मध्य प्रदेश का इतिहास || History of Madhya Pradesh

प्रारंभिक इतिहास:
मध्य प्रदेश भारत का एक प्रमुख राज्य है, जो देश के मध्य में स्थित है। इसे “भारत का ह्रदय” भी कहा जाता है क्योंकि इसका भौगोलिक स्थान देश के केंद्र में है। इसकी राजधानी भोपाल है और सबसे बड़ा शहर इंदौर है। राज्य की सीमाएं उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान से लगती हैं।

मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 308,252 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बनाता है। यहां की प्रमुख नदियां नर्मदा, ताप्ती, और चंबल हैं। नर्मदा नदी राज्य की जीवनरेखा मानी जाती है।

  • राजधानी: भोपाल
  • मुख्यमंत्री– डॉ. मोहन यादव
  • गवर्नर – मंगूभाई छगनभाई पटेल
  • लोकसभा सीटें – 29
  • राज्यसभा सीटें – 11
  • विधानसभा सीटें – 230
  • जिलें – 55
  • आधिकारिक भाषा: हिन्दी
  • स्थापना:  1 नवंबर 1956
  • सीमाएँ: उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान
  • आबादी: 8.77 करोड़
  • साक्षरता दर: 69.30 पुरूष साक्षरता दर 78.70
  • त्योहार: मडई, भगोरिया और करबा 
  • राजकीय पशु – बारहसिंगा
  • राजकीय पक्षी – दूधराज
  • लोक नृत्‍य – खजुराहो 
  •  क्षेत्रफल – 308,252 वर्ग किलोमीटर
  • राजकीय खेल – मलखम्ब
  • राजकीय फसल– सोयाबीन
  • राजकीय नृत्य – राई

मध्य प्रदेश का इतिहास समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जो प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक विभिन्न संस्कृतियों और शासकों से प्रभावित रहा है। आइए, मध्य प्रदेश के इतिहास की प्रमुख घटनाओं और कालखंडों पर एक नजर डालते हैं:

प्राचीन काल:

  1. वैदिक और महाकाव्य युग: प्राचीन समय में यह क्षेत्र “अवन्ति”, “मालवा” और “विदिशा” जैसे महाजनपदों का हिस्सा था। अवन्ति की राजधानी उज्जैन थी, जो भारत का एक प्रमुख व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र था।
  2. मौर्य और गुप्त साम्राज्य: मध्य प्रदेश का क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था, जब चंद्रगुप्त मौर्य ने इसे अपने साम्राज्य में शामिल किया। सम्राट अशोक, जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया, विदिशा के राज्यपाल थे और उनकी पत्नी देवी भी यहीं की थीं। गुप्त साम्राज्य के दौरान यह क्षेत्र विज्ञान, कला, और साहित्य में उन्नत हुआ।
  3. कालचुरी और परमार वंश: 10वीं से 12वीं शताब्दी के दौरान, कालचुरी और परमार वंशों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। परमार वंश के राजा भोज (1010-1055 ईस्वी) ने धारानगरी (वर्तमान धार) को अपनी राजधानी बनाया और शिक्षा और कला के संरक्षक के रूप में प्रसिद्ध हुए।

मध्यकाल:

  1. दिल्ली सल्तनत और मालवा सल्तनत: 13वीं और 14वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत ने इस क्षेत्र पर कब्जा किया। बाद में 15वीं शताब्दी में मालवा सल्तनत की स्थापना हुई, जिसकी राजधानी मांडू थी। मांडू अपने वास्तुकला और भव्य महलों के लिए प्रसिद्ध है।
  2. मुगल और मराठा काल: 16वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य ने मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से को अपने अधीन कर लिया। अकबर और उनके उत्तराधिकारियों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। 18वीं शताब्दी में मुगलों की कमजोरी के बाद, मराठाओं ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की। सिंधिया (ग्वालियर), होल्कर (इंदौर), और भोपाल के नवाबों का इस क्षेत्र में प्रमुख स्थान रहा।

ब्रिटिश काल:

  1. अंग्रेजों का शासन: 19वीं शताब्दी की शुरुआत में अंग्रेजों ने मराठाओं को हराकर मध्य प्रदेश पर नियंत्रण प्राप्त किया। इस दौरान मध्य प्रदेश को कई छोटी-छोटी रियासतों में बांटा गया था, जैसे ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, और रीवा। ये रियासतें सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन थीं।

स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक काल:

  1. स्वतंत्रता संग्राम: मध्य प्रदेश के लोग भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल रहे। 1857 के विद्रोह के दौरान तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई जैसी क्रांतिकारी हस्तियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इसके अलावा, महात्मा गांधी के नेतृत्व में भी इस क्षेत्र ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।
  2. विभाजन और गठन: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, मध्य भारत की विभिन्न रियासतों को मिलाकर 1956 में मध्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया। पहले इसकी राजधानी नागपुर थी, लेकिन राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत जब महाराष्ट्र अलग राज्य बना, तो भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी बनी।
  3. छत्तीसगढ़ का गठन: 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से विभाजित होकर एक नया राज्य छत्तीसगढ़ का गठन हुआ। इससे पहले छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का ही हिस्सा था।

संस्कृति और धरोहर:

मध्य प्रदेश का इतिहास यहां की सांस्कृतिक धरोहरों में झलकता है। खजुराहो के मंदिर, सांची का स्तूप, और भीमबेटका की गुफाएं इसका प्रमाण हैं। यह क्षेत्र कई प्राचीन सभ्यताओं और शासकों का केंद्र रहा है, जिससे यह राज्य ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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