पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो एस सिंह बघेल और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 5 मार्च 2025 को नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय सम्मेलन में पंचायती राज मंत्रालय की आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत पहल की शुरूआत की।
यह पहल मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 समारोह का एक हिस्सा है। इस पहल का प्राथमिक उदेश्य प्रत्येक जिले में कम से कम एक आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत की स्थापना करना है।
क्रेंद सरकार ने नई दिल्ली में प्रारंभ की आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायत पहल || Central Government launched ideal women friendly Gram Panchayat initiative in New Delhi

आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत पहल का इतिहास
1. शुरुआत और उद्देश्य:
आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत पहल की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा 5 मार्च 2025 को नई दिल्ली में की गई। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देना है। सरकार चाहती है कि देश के हर जिले में कम से कम एक ऐसी ग्राम पंचायत हो, जो महिलाओं के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करे।
2. प्रेरणा और पृष्ठभूमि:
- यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसमें पंचायतों को समावेशी और सशक्त बनाने पर जोर दिया गया है।
- पंचायती राज मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मिलकर इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की।
- 73वें संविधान संशोधन (1992) में पंचायतों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इस पहल का उद्देश्य मात्र आरक्षण से आगे बढ़कर महिलाओं की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करना है।
3. प्रमुख घटनाएँ:
- 5 मार्च 2025: पहल की आधिकारिक शुरुआत हुई। वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम और निगरानी डैशबोर्ड लॉन्च किया गया।
- 8 मार्च 2025 (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस): देशभर में महिला ग्राम सभाओं का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं के सशक्तिकरण पर चर्चा हुई।
- आगे की योजना: प्रत्येक जिले में आदर्श ग्राम पंचायतों की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहन और तकनीकी सहायता दी जाएगी।
4. विशेषताएँ और प्रभाव:
- महिला नेतृत्व: महिलाओं को ग्राम पंचायतों में नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
- सुरक्षित वातावरण: गांवों में महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए विशेष योजनाएँ चलाई जाएँगी।
- आर्थिक सशक्तिकरण: स्वयं सहायता समूह (SHG) और महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाएगा।
- डिजिटल निगरानी: एक डैशबोर्ड बनाया गया है जो महिलाओं की भागीदारी और पंचायतों की प्रगति पर नज़र रखेगा।
यह पहल भारत में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे उन्हें पंचायतों में प्रभावी भागीदारी और निर्णय लेने की शक्ति मिलेगी।
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