तंत्रिका तंत्र क्या है कार्य, महत्व || What is the Nervous System, Its Function, Importance ||

तंत्रिका तंत्र (Nervous System) शरीर की वह जटिल प्रणाली है जो विभिन्न अंगों के बीच सूचनाओं का संचार करती है और शरीर की सभी गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह संवेदी (sensory), संज्ञानात्मक (cognitive) और मोटर (motor) क्रियाओं को सुचारू रूप से नियंत्रित करता है

तंत्रिका तंत्र (Nervous System) क्या है?

तंत्रिका तंत्र (Nervous System) शरीर का वह जटिल और महत्वपूर्ण तंत्र है जो पूरे शरीर में सूचनाओं (signals) का संचार करता है। यह तंत्र विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करता है और शरीर की सभी गतिविधियों को नियंत्रित करता है।

तंत्रिका तंत्र क्या है कार्य, महत्व || What is the Nervous System, Its Function, Importance ||

तंत्रिका तंत्र की परिभाषा

“तंत्रिका तंत्र एक जटिल नेटवर्क है जिसमें मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाएँ शामिल होती हैं, जो शरीर के विभिन्न भागों से सूचनाओं का आदान-प्रदान करती हैं और शरीर की संवेदी, संज्ञानात्मक और मोटर क्रियाओं को नियंत्रित करती हैं।”


तंत्रिका तंत्र के प्रकार

तंत्रिका तंत्र को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है:

  1. केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System – CNS)
    • इसमें मस्तिष्क (Brain) और रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) शामिल होते हैं।
    • यह शरीर की प्रमुख क्रियाओं को नियंत्रित करता है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में सहायक होता है।
  2. परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System – PNS)
    • इसमें तंत्रिकाएँ (Nerves) शामिल होती हैं, जो पूरे शरीर में फैली होती हैं।
    • यह तंत्र मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से सूचना प्राप्त कर उसे शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है।
    इसे आगे दो भागों में बाँटा जाता है:
    • स्वैच्छिक तंत्रिका तंत्र (Somatic Nervous System) – यह इच्छानुसार किए जाने वाले कार्यों को नियंत्रित करता है।
    • स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System) – यह अनैच्छिक कार्यों (जैसे – हृदय गति, पाचन) को नियंत्रित करता है।

तंत्रिका तंत्र के कार्य

  1. संवेदी सूचना प्राप्त करना – यह इंद्रियों से आने वाली सूचनाओं (जैसे – दृष्टि, स्पर्श, श्रवण) को ग्रहण करता है।
  2. सूचना का प्रसंस्करण (Processing) – मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी इन सूचनाओं का विश्लेषण करते हैं।
  3. प्रतिक्रिया उत्पन्न करना – शरीर को उचित प्रतिक्रिया देने के लिए आदेश देता है, जैसे – हाथ जलने पर तुरंत हटाना।
  4. शरीर के आंतरिक कार्यों को नियंत्रित करना – हृदय गति, रक्तचाप, पाचन जैसी अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
  5. स्मरण शक्ति और सीखने की क्षमता प्रदान करना – यह याददाश्त, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता को नियंत्रित करता है।

तंत्रिका तंत्र के महत्वपूर्ण बिंदु

  • यह शरीर की सभी क्रियाओं का नियंत्रण और समन्वय करता है।
  • यह बाहरी और आंतरिक परिवर्तनों के अनुसार शरीर को प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाता है।
  • यह शरीर को विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित करने में मदद करता है।
  • यह सभी मानसिक और शारीरिक गतिविधियों का संचालन करता है।
  • मानव शरीर की प्रतिवर्ती क्रिया का नियंत्रण केन्द्र मेड्यूला ऑब्लागेटा में स्थित होता है।
  • हदय की धड़कन की गति अनुकप्पी तंत्रिका द्वारा बढती है।
  • प्रेरक कौशल मस्तिक के ललाट भाग से सम्बंधित है।
  • मानव के मस्तिक का सबसे बड़ा भाग रोम्बेनसिफैलॉन है।
  • तंत्रिका तंत्र के अध्यन को तंत्रिका विज्ञान कहा जाता हैै।
  • कम नींद आने के लिए अनिद्रा चिकित्सा शबदावली का प्रयोग किया जाता है।
  • औसतन एक सामान्य मानव मस्तिक का भार 1ण्36 किग्रा होता है।
  • मस्तिक में अंतराली केन्द्रक भाग गुरुत्वाकर्षण के विरूद्व शरीर का समर्थन करता है।
  • शरीर में प्रतिवर्ती क्रियाओ का नियंत्रण एवं समन्वय मेरुरज्जू करता है।
  • सेरेब्रल पाल्सी मस्तिष्क सम्बन्धी विकार है, जो सामान्यता छोटे बच्चों में पाया जाता है।
  • तंत्रिका तंत्र का विकास सर्वप्रथम हाइड्रा जीव में माना जाता है।
  • मनुष्य में कपालीय तंत्रिकाओं की संख्या 12 जोड़ी होती है।
  • मनुष्य में मेरु तंत्रिकाओं की संख्या 31 जोड़ी होती है।
  • मानव शरीर में भूख तथा तृप्ति मस्तिष्क के हाइपोथैलमस द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
  • डिस्लेक्सिया नामक बीमारी मानव शरीर के मस्तिष्क अंग से संम्बंधित है।
  • शरीर के अन्य सभी अंगों की तुलना मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आवश्यकता सर्वाधिक होती है।
  • तंत्रिका उतक का प्रमुख कार्य उतेजनाओं को प्राप्त करना तथा मेरुरज्जू व मस्तिष्क के आवेग भेजना होता हैै।
  • प्रतिवर्ती क्रियाओं की खोज सर्वप्रथम मार्शल हाल ने की थी।
  • भोजन-ग्रहण के पश्चात् आहारनाल की तरंग गति और इसकी दीवार की ग्रन्थियों के स्व्राण का उतेजन परानुकम्पी तंत्र के द्वारा होता है।
  • तंत्रिका एव अन्तःस्त्रावी तंत्र हमारे शरीर में समन्वयन का कार्य करते है।
  • जो मनुष्य यह नहीं समझ पाता है कि कब उसे भोजन करना रोक देना चाहिए, वह बुलीमिया नामक रोग से पीड़ित है।
  • हाइपोथैलेमस को जैविक घड़ी के में स्थित होता है।
  • एपीथैलेमस पीनियल ग्रन्थि हैबेन्युला से निर्मित होता है।
  • मनव शरीर का मस्तिक अल्जाइमर रोग से प्रभावित होता है।
  • मॉसपेशियो के रेशों में आवेग संचरण के लिए सोडियम पदार्थ का प्रयोग किया जाता है।
  • मनुष्य का मस्तिष्क 3 भागो में विभाजित होता है। सेरेब्रम, सेरेबेलम, ब्रेनस्टेम
  • न्यूरॉन का बाहर निकला हुआ लम्बा भाग तंत्रिकाक्ष कहलाता है।
  • तंत्रिका कोशिकाओं के तंत्रिकाक्ष मे चारों ओर मेलिन पदार्थ का आवरण पाया जाता है।
  • सूई चुभाने पर मस्तिष्क में पीड़ा का अनुभव नहीं होगा।
  • मानव के जन्म के पश्चात तंत्रिका कोशिका में विभाजन नहीं होता है।
  • मानव मस्तिष्क का सेरीब्रम भाग वृद्वि, स्मृति और तर्क का केन्द्र होता है।
  • दो तंत्रिका कोशिकाओं के मिलन को सिनेप्स कहते है।

निष्कर्ष

तंत्रिका तंत्र शरीर की सबसे महत्वपूर्ण प्रणालियों में से एक है। यह पूरे शरीर में संदेशों को संचारित करने, अंगों का समन्वय करने, और हमारी संवेदी एवं अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करने का कार्य करता है। इसके बिना शरीर सुचारू रूप से कार्य नहीं कर सकता।

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