भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG) एक संवैधानिक संस्था है, जो भारत सरकार और राज्य सरकारों के खातों के लेखा परीक्षण के लिए जिम्मेदार है। यह पद संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित किया गया है। (अनु. 148 से 151)
मुख्य कार्य और भूमिकाएँ:
- लेखा परीक्षण: केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य संगठनों के खातों की लेखा परीक्षा करना।
- वित्तीय रिपोर्ट: संसद और राज्य विधानसभाओं को विभिन्न विभागों और संस्थाओं के वित्तीय लेखा का रिपोर्ट देना।
- सरकारी व्यय का निरीक्षण: यह सुनिश्चित करना कि सरकारी धन का उपयोग कुशलता और पारदर्शिता के साथ हो रहा है।
- नीति सलाहकार: सरकार को वित्तीय मामलों और लेखा परीक्षण के संबंध में सलाह देना।
सीएजी का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है। सीएजी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और इसे संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत विशेष सुरक्षा दी गई है ताकि इसके कार्य में स्वतंत्रता बनी रहे।
संवैधानिक भूमिकाएँ:
- संघीय लेखा परीक्षक: CAG भारत सरकार, राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, सरकारी निकायों, और संसद/विधानमंडलों द्वारा अनुदान प्राप्त करने वाली संस्थाओं के लेखा परीक्षण के लिए जिम्मेदार है।
- वित्तीय रिपोर्टिंग: CAG संसद और विधानमंडलों को सरकार के वित्तीय प्रदर्शन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। इन रिपोर्टों में सरकार द्वारा प्राप्त आय, किए गए व्यय, और वित्तीय प्रबंधन की स्थिति का विवरण होता है।
- वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाना: CAG सरकारी खर्च में अनियमितताओं, दुरुपयोग, और धोखाधड़ी का पता लगाता है।
- पैरा-सैन्य बलों का लेखा परीक्षण: CAG केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और अन्य अर्धसैनिक बलों के लेखा परीक्षण का भी काम करता है।
अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाएँ:
- सरकारी वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिए सलाह देना: CAG सरकार को वित्तीय प्रबंधन, लेखा परीक्षा प्रक्रियाओं, और आंतरिक नियंत्रण प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए सलाह देता है।
- राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा देना: CAG सरकार को राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने और घाटे को कम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- संसद और विधानमंडलों को जवाबदेह बनाना: CAG संसद और विधानमंडलों को सरकार के वित्तीय प्रदर्शन पर सवाल उठाने और सरकार को जवाबदेह ठहराने में मदद करता है।
- नागरिकों को सूचित करना: CAG अपनी रिपोर्टों के माध्यम से नागरिकों को सरकार के वित्तीय मामलों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
CAG भारत की जवाबदेही प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार का धन उचित रूप से खर्च किया जाए और वित्तीय अनियमितताओं को रोका जाए। CAG की रिपोर्टें नागरिकों को सरकार की जवाबदेही तय करने और वित्तीय मामलों में पारदर्शिता लाने में मदद करती हैं।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की भूमिकाओं के कुछ महत्वपूर्ण तत्व इस प्रकार हैं:
- नियंत्रक महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है किन्तु उसे पद से संसद के दोनों सदनों के समावेदन पर ही हटाया जा सकेगा। जिसका आधार साबित कदाचार या असमर्थता होगा। यानी इसे इटाने की प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान होगी।
- इसकी पदावधि पद ग्रहण करने की तिथि से 6 वर्ष होगी, लेकिन यदि इससे पूर्व 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेता है तो वह अवकाश ग्रहण कर लेगा।
- वह सेवा-निवूति के पश्चातृ भारत सरकार के अधीन कोई पद धारण नही कर सकता है।
- नियंत्रण महालेखा परीक्षक सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है।
- भारत तथा प्रत्येक राज्य एवं प्रत्येक संघ राज्य क्षेत्र की संचित निधि से किये गये सभी प्रत्येक संध राज्य क्षेत्र की संचित निधि से किये गय सभी व्यय विधि अधीन ही हुए हैं यह इस बात की संपरीक्षा करता है।
- नियंत्रक एव महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति या राज्यपाल के निवेदन पर किसी अन्य प्राधिकरण के लेखाओं की भी लेखा परीक्षा करता है। जैसे स्थानीय निकायों की लेखा परीक्षा।
- नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक केन्द्र सरकार के लेखाओं से संबंधित प्रतिवेदनों को राष्ट्रपति को देता है, जिसे वह संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर रखते है। अनुछेद 151 के अधिन।।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक किसी राज्य के लेखाओं के संबंधित प्रतिवेदनों को उस राज्य के राज्यपाल को देता है, जिसे वह उस राज्य के विधान-मंडल के पटल पर रखते है।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक राष्ट्रपति को तीन लेखा परीक्षा प्रतिवेदन प्रस्तुत करता है- विनियोग लेखाओं पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट, वित्त लेखाओं पर लोक परीक्षा रिपोर्ट और सरकारी उपक्रमों पर लेखा परीक्षा रिपोर्ट ।। राष्ट्रपति इन रिपोर्टो को संसद के दोनों सदनों के सभा पटल पर रखता है। इसके उपरांत लोेक लेखा समिति इनकी जाँच करती है और निष्कषों से संसद को अवगत कराती है।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक संसद की लोक लेखा समिति के गाइड, मित्र एवं मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।