76वां गणतंत्र दिवस समारोह 2025: मुख्य अतिथि, इतिहास और महत्व || 76th Republic Day Celebration 2025: Chief Guest, History and Significance

भारत 26 जनवरी 2025 को अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।इस वर्ष गणतंत्र दिवस “स्वर्णिम भारत विरासत और विकास” (Golden India Heritage and Progress) थीम को ध्यान में रखकर मनाया जायगा।

इतिहास और महत्व:

  • संविधान का लागू होना: 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, जिससे भारत एक संप्रभु गणराज्य बना।
  • पूर्ण स्वराज दिवस: 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ की घोषणा की थी, जिसे ध्यान में रखते हुए 26 जनवरी को संविधान लागू करने के लिए चुना गया।

गणतंत्र दिवस समारोह 2025:

कर्तव्य पथ पर परेडरू नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में भारतीय सेनाए वायुसेनाए और नौसेना की टुकड़ियाँ भाग लेंगीए जिसमें 22 लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन विशेष आकर्षण होगा।

प्रलय मिसाइल का प्रदर्शनरू इस वर्ष परेड में श्प्रलयश् मिसाइल का भी प्रदर्शन किया जाएगाए जो भारत की रक्षा क्षमता को दर्शाता है।

विशेष अतिथिरू इस बार 178 जल योद्धाओं को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है जो स्वच्छता और जल संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए जाने जाते हैं।

संविधान के 75 वर्षरू इस वर्ष की परेड में संविधान के 75 वर्षों की यात्रा को दर्शाने वाली दो विशेष झाँकियाँ शामिल की जाएंगी।

मुख्य अतिथि:

76वां गणतंत्र दिवस समारोह 2025: मुख्य अतिथि, इतिहास और महत्व || 76th Republic Day Celebration 2025: Chief Guest, History and Significance

2025 के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रभावों सुवियंतो को आमंत्रित किया गया है।

गणतंत्र दिवस का यह समारोह भारत की विविधता, एकता, और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है, जो देशवासियों के लिए गर्व और सम्मान का अवसर प्रदान करता है।

कर्तव्य पथ पर परेड:

  • परेड में भारतीय सेना, वायुसेना, और नौसेना की टुकड़ियाँ भाग लेंगी।
  • देश की रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन, जिसमें प्रलय मिसाइल और 22 लड़ाकू विमानों का हवाई प्रदर्शन शामिल है।

सांस्कृतिक झलक:

  • विभिन्न राज्यों की झाँकियाँ भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करेंगी।
  • इस बार संविधान के 75 वर्षों की यात्रा को दर्शाने वाली दो विशेष झाँकियाँ होंगी।

विशेष अतिथि:

  • 178 जल योद्धा (स्वच्छता और जल संरक्षण में योगदान के लिए चयनित) गणतंत्र दिवस के विशेष अतिथि होंगे।

26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका ऐतिहासिक और संवैधानिक महत्व है। इसे मनाने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. संविधान लागू होने का दिन:
    26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। इस दिन भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बना। इससे पहले भारत में शासन भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत चलता था, जो ब्रिटिश शासन की देन थी।
  2. पूर्ण स्वराज का महत्व:
    26 जनवरी को ही 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव पारित किया था। इस ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन चुना गया।
  3. राष्ट्रीय एकता और गौरव का प्रतीक:
    यह दिन भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली, राष्ट्रीय एकता और विविधता में एकता का प्रतीक है। इस अवसर पर पूरे देश में परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और देशभक्ति गीतों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को सम्मान दिया जाता है।

गणतंत्र दिवस के मुख्य आकर्षण में दिल्ली में होने वाली राजपथ पर परेड, भारतीय सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन शामिल होता है। यह दिन हमें हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान के प्रति सम्मान प्रकट करने की प्रेरणा देता है।

झंडा फहराने के अलग तरीके: स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी)

15 अगस्त और 26 जनवरी, दोनों ही दिन भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, लेकिन इन दिनों पर झंडा फहराने की प्रक्रिया और उसके पीछे का प्रतीकात्मक महत्व अलग होता है।


स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त):

  1. झंडा फहराने की प्रक्रिया:
    • इस दिन झंडा नीचे से ऊपर की ओर रस्सी खींचकर फहराया जाता है।
    • इसे ध्वजारोहण (Flag Hoisting) कहा जाता है।
  2. प्रतीकात्मक महत्व:
    • यह इस बात का प्रतीक है कि 1947 में भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की।
    • उस समय झंडे को पहली बार ब्रिटिश झंडे के स्थान पर ऊपर उठाकर फहराया गया था।
  3. स्थान और जिम्मेदारी:
    • झंडा लाल किले पर फहराया जाता है।
    • इसे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा फहराया जाता है।

गणतंत्र दिवस (26 जनवरी):

  1. झंडा फहराने की प्रक्रिया:
    • इस दिन झंडा पहले से ही ऊपर बंधा होता है। इसे केवल रस्सी खींचकर खोला जाता है।
    • इसे झंडा फहराना (Flag Unfurling) कहा जाता है।
  2. प्रतीकात्मक महत्व:
    • यह इस बात का प्रतीक है कि भारत 1950 में एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक गणराज्य बना।
    • इस दिन संविधान लागू होने का जश्न मनाया जाता है।
  3. स्थान और जिम्मेदारी:
    • झंडा कर्तव्य पथ (राजपथ) पर फहराया जाता है।
    • इसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा फहराया जाता है।

मुख्य अंतर:

अवसरप्रक्रियास्थानकौन फहराता है?महत्व
स्वतंत्रता दिवसझंडा नीचे से ऊपर खींचकर फहराया जाता है।लाल किलाप्रधानमंत्रीस्वतंत्रता प्राप्ति और नई शुरुआत का प्रतीक।
गणतंत्र दिवसझंडा पहले से ऊपर बंधा होता है, और खोला जाता है।कर्तव्य पथराष्ट्रपतिसंविधान लागू होने और गणराज्य बनने का प्रतीक।

सारांश:

15 अगस्त को ध्वजारोहण और 26 जनवरी को झंडा फहराना कहने का कारण उनके ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक महत्व में निहित है। दोनों ही अवसर भारत के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक हैं।
जय हिंद!

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