम सरकार का गठन || Cabinet Mission, Constituent Assembly and Formation of Interim Government

कैबिनेट मिशन

कैबिनेट मिशन एक ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल था जिसे मार्च 1946 में भारत भेजा गया था। इसका उद्देश्य भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने और एक स्वतंत्र संविधान सभा का चुनाव करवाने के लिए योजना तैयार करना था।

मिशन के सदस्य:

  • स्टेफोर्ड क्रिप्स: ब्रिटिश लेबर पार्टी के नेता और वित्त मंत्री
  • ए.वी. अलेक्जेंडर: ब्रिटिश सेना के फील्ड मार्शल
  • पी.जे. नोएल-बकर: ब्रिटिश सरकार के मंत्री

मुख्य प्रस्ताव:

  • संघीय योजना: भारत को तीन समूहों – ए, बी और सी में विभाजित किया जाना था।
    • समूह ए: इसमें हिंदू बहुल प्रांत शामिल थे।
    • समूह बी: इसमें मुस्लिम बहुल प्रांत शामिल थे।
    • समूह सी: इसमें पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे।
  • संविधान सभा: प्रत्येक समूह अपनी संविधान सभा का चुनाव करेगा।
  • अंतरिम सरकार: दोनों संविधान सभाओं के सदस्यों द्वारा चुनी गई एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा।
  • रक्षा: रक्षा और संचार अस्थायी रूप से ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में रहेंगे।

प्रभाव:

  • कैबिनेट मिशन योजना सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य नहीं थी, खासकर मुस्लिम लीग के लिए जो पाकिस्तान की मांग कर रही थी।
  • योजना ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को गति दी और संविधान सभा के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।
  • 1947 में भारत के विभाजन का बीज बोया गया।

महत्वपूर्ण घटनाएं:

  • मई 1946: कैबिनेट मिशन ने अपनी योजना का प्रस्ताव रखा।
  • जून 1946: मुस्लिम लीग ने योजना को स्वीकार कर लिया।
  • दिसंबर 1946: संविधान सभा के चुनाव हुए।
  • सितंबर 1946: जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन।
  • जुलाई 1947: मुस्लिम लीग ने अंतरिम सरकार से इस्तीफा दे दिया।
  • 15 अगस्त 1947: भारत स्वतंत्र हुआ।

संविधान सभा

संविधान सभा का गठन भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था। इसका उद्देश्य एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत के लिए एक स्थायी संविधान तैयार करना था। संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के तहत हुआ था। आइए इसके प्रमुख बिंदुओं पर नजर डालते हैं:

गठन

  1. चुनाव: संविधान सभा के सदस्य भारतीय प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से चुने गए थे।
  2. सदस्यों की संख्या: प्रारंभ में, संविधान सभा में 389 सदस्य थे, लेकिन देश के विभाजन के बाद यह संख्या घटकर 299 रह गई।

प्रमुख समितियाँ

संविधान सभा में कई समितियाँ थीं, जो विभिन्न पहलुओं पर काम कर रही थीं। प्रमुख समितियों में शामिल थीं:

  1. प्रारूप समिति: इस समिति की अध्यक्षता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने की। इस समिति का काम संविधान का प्रारूप तैयार करना था।
  2. संघ शक्ति समिति: इसके अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे। इस समिति का काम केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन तय करना था।
  3. संविधान संबंधी मौलिक अधिकार समिति: इसके अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल थे। इस समिति का काम मौलिक अधिकारों का मसौदा तैयार करना था।

प्रमुख कार्य और सत्र

  1. पहला सत्र: संविधान सभा का पहला सत्र 9 दिसंबर 1946 को आयोजित हुआ।
  2. प्रारूप समिति की रिपोर्ट: प्रारूप समिति ने अपना प्रारंभिक मसौदा 4 नवंबर 1947 को प्रस्तुत किया।
  3. विचार-विमर्श और संशोधन: मसौदा संविधान पर व्यापक विचार-विमर्श और संशोधन हुए। संविधान सभा ने कुल 114 सत्र आयोजित किए और इस प्रक्रिया में लगभग तीन साल का समय लगा।
  4. अंतिम मसौदा: अंतिम मसौदा 26 नवंबर 1949 को स्वीकृत हुआ और संविधान सभा द्वारा अपनाया गया।

भारतीय संविधान की प्रभावशीलता

  1. स्वीकृति: भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को स्वीकृत किया गया।
  2. प्रभावी तिथि: भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ, जो अब भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

महत्वपूर्ण विशेषताएँ

  1. संविधान की प्रस्तावना: संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है।
  2. मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करता है, जो सभी नागरिकों को सुरक्षा, स्वतंत्रता, समानता और न्याय प्रदान करते हैं।
  3. संघीय संरचना: संविधान भारत को एक संघीय ढांचे में विभाजित करता है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें अपनी-अपनी शक्तियों के साथ कार्य करती हैं।

संविधान सभा ने भारत के संविधान की रचना करके एक नई लोकतांत्रिक और स्वतंत्र भारत की नींव रखी। भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है और इसे बनाने में डॉ. भीमराव आंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही|

अंतरिम सरकार का गठन

अंतरिम सरकार का गठन 1946 में ब्रिटिश भारत की स्वतंत्रता की प्रक्रिया के तहत किया गया था। इसका उद्देश्य स्वतंत्रता से पहले एक अस्थायी सरकार बनाना था, जो देश का प्रशासन संभाल सके और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए तैयार कर सके। यहाँ अंतरिम सरकार के गठन और इसके महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी जा रही है:

गठन की पृष्ठभूमि

  1. कैबिनेट मिशन योजना: कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान सभा के गठन के साथ-साथ एक अंतरिम सरकार के गठन का प्रस्ताव भी रखा गया था।
  2. ब्रिटिश सरकार की मंशा: ब्रिटिश सरकार ने भारतीय नेताओं के साथ मिलकर एक ऐसी सरकार बनाने का प्रयास किया, जो स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले प्रशासन को सुचारू रूप से चला सके।

गठन की प्रक्रिया

  1. घोषणा: 2 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार की घोषणा की गई।
  2. प्रधानमंत्री: जवाहरलाल नेहरू को अंतरिम सरकार का उप-प्रधानमंत्री और विदेश मामलों का प्रभारी मंत्री नियुक्त किया गया।
  3. मंत्रिमंडल के सदस्य: अंतरिम सरकार में विभिन्न विभागों के लिए प्रमुख भारतीय नेताओं को मंत्री बनाया गया। इसमें कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों के नेता शामिल थे, हालांकि मुस्लिम लीग ने प्रारंभ में इसका बहिष्कार किया था।

प्रमुख सदस्य और उनके विभाग

  1. जवाहरलाल नेहरू: उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री
  2. सरदार वल्लभभाई पटेल: गृह मंत्री
  3. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: शिक्षा मंत्री
  4. राजेंद्र प्रसाद: खाद्य और कृषि मंत्री
  5. लियाकत अली खान: वित्त मंत्री (मुस्लिम लीग के प्रमुख सदस्य)

महत्वपूर्ण कार्य

  1. स्वतंत्रता की तैयारी: अंतरिम सरकार का प्रमुख कार्य स्वतंत्रता की दिशा में तैयारी करना था। इसमें प्रशासनिक और राजनीतिक ढाँचे को तैयार करना शामिल था।
  2. दंगे और विभाजन: 1946-47 के दौरान देश में साम्प्रदायिक दंगे और अशांति फैली। अंतरिम सरकार ने इन चुनौतियों का सामना किया और शांति स्थापित करने का प्रयास किया।
  3. संविधान सभा का समर्थन: अंतरिम सरकार ने संविधान सभा के कार्यों का समर्थन किया और संविधान निर्माण की प्रक्रिया में योगदान दिया।

चुनौतियाँ और समस्याएँ

  1. मुस्लिम लीग का रुख: मुस्लिम लीग ने प्रारंभ में अंतरिम सरकार का बहिष्कार किया और बाद में शामिल होने के बावजूद कई मुद्दों पर असहमति रही।
  2. साम्प्रदायिक तनाव: विभाजन के समय साम्प्रदायिक तनाव और दंगों ने अंतरिम सरकार के सामने गंभीर चुनौतियाँ पेश कीं।

समापन

अंतरिम सरकार ने 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद भारतीय सरकार में परिवर्तित हो गई। जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और उनके नेतृत्व में नई सरकार ने कार्यभार संभाला।

अंतरिम सरकार ने स्वतंत्रता प्राप्ति के अंतिम चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय प्रशासनिक ढाँचे को स्वतंत्रता के बाद के लिए तैयार किया। यह स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था।

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली द्वारा भारतीय नेताओं से बातचीत के लिए कैबिनेट मिशन का गठन किया था।
  • कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946 को भारत आया था।
  • कैबिनेट मिशन की अध्यता ब्रिटेन में भारत मंत्री लॉर्ड पैथिक लॉरेंस द्वारा की गई तथा इसमें शामिल दो अन्य सदस्य थे स्टैफोर्ट क्रिप्स तथा ए बी एलेक्जेक्डर।
  • कैबिनेट मिशन के भारत आगमन के समय कांग्रेस के अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद थे।
  • कैबिनेट मिशन के आगमन के समय भारत का वायसराय लॉर्ड वैवेल थे।
  • महात्मा गाँधी के द्वारा कैबिनेट मिशन का पूर्ण समर्थन किया गया।

कैबिनेट मिशन के प्रमुख प्रावधान

  • भारत की एकता बनाई रखी जाए।
  • मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की माँग अस्वीकार कर दी गई।
  • भारत एक संघ होगा जिसमें ब्रिटिश प्रांत तथा देशी रियासतें शामिल होगी।
  • संविधान सभा का गठन किया जायगा, जिसमें प्रांतीय विधान सभा तथा देशी रियासतों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
  • कैबिनेट मिशन योजना को स्वीकार करके मुस्लिम लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस 16 अगस्त, 1946
  • प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस के दौरान हुए हिंसक घटनाओं को शांत कराने के लिए गाँधी जी नोआखाली गए थे।
  • नोआखाली में गाँधी जी के विवेक एवं साहस को देखकर माउंटबेटन द्वारा उन्हें वन मैन बाउंड्री फोर्स की उपाधि दी गई थी।
  • वर्ष 1922 के कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गाँधी द्वारा यह विचार प्रस्तुत किया गया कि भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छा अनुसार ही होगी।
  • संविधान सभा के गठन का प्रावधान कैबिनेट मिशन के अंतर्गत किया गया था।
  • कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार जुलाई,1946 में संविधान सभा के चुनाव हुए। थे। जिनमें प्रंातों के लिए 296 सदस्यों के लिए ही ये चुनाव हुए । कांग्रेस के 208, मुस्लिम लीग के 73 तथा 15 अन्य दलों और स्वतंत्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए।
  • संविधान सभा का पहला सत्र 9 दिसम्बर को आयोजित किया गया था।
  • 9 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा के डॉ सच्चिदानंद सिन्हा अस्थाई सदस्य चुने गए।
  • 11 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा की दूसरी बैठक में राजेंन्द्र प्रसाद का स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
  • वायसराय वैवेल द्वारा जवाहर लाल नेहरू को अंतरिम सरकार बनाने का निमंत्रण दिया गया।
  • जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन 2 सितम्बर 1946 को किया गया।
  • लियाकत अली सहित मुस्लिम लीग के 5 सदस्य 26 अक्टूबर 1946 को अंतरिम सरकार में शामिल हुए।
  • भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान सुभाषचंन्द्र बोस ने फी इंडियन लीजन नामक सेना बनाई।
  • अशफाक उल्ला खाँ पहले मुस्लिम क्रांतिकारी थे, जिन्हें स्वतंत्रता के दौरान फाँसी दी गई थी।

अंतरिम सरकार का मंत्रिमंडल

सदस्य विभाग
जवाहर लाल नेहरू कार्यकारी परिषद् के उपाध्यक्ष विदेश मामले एवं राष्ट्रमंडल से सम्बंधित मामले
बल्लभ भाई पटेलगृह सूचना एवं प्रसारण विभाग तथा रियासत सम्बंधी मामले
बलदेव सिंहरक्षा विभाग
जॉन मथाई उद्योग एवं आपूर्ति विभाग
राजेन्द्र प्रसाद खाद्य एवं कृषि विभाग
सी राजगोपालचारी शिक्षा विभाग
सी एच भाभाकार्य, खान तथा बंदरगाह
आसफ अली रेल विभाग
जगजीवन राम श्रम विभाग
लियाकत अली खाँवित्त विभाग

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