राज्यभाषा और इसके विशेषताएँ || State Language and its Features

संविधान के भाग- 17 के अनुच्छेद-343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी है। राजभाषा एक ऐसी भाषा होती है जिसे किसी देश या राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी जाती है। इसका उपयोग सरकारी कामकाज, प्रशासनिक कार्यों, और न्यायपालिका में होता है। भारत में, संविधान के अनुसार हिंदी को देवनागरी लिपि में राजभाषा का दर्जा दिया गया है। साथ ही, अंग्रेजी को भी सरकारी कामकाज में सहायक भाषा के रूप में प्रयोग किया जाता है।

राजभाषा के प्रमुख कार्य:

  1. सरकारी दस्तावेज़ों का अनुवाद: राजभाषा के माध्यम से सभी महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज़ों, अधिनियमों, और नियमों का अनुवाद और प्रकाशन किया जाता है ताकि देश के नागरिकों को उनकी समझ में आने वाली भाषा में जानकारी मिल सके।
  2. संचार का माध्यम: राजभाषा का उपयोग प्रशासनिक और सरकारी संगठनों के बीच संवाद करने के लिए किया जाता है, ताकि देश के विभिन्न हिस्सों में समान रूप से जानकारी पहुंचाई जा सके।
  3. शिक्षा और परीक्षा: सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं और अन्य शैक्षिक गतिविधियों में राजभाषा का प्रयोग होता है। यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवारों को उनकी भाषा में परीक्षा देने का मौका मिले।
  4. न्यायपालिका में उपयोग: अदालतों में भी राजभाषा का प्रयोग होता है, खासकर निचली अदालतों में, ताकि न्यायिक प्रक्रिया आम जनता के लिए समझ में आने योग्य हो।
  5. संविधान और कानून: राजभाषा का उपयोग संविधान और कानून के दस्तावेज़ों को लिखने, संशोधित करने, और प्रकाशित करने में होता है।
  6. राजनीतिक और सार्वजनिक संबोधन: सरकारी अधिकारी और नेता सार्वजनिक भाषणों और संबोधन में राजभाषा का प्रयोग करते हैं ताकि उनकी बात सभी नागरिकों तक पहुंच सके।

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में उन भाषाओं की सूची

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में उन भाषाओं की सूची दी गई है जिन्हें भारत में मान्यता प्राप्त भाषाओं के रूप में स्वीकार किया गया है। इन भाषाओं को “अनुसूचित भाषाएं” कहा जाता है। संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्तमान में 22 भाषाएं शामिल हैं।

ये भाषाएं हैं:

  1. असमिया
  2. बंगाली
  3. बोडो
  4. डोगरी
  5. गुजराती
  6. हिंदी
  7. कन्नड़
  8. कश्मीरी
  9. कोंकणी
  10. मैथिली
  11. मलयालम
  12. मणिपुरी
  13. मराठी
  14. नेपाली
  15. ओड़िया
  16. पंजाबी
  17. संस्कृत
  18. संताली
  19. सिंधी
  20. तमिल
  21. तेलुगु
  22. उर्दू
राज्य की भाषा

संविधान के अनुच्छेद-345 के अधीन प्रत्येक राज्य के विधान मंडल केा यह अधिकार दिया गया है कि वह विधि द्वारा राज्य में प्रयुक्त होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अनेक को या हिन्दी को अंगीकार कर सकता है। परंतु जब तक एक राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तक तक राज्य के भीतर उन शासकीय प्रयोजन के लिए अग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जाता है।

राज्य की भाषा के कुछ उदाहरण:

  1. महाराष्ट्र – मराठी
  2. तमिलनाडु – तमिल
  3. कर्नाटक – कन्नड़
  4. पश्चिम बंगाल – बंगाली
  5. उत्तर प्रदेश – हिंदी
  6. पंजाब – पंजाबी
  7. आंध्र प्रदेश – तेलुगु
  8. गुजरात – गुजराती
  9. केरल – मलयालम
  10. असम – असमिया

मुख्य कार्य:

  1. प्रशासनिक कार्य: राज्य की भाषा का उपयोग राज्य सरकार के कार्यालयों में सभी प्रशासनिक कामकाज और दस्तावेजों के लिए किया जाता है।
  2. शिक्षा: सरकारी स्कूलों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में राज्य की भाषा को पढ़ाया जाता है और इसका माध्यमिक भाषा के रूप में उपयोग किया जाता है।
  3. न्यायपालिका में उपयोग: राज्य के न्यायालयों में भी, खासकर निचली अदालतों में, राज्य की भाषा का उपयोग होता है ताकि स्थानीय लोग इसे आसानी से समझ सकें।
  4. सरकारी संचार: राज्य सरकार द्वारा जारी सभी सरकारी सूचनाओं, घोषणाओं, और संचार में राज्य की भाषा का उपयोग किया जाता है।
  5. सांस्कृतिक संरक्षण: राज्य की भाषा के माध्यम से राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, साहित्य, और परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन किया जाता है।

उच्चतम और उच्च न्यायालयों तथा विधान मंडलों की भाषा

भारत में उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) और उच्च न्यायालयों (हाई कोर्ट्स) में उपयोग की जाने वाली भाषा मुख्य रूप से अंग्रेज़ी है। हालांकि, कुछ उच्च न्यायालयों में राज्य की भाषा का भी उपयोग होता है, लेकिन इसके लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है।

उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) की भाषा:

  • अंग्रेज़ी: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 के अनुसार, उच्चतम न्यायालय में सभी कार्यवाही, निर्णय, आदेश, और विधिक दस्तावेज़ अंग्रेज़ी भाषा में होते हैं।
  • अनुवाद: यदि आवश्यक हो, तो फैसलों और अन्य दस्तावेज़ों का अनुवाद हिंदी या किसी अन्य भाषा में किया जा सकता है, लेकिन मूल रूप से सभी आधिकारिक कामकाज अंग्रेज़ी में ही होता है।

उच्च न्यायालयों (हाई कोर्ट्स) की भाषा:

  • अंग्रेज़ी: उच्च न्यायालयों में भी आमतौर पर अंग्रेज़ी का ही प्रयोग होता है।
  • राज्य की भाषा: कुछ उच्च न्यायालयों में, राज्य की भाषा का प्रयोग भी किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 348(2) के तहत राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक है। उदाहरण के लिए, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और राजस्थान के उच्च न्यायालयों में हिंदी का प्रयोग भी होता है।

विधान मंडलों (Legislative Assemblies) की भाषा:

  • राज्य विधान सभा (State Legislative Assembly): राज्य विधान सभाओं में उस राज्य की राजभाषा का प्रयोग किया जाता है। राज्य विधान सभा की कार्यवाही, प्रस्ताव, और विधेयकों का लेखन राज्य की भाषा में होता है। राज्य में यदि एक से अधिक राजभाषाएं हों, तो उन सभी का प्रयोग हो सकता है।
  • संसद (Parliament): भारतीय संसद में हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं का प्रयोग होता है। सदस्य अपनी सुविधा के अनुसार इनमें से किसी भी भाषा में अपनी बात रख सकते हैं। संविधान के अनुच्छेद 120 के अनुसार, संसद की कार्यवाही के लिए हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों आधिकारिक भाषाएं हैं।

संक्षेप में:

  • उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में प्राथमिक रूप से अंग्रेज़ी का प्रयोग किया जाता है।
  • राज्य विधान मंडलों में राज्य की भाषा का उपयोग होता है, जबकि संसद में हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों का उपयोग किया जाता है।

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