भारत में ‘पंचायती राज’ शब्द का अभिप्राय गामीण स्थानीय स्वशासन पद्धति से हैं। यह भारत के सभी राज्यों में, जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के निर्माण हेतु राज्य विधानसभाओं द्वारा स्थापित किया गया है। इसे ग्रामीण विकास का दायित्व सौंपा गया है। 1992 के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा इसे संविधान में शामिल किया गया।
लॉर्ड रिपन का 1882 ई का संकल्प स्थानीय स्वशासन के लिए ‘‘मैग्नाकार्टा’’ का हैसियत रखता है। रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का पिता कहा जाता है।
पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य विकास की प्रक्रिया में जन-भगीदारी को सुनिश्चित करना तथा लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण को बढ़ावा देना है।
पंचायती राज का शुभरम्भ स्वतंत्र भारत में 2 अक्टूबर, 1959 ई को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के द्वारा राजस्थान राज्य के नागौर जिला में हुआ।
11 अक्टूबर,1959 ई को पंडित नेहरू ने आन्ध्र प्रदेश राज्य में पंचायती राज का प्रारंभ किया।
पंचायत को यदि किसी विधि के अधीन पहले ही विधटित नही कर दिया जाता है तो उसकी अवधि अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पाँच वर्ष होगी। यह अनुन्छेद-243(ड) के तहत भारतीय संविधान में निहिर्त है
यदि किसी पंचायत को समय पूर्व विघटित कर दिया जाता है तो उसका निर्वाचन 6 महीने के भीतर शेष बचे हुए अवधि के लिए कराया जाता है।
किन्तु यदि पंचायत ऐसे समय विघटित किया जाता है जब उसकी अवधि छः महीने से कम बची हो तो शेष अवधि के लिए निर्वाचन कराना जरूरी नहीं होता है।
अनुच्छेद 243(च) के अनुसार पंचायत का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष है।
पंचायतों की वित्तीय अवस्था का मूल्यांकन करने के लिए वित्त आयोग के गठन का प्रधिकार राज्य के गवर्नर को है।
पंचायती राजव्यवस्था में सुधार हेतु गठित समितियाँ
- बलवन्त राय मेहता समिति- 1957
- अशोक मेहता समिति- 1977
- जी वी के राज समिति-1985
- एल एम सिधवी समिति- 1986
- 64वाँ संविधान संशोधन- 1989
- 73वाँ संविधान संशोधन- 1993
- अशोक मेहता समिति 1977 ने द्वि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की सिफारिश की।
- जी वी के राव समिति ने ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए प्रशासनिक व्यवस्था का अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया।
- के संथानम समिति ने पंचायती राज संस्था के विŸाीय मामलों का अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया।
एल एम सिंधवी ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक रूप से मान्यता दिए जाने की सिफारिश की थी इस समिती की कुछ अन्य सिफारिशें थी-
1. पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव और अन्य मामलों से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए प्रत्येक राज्य मे न्यायिक न्यायाधिकरण स्थापित किए जाने चाहिए।
2. ग्राम पंचायत को अधिक व्यवहार्य बनाने के लिए गाँवों को मान्यता दी जानी चाहिए।
3. गाँव के लिए न्याय पंचायतों की स्थापना की जानी चाहिए।
4. ग्राम -पंचायतो के पास अधिक वित्तीय संसाधन होने चाहिए।
73वाँ संविधान संशोधन
👉73वाँ संविधान संशोधन पंचायती राज से संबंधित है। इसके द्वारा संविधान के भाग-9 अनुच्छेद 243 (क से ण तक कुल 16 अनुच्छेद) तथा अनुसूची – 11 का प्रावधान किया गया है।
👉वर्ष 1986 में गठित एलण् एम सिंधवी समिति की सिफारिशों के आधार पर 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1993 के द्वारा पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
👉वर्तमान में पंचायती राज व्यवस्था नगालैंड, मेघालय तथा मिजोरम राज्योें को छोड़कर अन्य राज्यों में तथा दिल्ली को छोड़कर अन्य सभी केन्द्रशासित राज्यों में लागू है।
73वॉ संविधान संशोधन की मुख्य बातेंः
- इसके द्वारा पंचायती राज के त्रिस्तरीय ढाँचे का प्रावधान किया गया है। ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, प्रखण्ड स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद् के गठन की व्यवस्था की गयी है।
- पंचायती राज संस्था के प्रत्येक स्तर में एक-तिहाई स्थानों पर महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी है।
- इसका कार्यकाल पाँच वर्षो निर्धारित किया गया है। पंचायत भंग होने के 6 माह के अन्दर निर्वाचन होंगे ।
- राज्य की संचित निधि से इन संस्थाओ को अनुदान देने की व्यव्स्था की गयी है।
- 73वें संविधान संशोधन के बाद पंचाचती राज अधिनियम का निार्माण करने वाला प्रथम राज्य कर्नाटक है।
74वाँ संविधान संशोधन
74वाँ संविधान संशोधन नगरपालिकाओं से संबंधित है। इसके द्वारा संविधान के भाग-9क, अनुच्छेद-243 (त से य, छ तक) एवं 12वीं अनुसूची का प्रावधान किया गया है। नगरपालिकाओं को 12वीं अनुसूची में वर्णित कुल 18 विषयों पर विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई है।
74वाँ संविधान संशोधन की मुख्य बातें निम्न प्रकार से है-
- नगरपालिकाओ में पहिलाओ के लिए 1/3 भाग स्थान आरक्षित है।
- नगरपालिकाओ में अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
- नगरीय संस्थाओं का कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा। विघटन की स्थिति में छह माह के अन्दर चुनाव कराना है|
👉नगरपालिका के प्रकार - नगर पंचायतः ऐसा ग्रामीण क्षेत्र जो नगर क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा हो।
- नगर परिषद् – छोटे नगर क्षेत्र के लिए।
- नगर निगम- बड़े नगर क्षेत्र के लिए।
- नगर निगम की स्थापना सर्वप्रथम मद्रास में 29 सितम्बर 1688 ई में की गई थी। 1687 मे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स ने मद्रास में नगर-निगम बनाने की अनुमति दी।
🔔पंचायत दिवस जिसे राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस या राष्ट्रीय स्थानीय स्वशासन दिवस भी कहा जाता है यह हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाता है। इसकी शुरूआती वर्ष 2010 है।