श्वसन तंत्र (Respiratory System) वह तंत्र है जो हमारे शरीर में श्वसन (सांस लेने और छोड़ने) की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। यह तंत्र हमारे शरीर में ऑक्सीजन को पहुँचाने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने में मदद करता है। श्वसन तंत्र में निम्नलिखित अंग शामिल होते हैं:
कार्य (Functions)
- ऑक्सीजन की आपूर्ति: श्वसन तंत्र का मुख्य कार्य शरीर के हर हिस्से में ऑक्सीजन पहुँचाना है, जो ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक है।
- कार्बन डाइऑक्साइड का निष्कासन: श्वसन के दौरान उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालता है।
- वायु का शुद्धिकरण: नाक में मौजूद बाल और म्यूकस वायु में से धूल, बैक्टीरिया, और अन्य हानिकारक तत्वों को रोकते हैं, जिससे फेफड़ों में शुद्ध हवा पहुँचती है।
- स्वर निर्माण: कंठनली (Larynx) में स्वर रज्जु होते हैं, जो बोलने में सहायक होते हैं।
शारीरिक रचना (Structure)
- श्वसन तंत्र में कई अंग शामिल होते हैं जो मिलकर साँस लेने की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं।
- नाक और नासिका गुहा: हवा को फिल्टर करने और उसे नम व गर्म करने का कार्य करती है।
- ग्रसनी (Pharynx): नाक और मुँह से आने वाली हवा यहाँ इकट्ठा होती है।
- कंठनली (Larynx): स्वर रज्जु के साथ यह वॉयस बॉक्स का कार्य करता है।
- श्वास नली (Trachea): यह फेफड़ों तक हवा पहुँचाने वाली मुख्य नली है।
- श्वासनलिकाएँ (Bronchi): यह दो मुख्य शाखाओं में विभाजित होती है, जो फेफड़ों तक हवा पहुँचाती हैं।
- फेफड़े (Lungs): इसमें वायुकोश (Alveoli) होते हैं जहाँ गैसों का आदान-प्रदान होता है।
- डायाफ्राम (Diaphragm): यह एक प्रमुख पेशी है जो फेफड़ों के नीचे होती है और साँस लेने-छोड़ने में सहायक होती है।
मुख्य अंग (Main Organs)
- नाक: हवा का प्रवेश बिंदु और फिल्टरिंग का कार्य करता है।
- ग्रसनी और कंठनली: हवा को फेफड़ों तक पहुँचाने का मार्ग बनाते हैं।
- श्वास नली और श्वासनलिकाएँ: हवा को फेफड़ों के अंदर पहुँचाती हैं।
- फेफड़े: यह प्रमुख अंग है जहाँ ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान होता है।
- डायाफ्राम: यह मांसपेशी फेफड़ों के फैलने और संकुचन में मदद करती है।
- नाक (Nose): श्वसन तंत्र का पहला भाग होता है जहाँ से हम सांस लेते हैं। नाक के अंदर बाल और श्लेष्मा (म्यूकस) होती है जो हवा को फिल्टर करके उसे साफ करती है।
- ग्रसनी (Pharynx): नाक और मुँह से आने वाली हवा यहाँ मिलती है और फिर इसे श्वास नली की ओर भेजा जाता है।
- कंठनली (Larynx): इसे “वॉयस बॉक्स” भी कहते हैं। यह श्वास नली और ग्रसनी के बीच स्थित होता है। कंठनली में स्वर रज्जु होते हैं जो हमें आवाज़ उत्पन्न करने में सहायक होते हैं।
- श्वास नली (Trachea): इसे “विंडपाइप” भी कहा जाता है। यह एक नली होती है जो गले से शुरू होकर फेफड़ों की ओर जाती है और हवा को आगे फेफड़ों तक पहुँचाती है।
- श्वासनलिकाएँ (Bronchi): श्वास नली के नीचे दो शाखाएँ होती हैं जिन्हें श्वासनलिकाएँ कहते हैं। ये दोनों फेफड़ों में जाती हैं और वहाँ और छोटी-छोटी शाखाओं में विभाजित हो जाती हैं।
- फेफड़े (Lungs): श्वसन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। फेफड़ों में छोटे-छोटे वायुकोश (Alveoli) होते हैं, जहाँ ऑक्सीजन का आदान-प्रदान होता है। यहाँ पर ऑक्सीजन खून में मिल जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है।
- डायाफ्राम (Diaphragm): यह एक प्रमुख पेशी है जो श्वसन प्रक्रिया में सहायता करती है। जब हम साँस अंदर लेते हैं, तो डायाफ्राम नीचे की ओर खिंचता है और फेफड़े फैलते हैं, जिससे हवा अंदर जाती है।
श्वसन प्रक्रिया में दो चरण होते हैं:
- प्रेरणा (Inhalation): जिसमें हवा फेफड़ों में जाती है।
- उत्सर्जन (Exhalation): जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड युक्त हवा शरीर से बाहर निकलती है।
श्वसन तंत्र का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्वच्छ हवा में साँस लेना, व्यायाम करना और धूम्रपान से बचना आवश्यक होता है।
श्वसन तंत्र के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
- श्वसन मे बाहर निकली वायु में CO2 की लगभग 4% मात्रा होती है।
- अधिकतर कीट श्वासनली प्रणाली के द्वारा श्वसन करते है।
- मेंढक शीतनिद्रा के दौरान केवल त्वचा से श्वसन करता है।
- यातायात पुलिस, शराब के नशे वाले व्यक्ति की श्वास जाँच में पौटेशियम डायक्रोमेंट सल्फयूरिक अम्ल गैस के मिश्रण का प्रयोग करती है।