अंतर्राष्ट्रीय संगठन और उसके मुख्यालय || International Organizations and their Headquarters

हम जानते है कि अंतर्राष्ट्रीय संगठन विभिन्न देशों के बीच सहयोग, संवाद और संयुक्त कार्यवाही को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित किए गए संस्थान होते हैं। ये संगठन वैश्विक मुद्दों जैसे शांति, सुरक्षा, आर्थिक विकास, मानव अधिकार, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय से संबंधित होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का मुख्यालय आमतौर पर प्रमुख शहरों में स्थित होता है, जहां से वे अपने सदस्य देशों के साथ मिलकर कार्य करते हैं।

यहाँ कुछ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठन और उनके मुख्यालय दिए गए हैं:

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance, ISA) एक अंतर सरकारी संगठन है जिसे भारत और फ्रांस ने मिलकर 30 नवंबर 2015 को पेरिस, फ्रांस में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 21) के दौरान लॉन्च किया था। इसका मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और सौर ऊर्जा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए सहयोग को सुदृढ़ करना है।

अवलोकन:

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 30 नवंबर 2015 को भारत और फ्रांस द्वारा की गई थी।
  • इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करना है।
  • आईएसए का मुख्यालय गुरुग्राम, हरियाणा, भारत में है।

लक्ष्य:

  • 2030 तक अपने सदस्य देशों में 175 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करना।
  • सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की लागत कम करना और उनकी पहुंच बढ़ाना।
  • सौर ऊर्जा के विकास के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना।

सदस्यता:

  • 106 देश आईएसए के सदस्य हैं।
  • इनमें से 80 से अधिक देशों ने सौर ऊर्जा विकास के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं।

उपलब्धियां:

  • आईएसए ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए कई धनराशि जुटाई है।
  • इसने सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए मानकों और दिशानिर्देशों को विकसित किया है।
  • इसने सौर ऊर्जा जागरूकता बढ़ाने और क्षमता निर्माण के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

भारत की भूमिका:

  • भारत आईएसए का संस्थापक सदस्य और एक प्रमुख प्रस्तावक है।
  • भारत ने आईएसए के मुख्यालय की स्थापना के लिए जमीन और धन प्रदान किया है।
  • भारत ने आईएसए के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और सौर ऊर्जा के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है

अफ्रीकी संघ

अफ्रीकी संघ (African Union, AU) एक महाद्वीपीय संघ है जिसमें अफ्रीका के 55 देश सदस्य हैं। यह संगठन अफ्रीका के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।

मुख्यालय

अफ्रीकी संघ का मुख्यालय अदीस अबाबा, इथियोपिया में स्थित है।

इतिहास और स्थापना

अफ्रीकी संघ की स्थापना 26 मई 2001 को हुई थी, लेकिन इसे आधिकारिक रूप से 9 जुलाई 2002 को दक्षिण अफ्रीका के डरबन में लॉन्च किया गया। यह संगठन अफ्रीकी एकता संगठन (Organisation of African Unity, OAU) की जगह बना, जो 25 मई 1963 को स्थापित किया गया था।

उद्देश्य और लक्ष्य

अफ्रीकी संघ के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. अफ्रीकी महाद्वीप का एकीकरण – राजनीतिक और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना।
  2. शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करना – क्षेत्रीय संघर्षों और विवादों का समाधान करना।
  3. अफ्रीकी विकास को बढ़ावा देना – सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के लक्ष्यों को प्राप्त करना।
  4. अफ्रीकी नागरिकों के मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा करना – मानवाधिकारों की सुरक्षा और लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को प्रोत्साहित करना।
  5. संयुक्त रक्षा और सुरक्षा नीति – महाद्वीपीय रक्षा और सुरक्षा नीति का निर्माण और कार्यान्वयन।

प्रमुख संस्थाएँ

अफ्रीकी संघ की विभिन्न संस्थाएँ और अंग हैं जो इसके कार्यों को संचालित करने में मदद करते हैं:

  1. अफ्रीकी संघ सम्मेलन (Assembly of the African Union) – AU का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय।
  2. अफ्रीकी संघ आयोग (African Union Commission) – AU का सचिवालय और इसके प्रशासनिक कार्यों का संचालन करता है।
  3. अफ्रीकी संसद (Pan-African Parliament) – अफ्रीका के नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक संसदीय निकाय।
  4. अफ्रीकी न्याय और मानवाधिकार न्यायालय (African Court on Human and Peoples’ Rights) – मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को सुनने और न्याय प्रदान करने वाला न्यायालय।

प्रमुख कार्यक्रम और पहल

अफ्रीकी संघ ने कई प्रमुख कार्यक्रम और पहलें शुरू की हैं, जैसे:

  1. सतत विकास के लिए अफ्रीकी एजेंडा 2063 (Agenda 2063) – अफ्रीका के सतत विकास और समृद्धि के लिए एक दीर्घकालिक रणनीतिक योजना।
  2. साइलेंस द गन्स (Silencing the Guns) – 2020 तक अफ्रीका में सभी युद्धों को समाप्त करने का उद्देश्य।
  3. CAADP (Comprehensive Africa Agriculture Development Programme) – अफ्रीका में कृषि और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक पहल।

शंधई सहयोग संगठन

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization, SCO) एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो एशिया के विभिन्न देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।

मुख्यालय

SCO का मुख्यालय बीजिंग, चीन में स्थित है।

स्थापना और इतिहास

SCO की स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई, चीन में हुई थी। इस संगठन का उद्गम “शंघाई फाइव” नामक समूह से हुआ था, जो 1996 में चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के बीच स्थापित हुआ था। 2001 में, उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद इस समूह का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) कर दिया गया।

सदस्य देश

वर्तमान में SCO के आठ सदस्य देश हैं:

  1. चीन
  2. रूस
  3. कजाखस्तान
  4. किर्गिस्तान
  5. ताजिकिस्तान
  6. उज़्बेकिस्तान
  7. भारत (2017 में शामिल)
  8. पाकिस्तान (2017 में शामिल)

इसके अलावा, SCO में चार पर्यवेक्षक राज्य और कई संवाद सहयोगी भी हैं।

उद्देश्य और लक्ष्य

SCO के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना – आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद से लड़ाई।
  2. आर्थिक सहयोग – व्यापार, निवेश, ऊर्जा और अन्य आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
  3. सांस्कृतिक और मानवतावादी सहयोग – शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी, संस्कृति, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग को बढ़ावा देना।
  4. सदस्य देशों के बीच विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ाना – सैन्य और सुरक्षा मामलों में आपसी विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।

प्रमुख संस्थाएँ

SCO की विभिन्न संस्थाएँ और अंग हैं जो इसके कार्यों को संचालित करने में मदद करते हैं:

  1. SCO का शिखर सम्मेलन (SCO Summit) – SCO का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय।
  2. SCO सचिवालय – संगठन के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करने वाला निकाय।
  3. क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (Regional Anti-Terrorist Structure, RATS) – आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद के खिलाफ सहयोग को बढ़ावा देने वाला निकाय।
  4. SCO परिषद – विभिन्न सदस्य देशों के सरकार और विदेश मंत्रियों का सम्मिलित निकाय।

प्रमुख कार्यक्रम और पहल

SCO ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख कार्यक्रम और पहलें शुरू की हैं, जैसे:

  1. आर्थिक और व्यापारिक सहयोग – SCO के सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना।
  2. सुरक्षा सहयोग – आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद के खिलाफ संयुक्त अभ्यास और सहयोग।
  3. सांस्कृतिक और मानवतावादी सहयोग – शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी, और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।

SCO का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना और सदस्य देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना है।

बिम्सटेक

बिम्सटेक (BIMSTEC – Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) एक क्षेत्रीय संगठन है, जो बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। बिम्सटेक का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।

सदस्य देश

बिम्सटेक के सात सदस्य देश हैं:

  1. बांग्लादेश
  2. भारत
  3. म्यांमार
  4. श्रीलंका
  5. थाईलैंड
  6. नेपाल
  7. भूटान

मुख्यालय

बिम्सटेक का स्थायी सचिवालय ढाका, बांग्लादेश में स्थित है।

इतिहास और स्थापना

बिम्सटेक की स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणापत्र के माध्यम से की गई थी। शुरू में इसे BIST-EC (Bangladesh, India, Sri Lanka, Thailand Economic Cooperation) कहा जाता था, लेकिन म्यांमार के जुड़ने के बाद इसे BIMST-EC (Bangladesh, India, Myanmar, Sri Lanka, Thailand Economic Cooperation) और फिर नेपाल और भूटान के जुड़ने के बाद इसे BIMSTEC कहा गया।

उद्देश्य और लक्ष्य

बिम्सटेक के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना – व्यापार, निवेश, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, मत्स्य पालन, कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद निरोध, पर्यावरण, संस्कृति और जनसंपर्क के क्षेत्रों में सहयोग।
  2. क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना – सदस्य देशों के बीच आर्थिक और तकनीकी एकीकरण को बढ़ावा देना।
  3. सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना – आर्थिक विकास को तेज करना और गरीबी को कम करना।

प्रमुख संस्थाएँ

बिम्सटेक की विभिन्न संस्थाएँ और अंग हैं जो इसके कार्यों को संचालित करने में मदद करते हैं:

  1. बिम्सटेक शिखर सम्मेलन – बिम्सटेक का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय, जो सदस्य देशों के प्रमुखों द्वारा आयोजित होता है।
  2. मंत्रिपरिषद – सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मिलित निकाय।
  3. कार्य समूह और समितियाँ – विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गठित समूह और समितियाँ।
  4. बिम्सटेक सचिवालय – संगठन के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करने वाला निकाय।

प्रमुख कार्यक्रम और पहल

बिम्सटेक ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख कार्यक्रम और पहलें शुरू की हैं, जैसे:

  1. बिम्सटेक फ्री ट्रेड एरिया – सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के लिए।
  2. क्षेत्रीय कनेक्टिविटी – परिवहन और संचार के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए।
  3. ऊर्जा सहयोग – ऊर्जा संसाधनों के विकास और उपयोग में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए।
  4. सतत विकास – कृषि, मत्स्य पालन, और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए।

बिम्सटेक का उद्देश्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को मजबूत करना और क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है।

विश्व व्यापार संगठन

विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization, WTO) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो विश्व व्यापार नियमों को स्थापित और लागू करने के लिए कार्य करता है। यह संगठन सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों के समाधान में मदद करता है और वैश्विक व्यापार को सुगम बनाने के लिए नियमों और समझौतों का संचालन करता है।

मुख्यालय

WTO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।

स्थापना और इतिहास

WTO की स्थापना 1 जनवरी 1995 को हुई थी, लेकिन इसका इतिहास इससे पहले के सामान्य समझौते पर व्यापार और टैरिफ (General Agreement on Tariffs and Trade, GATT) पर आधारित है, जिसे 1948 में स्थापित किया गया था। WTO GATT का उत्तराधिकारी है और इसे विश्व व्यापार प्रणाली को और अधिक व्यापक और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।

सदस्यता

वर्तमान में WTO के 164 सदस्य देश हैं, जो वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा नियंत्रित करते हैं।

उद्देश्य और लक्ष्य

WTO के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. वैश्विक व्यापार को उदार बनाना – व्यापार बाधाओं को कम करना और सदस्य देशों के बीच मुक्त और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना।
  2. व्यापार विवादों का समाधान – सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों को निष्पक्ष और शीघ्रता से सुलझाना।
  3. व्यापार नियमों का पालन सुनिश्चित करना – व्यापार समझौतों और नियमों का पालन करने में सदस्य देशों की सहायता करना।
  4. व्यापार नीति की पारदर्शिता – सदस्य देशों की व्यापार नीतियों की नियमित समीक्षा और निगरानी करना।
  5. विकासशील देशों की सहायता करना – विकासशील देशों को व्यापार के क्षेत्र में सहयोग और समर्थन प्रदान करना।

प्रमुख संस्थाएँ

WTO की विभिन्न संस्थाएँ और अंग हैं जो इसके कार्यों को संचालित करने में मदद करते हैं:

  1. मंत्री स्तरीय सम्मेलन (Ministerial Conference) – WTO का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय, जो प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित होता है।
  2. सामान्य परिषद (General Council) – WTO के दिन-प्रतिदिन के कार्यों का संचालन करता है और सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से मिलकर बना होता है।
  3. विवाद निपटान निकाय (Dispute Settlement Body) – व्यापार विवादों को सुलझाने के लिए जिम्मेदार निकाय।
  4. व्यापार नीति समीक्षा निकाय (Trade Policy Review Body) – सदस्य देशों की व्यापार नीतियों की निगरानी और समीक्षा करता है।
  5. सचिवालय (Secretariat) – संगठन के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करता है, जिसका नेतृत्व महानिदेशक (Director-General) करते हैं।

प्रमुख कार्यक्रम और पहल

WTO ने विभिन्न कार्यक्रम और पहलें शुरू की हैं, जैसे:

  1. दोहा विकास एजेंडा (Doha Development Agenda) – व्यापार वार्ताओं का एक दौर जो विकासशील देशों के लाभ के लिए शुरू किया गया था।
  2. ट्रेड फैसिलिटेशन एग्रीमेंट (Trade Facilitation Agreement) – व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक कुशल बनाने के लिए।
  3. मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreements) – सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों को बढ़ावा देना।

WTO का उद्देश्य वैश्विक व्यापार प्रणाली को स्थिर, निष्पक्ष और पूर्वानुमेय बनाना है, जिससे सभी सदस्य देशों को आर्थिक विकास और समृद्धि प्राप्त हो सके।

दक्षिण पूर्वी एशियाई देशो का संघ

दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का संघ (Association of Southeast Asian Nations, ASEAN) एक क्षेत्रीय संगठन है, जो दक्षिण पूर्व एशिया के दस देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।

सदस्य देश

ASEAN के दस सदस्य देश हैं:

  1. ब्रुनेई
  2. कंबोडिया
  3. इंडोनेशिया
  4. लाओस
  5. मलेशिया
  6. म्यांमार
  7. फिलीपींस
  8. सिंगापुर
  9. थाईलैंड
  10. वियतनाम

मुख्यालय

ASEAN का मुख्यालय जकार्ता, इंडोनेशिया में स्थित है।

स्थापना और इतिहास

ASEAN की स्थापना 8 अगस्त 1967 को बैंकॉक, थाईलैंड में हुई थी। इसके संस्थापक सदस्य देश थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और फिलीपींस थे। इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच शांति, स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था। बाद में अन्य देशों ने भी इसमें शामिल होकर इसे एक मजबूत और व्यापक संगठन बना दिया।

उद्देश्य और लक्ष्य

ASEAN के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना – सदस्य देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों और सुरक्षा को बढ़ावा देना।
  2. आर्थिक विकास और समृद्धि – आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना।
  3. सदस्य देशों के बीच सहयोग – शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी, परिवहन, पर्यावरण और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
  4. विकासशील देशों की सहायता करना – क्षेत्र के विकासशील देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
  5. सामूहिक आत्मनिर्भरता – क्षेत्रीय समस्याओं को मिलकर सुलझाने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।

प्रमुख संस्थाएँ

ASEAN की विभिन्न संस्थाएँ और अंग हैं जो इसके कार्यों को संचालित करने में मदद करते हैं:

  1. ASEAN शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit) – ASEAN का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय, जिसमें सदस्य देशों के प्रमुख शामिल होते हैं।
  2. ASEAN मंत्रियों की बैठकें (ASEAN Ministerial Meetings) – विभिन्न क्षेत्रों में मंत्रिस्तरीय स्तर पर बैठकें होती हैं, जैसे कि विदेश, रक्षा, आर्थिक, आदि।
  3. ASEAN सचिवालय (ASEAN Secretariat) – संगठन के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करने वाला निकाय।
  4. ASEAN क्षेत्रीय मंच (ASEAN Regional Forum, ARF) – क्षेत्रीय सुरक्षा और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा और सहयोग के लिए एक मंच।
  5. पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit, EAS) – ASEAN के सदस्य देशों और अन्य प्रमुख एशियाई देशों के बीच वार्षिक बैठक।

प्रमुख कार्यक्रम और पहल

ASEAN ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख कार्यक्रम और पहलें शुरू की हैं, जैसे:

  1. ASEAN मुक्त व्यापार क्षेत्र (ASEAN Free Trade Area, AFTA) – सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।
  2. ASEAN आर्थिक समुदाय (ASEAN Economic Community, AEC) – क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना।
  3. सांस्कृतिक सहयोग – सांस्कृतिक आदान-प्रदान और साझेदारी को बढ़ावा देना।
  4. पर्यावरण संरक्षण – पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए पहल।
  5. शिक्षा और तकनीकी सहयोग – शिक्षा और तकनीकी के क्षेत्र में सहयोग और विकास को बढ़ावा देना।

ASEAN का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है और सदस्य देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना है।

न्यू डवलेपमेंट बैंक

न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank, NDB) एक बहुपक्षीय विकास बैंक है जिसे ब्रिक्स (BRICS) देशों – ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका – ने मिलकर स्थापित किया है। इसका उद्देश्य विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण प्रदान करना है।

मुख्यालय

NDB का मुख्यालय शंघाई, चीन में स्थित है।

स्थापना और इतिहास

NDB की स्थापना 15 जुलाई 2014 को ब्रिक्स देशों द्वारा हुई थी। इसका गठन ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास को वित्तीय समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। बैंक ने 2015 में अपनी संचालन गतिविधियाँ शुरू कीं।

उद्देश्य और लक्ष्य

NDB के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. बुनियादी ढांचे का विकास – विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तपोषण प्रदान करना।
  2. सतत विकास – सतत विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  3. वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार – वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार और स्थिरता को बढ़ावा देना।
  4. ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग – ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक और विकासात्मक सहयोग को बढ़ावा देना।

वित्तीय साधन और गतिविधियाँ

NDB विभिन्न वित्तीय साधनों और गतिविधियों के माध्यम से अपने उद्देश्यों को प्राप्त करता है:

  1. ऋण और अनुदान – बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए ऋण और अनुदान प्रदान करना।
  2. सह-वित्तपोषण – अन्य बहुपक्षीय और द्विपक्षीय विकास बैंकों के साथ मिलकर परियोजनाओं का सह-वित्तपोषण करना।
  3. तकनीकी सहायता – परियोजनाओं के लिए तकनीकी सहायता और सलाह प्रदान करना।
  4. सदस्यता विस्तार – अन्य विकासशील देशों को सदस्यता प्रदान करके बैंक की सदस्यता का विस्तार करना।

प्रमुख परियोजनाएँ

NDB ने विभिन्न सदस्य देशों में कई प्रमुख परियोजनाओं का वित्तपोषण किया है, जैसे:

  1. भारत में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ – सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण।
  2. चीन में परिवहन परियोजनाएँ – रेलवे और मेट्रो परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता।
  3. दक्षिण अफ्रीका में जल परियोजनाएँ – जल आपूर्ति और स्वच्छता परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण।
  4. ब्राजील में बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ – सड़क और परिवहन परियोजनाओं के लिए वित्तीय समर्थन।

NDB का उद्देश्य ब्रिक्स देशों और अन्य विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास को प्रोत्साहित करना है, जिससे आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा मिल सके।

एशियाई विकास बैंक

एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank, ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है, जो एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है। इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन, सतत विकास और क्षेत्रीय एकीकरण को प्रोत्साहित करना है।

मुख्यालय

ADB का मुख्यालय मनीला, फिलीपींस में स्थित है।

स्थापना और इतिहास

ADB की स्थापना 19 दिसंबर 1966 को हुई थी। इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को आर्थिक विकास और सहयोग में सहायता प्रदान करना है। यह बैंक एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों की आर्थिक प्रगति में योगदान देने के लिए वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता, अनुदान और सलाहकार सेवाएँ प्रदान करता है।

सदस्यता

ADB के वर्तमान में 68 सदस्य देश हैं, जिनमें से 49 एशिया और प्रशांत क्षेत्र के हैं और 19 गैर-क्षेत्रीय हैं।

उद्देश्य और लक्ष्य

ADB के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. गरीबी उन्मूलन – गरीबी को कम करने और जीवन स्तर को सुधारने के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करना।
  2. सतत विकास – पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, और सतत विकास परियोजनाओं को समर्थन देना।
  3. क्षेत्रीय एकीकरण – व्यापार, निवेश, परिवहन और अन्य क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
  4. समावेशी विकास – सभी वर्गों और समुदायों के समावेशी विकास को सुनिश्चित करना।
  5. सतत अवसंरचना – बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग करना, जैसे कि परिवहन, ऊर्जा, जल आपूर्ति और स्वच्छता।

वित्तीय साधन और गतिविधियाँ

ADB विभिन्न वित्तीय साधनों और गतिविधियों के माध्यम से अपने उद्देश्यों को प्राप्त करता है:

  1. ऋण और अनुदान – बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और अन्य क्षेत्रों के लिए ऋण और अनुदान प्रदान करना।
  2. तकनीकी सहायता – परियोजनाओं के लिए तकनीकी सहायता और सलाह प्रदान करना।
  3. सह-वित्तपोषण – अन्य विकास बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर परियोजनाओं का सह-वित्तपोषण करना।
  4. निजी क्षेत्र का विकास – निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करना और निवेश को बढ़ावा देना।

प्रमुख परियोजनाएँ

ADB ने विभिन्न सदस्य देशों में कई प्रमुख परियोजनाओं का वित्तपोषण किया है, जैसे:

  1. परिवहन अवसंरचना – सड़कों, रेलवे, और बंदरगाहों के विकास के लिए वित्तपोषण।
  2. ऊर्जा परियोजनाएँ – ऊर्जा उत्पादन और वितरण में सुधार के लिए वित्तीय सहायता।
  3. जल आपूर्ति और स्वच्छता – जल आपूर्ति, स्वच्छता और सीवेज प्रणाली के सुधार के लिए परियोजनाएँ।
  4. शिक्षा और स्वास्थ्य – शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुधार के लिए वित्तपोषण।
  5. कृषि और ग्रामीण विकास – कृषि उत्पादन और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सहायता।

ADB का उद्देश्य एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों में सतत आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन, और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है, जिससे इस क्षेत्र की समृद्धि और स्थिरता में योगदान किया जा सके।

राष्ट्र विकास कार्यक्रम

  • यह संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जो विकासशील देशों को गरीबी उन्मूलन, सतत विकास और लैंगिक समानता सहित विभिन्न मुद्दों पर सहायता प्रदान करती है।
  • UNDP का मुख्यालय न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में है।

कार्य:

  • UNDP विकासशील देशों के साथ मिलकर काम करता है उनकी राष्ट्रीय विकास रणनीतियों को तैयार करने और लागू करने में मदद करने के लिए।
  • यह गरीबी, भूख, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और लैंगिक समानता सहित विभिन्न मुद्दों पर कार्यक्रमों और परियोजनाओं का समर्थन करता है।
  • UNDP मानवाधिकारों, लोक प्रशासन और आपातकालीन राहत और पुनर्वास के लिए भी काम करता है।

संसाधन:

  • UNDP को स्वैच्छिक योगदान से वित्तपोषित किया जाता है, जो सदस्य देशों, निजी क्षेत्र और फाउंडेशनों से आते हैं।
  • 2020 में, UNDP का कुल बजट $6.5 बिलियन था।

उपलब्धियां:

  • UNDP ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों में योगदान दिया है, जिनमें शामिल हैं:
    • गरीबी दर को आधा करना।
    • प्राथमिक शिक्षा में नामांकन दर में वृद्धि करना।
    • बाल मृत्यु दर को कम करना।
    • महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाना।
  • UNDP ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण काम किया है।

भारत में UNDP:

  • UNDP भारत में 1958 से काम कर रहा है।
  • यह देश भर में विभिन्न विकास कार्यक्रमों और परियोजनाओं का समर्थन करता है।
  • UNDP भारत सरकार के साथ मिलकर काम करता है राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए।

ओपेक

ओपेक (OPEC) यानी “विश्व पेट्रोलियम उत्पादक देशों संघ” (Organization of the Petroleum Exporting Countries) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसमें दुनिया के मुख्य पेट्रोलियम निर्यातक देश शामिल हैं। इसका मुख्य कार्य विश्व बाजार में पेट्रोलियम के उत्पादन और मूल्यों को समन्वित करना है, ताकि सदस्य देशों के लिए सामर्थ्यपूर्ण और स्थिर बाजार प्रणाली बनाई जा सके।

अवलोकन:

  • ओपेक 13 देशों का एक अंतर सरकारी संगठन है जो दुनिया के अधिकांश कच्चे तेल का उत्पादन करता है।
  • इसकी स्थापना 1960 में हुई थी और इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में है।
  • ओपेक का उद्देश्य अपने सदस्य देशों के हितों में तेल उत्पादन और कीमतों का समन्वय करना है।

सदस्य देश:

  • अल्जीरिया
  • अंगोला
  • इक्वाडोर
  • इरान
  • इराक
  • कुवैत
  • लीबिया
  • नाइजीरिया
  • कतर
  • सऊदी अरब
  • संयुक्त अरब अमीरात
  • वेनेजुएला

कार्य:

  • ओपेक तेल उत्पादन कोटा निर्धारित करता है जो उसके सदस्य देशों द्वारा पालन किया जाना चाहिए।
  • यह तेल की कीमतों को प्रभावित करने के लिए उत्पादन कोटा को बढ़ा या घटा सकता है।
  • ओपेक तेल अनुसंधान और विकास को भी बढ़ावा देता है और ऊर्जा बाजारों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

प्रभाव:

  • ओपेक का वैश्विक तेल बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
  • इसका निर्णय तेल की कीमतों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है, जो बदले में वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
  • ओपेक की आलोचना अक्सर अपनी कीमतों को कृत्रिम रूप से उच्च रखने और उपभोक्ताओं पर बोझ डालने के लिए की जाती है।

हालिया घटनाक्रम:

  • 2020 में, COVID-19 महामारी के कारण तेल की मांग में गिरावट के बाद, ओपेक ने उत्पादन में कटौती की।
  • 2022 में, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल की कीमतों में वृद्धि के बाद, ओपेक ने धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया।
  • ओपेक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी रणनीति पर भी विचार कर रहा है।

युरोपियन संध

यूरोपीय संघ (EU) की स्थापना कई संधियों के माध्यम से हुई थी, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं:

1. रोम की संधि (1957):

  • यह छह देशों (बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, लक्जमबर्ग और नीदरलैंड) द्वारा हस्ताक्षरित की गई थी और इसने यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) की स्थापना की।
  • EEC का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था।

2. मास्ट्रिच्ट संधि (1992):

  • इसने EEC को यूरोपीय संघ (EU) में बदल दिया और एकल मुद्रा (यूरो) और एकल बाजार बनाने का प्रावधान किया।
  • इसने विदेश नीति और सुरक्षा सहयोग के लिए भी एक ढांचा स्थापित किया।

3. एम्स्टर्डम संधि (1997):

  • इसने लोकतंत्र और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए EU के संस्थानों को मजबूत किया।
  • इसने न्याय और गृह मामलों में सहयोग को भी बढ़ाया।

4. नीस संधि (2000):

  • इसने EU के संस्थानों को EU के विस्तार के लिए अनुकूलित किया।
  • इसने सदस्य देशों के बीच शक्ति का अधिक संतुलित वितरण भी स्थापित किया।

5. लिस्बन संधि (2007):

  • इसने EU के संविधान में महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिससे EU के संस्थानों को अधिक लोकतांत्रिक और कुशल बनाया गया।
  • इसने EU को मानवाधिकारों और कानून के शासन को बढ़ावा देने में अधिक मजबूत भूमिका निभाने का भी अधिकार दिया।

इन संधियों के अलावा, EU ने कई अन्य संधियों पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जो विभिन्न विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करते हैं, जैसे कि पर्यावरण, ऊर्जा और परिवहन।

यूरोपीय संधियों का प्रभाव:

  • यूरोपीय संधियों ने यूरोप को एकीकृत करने और शांति और समृद्धि का एक क्षेत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • उन्होंने एकल बाजार का निर्माण किया है, जिसने सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा दिया है।
  • उन्होंने यूरोपीय नागरिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसरों की एक विस्तृत श्रृंखला भी बनाई है।

हालांकि, यूरोपीय संधियों की कुछ आलोचना भी हुई है।

  • कुछ लोगों का तर्क है कि वे EU को बहुत अधिक शक्तिशाली बनाते हैं और सदस्य देशों की संप्रभुता को कम करते हैं।
  • दूसरों का तर्क है कि वे EU को बहुत अधिक नौकरशाही और जटिल बनाते हैं।

कुल मिलाकर, यूरोपीय संधियों का यूरोप और उसके नागरिकों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे यूरोपीय एकीकरण की आधारशिला हैं और उन्होंने शांति, समृद्धि और स्वतंत्रता का एक क्षेत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नाटो

अवलोकन:

  • नाटो एक सैन्य गठबंधन है जिसकी स्थापना 1949 में हुई थी।
  • इसका उद्देश्य अपने सदस्य देशों की रक्षा करना है।
  • नाटो का मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है।

संस्थापक सदस्य:

  • बेल्जियम
  • कनाडा
  • डेनमार्क
  • फ्रांस
  • आइसलैंड
  • इटली
  • लक्जमबर्ग
  • नीदरलैंड
  • नॉर्वे
  • पुर्तगाल
  • यूनाइटेड किंगडम
  • संयुक्त राज्य अमेरिका

वर्तमान सदस्य:

  • उपरोक्त 12 संस्थापक सदस्यों के अलावा, 29 अन्य देश नाटो में शामिल हो चुके हैं।
  • इनमें शामिल हैं: अल्बानिया, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, जॉर्जिया, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, मोंटेनेग्रो, उत्तरी मैसेडोनिया, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, तुर्की और यूक्रेन।

नाटो की संरचना:

  • नाटो का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय उत्तर अटलांटिक परिषद (NAC) है।
  • NAC में सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों या रक्षा मंत्रियों का प्रतिनिधित्व होता है।
  • नाटो का नेतृत्व महासचिव द्वारा किया जाता है, जो NAC द्वारा चुना जाता है।
  • नाटो की सैन्य बलों का नेतृत्व सुप्रीम एलाइड कमांडर अटलांटिक (SACEUR) द्वारा किया जाता है, जो एक अमेरिकी अधिकारी होता है।

नाटो का कार्य:

  • नाटो का प्राथमिक कार्य अपने सदस्य देशों की रक्षा करना है।
  • यह सामूहिक सुरक्षा के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि यदि किसी सदस्य देश पर हमला किया जाता है, तो उसे सभी सदस्य देशों द्वारा बचाव किया जाएगा।
  • नाटो संकट प्रबंधन, आतंकवाद का मुकाबला और समुद्री सुरक्षा सहित अन्य मुद्दों पर भी काम करता है।

नाटो और भारत:

  • भारत नाटो का सदस्य नहीं है, लेकिन यह संगठन के साथ एक “वर्धित साझेदारी” में है।
  • इसका मतलब है कि भारत नाटो के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण और जानकारी साझा करने में भाग लेता है।
  • भारत ने अफगानिस्तान और कोसोवो में नाटो के नेतृत्व वाले मिशनों में भी सैनिकों को तैनात किया है।

हालिया घटनाक्रम:

  • 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, नाटो ने अपनी पूर्वी सीमा पर अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत किया है।
  • संगठन ने यूक्रेन को सैन्य और वित्तीय सहायता भी प्रदान की है।
  • नाटो ने चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भी रणनीति तैयार की है।

विश्व स्वास्थ संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की एक विशेष एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार है।

डब्ल्यूएचओ की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को हुई थी, और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है।

डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य राज्य हैं, और यह 150 से अधिक देशों और क्षेत्रों में कार्यालयों का एक नेटवर्क संचालित करता है।

डब्ल्यूएचओ का मिशन “सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य स्तर को प्राप्त करना” है।

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, डब्ल्यूएचओ कई कार्य करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण
  • गैर-संक्रामक रोगों (एनसीडी) को कम करना
  • मातृ और बाल स्वास्थ्य में सुधार
  • पोषण में सुधार
  • दवाओं और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों तक पहुंच में सुधार
  • स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना

डब्ल्यूएचओ कई वैश्विक स्वास्थ्य पहलों का नेतृत्व करता है, जैसे कि:

  • ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी प्रिपेयरनेस एंड रिस्पॉन्स
  • सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) 3: गुड हेल्थ एंड वेल-बीइंग
  • यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज
  • हेल्थ इन ऑल पॉलिसीज

डब्ल्यूएचओ एक महत्वपूर्ण संगठन है जो दुनिया भर में लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए काम करता है।

यह कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहलों का नेतृत्व करता है और सदस्य देशों को सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।

डब्ल्यूएचओ के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • डब्ल्यूएचओ ने चेचक के उन्मूलन का नेतृत्व किया, और यह पोलियो और खसरा के उन्मूलन के करीब है।
  • डब्ल्यूएचओ ने एचआईवी/एड्स महामारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • डब्ल्यूएचओ ने तंबाकू नियंत्रण, मलेरिया नियंत्रण और मातृ मृत्यु दर में कमी सहित कई अन्य सफलताओं में योगदान दिया है।
  • डब्ल्यूएचओ विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जो दुनिया के स्वास्थ्य पर एक वार्षिक रिपोर्ट है।
  • डब्ल्यूएचओ विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाता है, जो हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है।

युनेस्को

संक्षिप्त परिचय:

  • युनेस्को संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषीकृत संस्था है जिसका उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से विश्व शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
  • इसकी स्थापना 16 नवंबर, 1945 को हुई थी और इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में स्थित है।
  • युनेस्को के 195 सदस्य देश हैं।

कार्यक्षेत्र:

  • युनेस्को का कार्यक्षेत्र काफी व्यापक है, इसमें शामिल हैं:
    • शिक्षा: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच को बढ़ावा देना, शिक्षकों को प्रशिक्षित करना और शिक्षा प्रणालियों को मजबूत करना।
    • विज्ञान: वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना, जलवायु परिवर्तन से निपटना और सतत विकास को बढ़ावा देना।
    • संस्कृति: विश्व की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना, सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना और अंतर-सांस्कृतिक संवाद को प्रोत्साहित करना।
    • संचार: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना, मीडिया साक्षरता को बढ़ाना और सूचना तक पहुंच को बढ़ाना।

युनेस्को की कुछ प्रमुख पहलें:

  • विश्व विरासत स्थल: युनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की एक सूची बनाए रखता है, जिनमें सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व के स्थान शामिल हैं।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची: यह सूची परंपराओं, प्रथाओं, ज्ञान और कौशल को मान्यता देती है जो पीढ़ी दर पीढ़ी पारित किए जाते हैं।
  • शिक्षा के लिए सभी: यह पहल सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।
  • मानव और जैवमंडल कार्यक्रम (MAB): यह कार्यक्रम मनुष्यों और उनके पर्यावरण के बीच संतुलन को बढ़ावा देता है।

भारत और युनेस्को:

  • भारत युनेस्को का एक संस्थापक सदस्य है और संगठन के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
  • भारत में कई विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें आगरा का किला, ताजमहल, और कोणार्क सूर्य मंदिर शामिल हैं।
  • भारत ने शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्रों में युनेस्को के साथ कई सहयोगात्मक परियोजनाओं पर काम किया है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय

अवलोकन:

  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है।
  • इसकी स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा की गई थी और यह 1946 में कार्य करना शुरू हुआ था।
  • ICJ का मुख्यालय हॉलैंड के हेग शहर में शांति भवन में स्थित है।

उद्देश्य:

  • ICJ का प्राथमिक कार्य अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार राज्यों के बीच कानूनी विवादों को हल करना है।
  • यह अंतरराष्ट्रीय कानूनी मुद्दों पर सलाहकार राय भी दे सकता है जो संयुक्त राष्ट्र महासभा या अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं।

क्षेत्राधिकार:

  • केवल वे राज्य जो ICJ के क़ानून को स्वीकार करते हैं, वे ही इसके समक्ष विवाद ला सकते हैं।
  • वर्तमान में, 193 सदस्य राष्ट्र ICJ के क़ानून के पक्ष में हैं।

न्यायाधीश:

  • ICJ में 15 न्यायाधीश होते हैं, जिनका चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ साल के कार्यकाल के लिए किया जाता है।
  • न्यायाधीशों को विभिन्न कानूनी प्रणालियों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए और वे किसी भी राष्ट्र के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं।

कार्यप्रणाली:

  • ICJ में मुकदमे लिखित और मौखिक तर्कों के माध्यम से आयोजित किए जाते हैं।
  • न्यायालय बहुमत के आधार पर निर्णय लेता है, और इसके फैसले सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होते हैं।

महत्व:

  • ICJ अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन को बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • इसके फैसले अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

कुछ प्रसिद्ध मामले:

  • कोरियाई युद्ध (1950): ICJ ने फैसला सुनाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का युद्ध में हस्तक्षेप करने का अधिकार था।
  • रॉड्स बनाम यूनाइटेड किंगडम (1957): ICJ ने फैसला सुनाया कि यूनाइटेड किंगडम ने साइप्रस में उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनकारियों के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन किया था।
  • कतर बनाम बहरीन (2018): ICJ ने फैसला सुनाया कि बहरीन ने कतर की हवाई सीमा का उल्लंघन नहीं किया था।

भारत और ICJ:

  • भारत ICJ का एक सदस्य राज्य है और उसने अतीत में कई मामलों में भाग लिया है।
  • 1992 में, पाकिस्तान ने ICJ में भारत के खिलाफ एक मामला दायर किया, जिसमें सिंधु नदी के पानी के बंटवारे पर विवाद था।
  • ICJ ने 2002 में फैसला सुनाया कि दोनों देशों को नदी के पानी के उपयोग पर बातचीत करनी चाहिए।

खाद्य एवं कृषि संगठन

अवलोकन:

  • खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भुखमरी को हराने और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम करती है।
  • इसकी स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 को हुई थी और इसका मुख्यालय रोम, इटली में स्थित है।
  • एफएओ के 195 सदस्य देश और 2 सदस्य संगठन हैं।

मिशन:

  • एफएओ का मिशन “सभी लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाना है, ताकि वे सक्रिय, स्वस्थ जीवन जी सकें।”

कार्यक्षेत्र:

  • एफएओ का कार्यक्षेत्र व्यापक है, जिसमें शामिल हैं:
    • खाद्य सुरक्षा: एफएओ खाद्य उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ावा देता है, गरीबी को कम करने और सभी के लिए भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए काम करता है।
    • कृषि विकास: एफएओ किसानों को अधिक टिकाऊ और उत्पादक तरीकों से खेती करने में मदद करता है, ताकि वे अपनी आजीविका में सुधार कर सकें।
    • पोषण: एफएओ लोगों को स्वस्थ आहार खाने और कुपोषण से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।
    • प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन: एफएओ जल, वन और भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
    • आपातकालीन राहत: एफएओ प्राकृतिक आपदाओं और संघर्षों से प्रभावित लोगों को भोजन और कृषि सहायता प्रदान करता है।

उपलब्धियां:

  • एफएओ ने पिछले दशकों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें शामिल हैं:
    • भूख में कमी: 1990 से, एफएओ ने 500 मिलियन से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी और भूख से बाहर निकलने में मदद की है।
    • बच्चों के कुपोषण में कमी: 2000 से, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में गंभीर कुपोषण की दर आधे से अधिक कम हो गई है।
    • कृषि उत्पादकता में वृद्धि: एफएओ के समर्थन से, किसानों ने अपनी पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ है।

भारत और एफएओ:

  • भारत एफएओ का एक संस्थापक सदस्य है और संगठन के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
  • एफएओ ने भारत में कई विकास परियोजनाओं का समर्थन किया है, जिसमें शामिल हैं:
    • हरित क्रांति: एफएओ ने भारत में हरित क्रांति के दौरान कृषि आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन: एफएओ ने भारत सरकार के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के विकास में सहायता प्रदान की।
    • पोषण अभियान: एफएओ भारत सरकार के पोषण अभियान का समर्थन करता है, जिसका उद्देश्य कुपोषण को कम करना है।

विश्व बैंक

विश्व बैंक समूह एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो विकासशील देशों को ऋण और अनुदान प्रदान करती है, साथ ही तकनीकी सहायता और नीति सलाह भी देती है।

यह समूह पांच संस्थाओं से बना है:

  • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD): यह विश्व बैंक समूह का सबसे बड़ा और सबसे पुराना सदस्य है। यह मध्यम-आय वाले देशों को ऋण और अनुदान प्रदान करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA): यह कम आय वाले देशों को रियायती ऋण और अनुदान प्रदान करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय निगम (IFC): यह निजी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए ऋण, इक्विटी और अन्य निवेश प्रदान करता है।
  • बहुपक्षीय निवेश बीमा एजेंसी (MIGA): यह राजनीतिक जोखिम और गैर-व्यावसायिक जोखिमों के खिलाफ निवेशकों को बीमा सुरक्षा प्रदान करता है।
  • वैश्विक निवेशक सुविधा (GIF): यह कम आय वाले देशों में बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं में निवेश को आकर्षित करने के लिए ऋण और अनुदान प्रदान करता है।

विश्व बैंक का उद्देश्य:

  • गरीबी को कम करना और विकास को बढ़ावा देना: विश्व बैंक का प्राथमिक उद्देश्य गरीबी को कम करना और विकासशील देशों में समृद्धि को बढ़ावा देना है।
  • टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना: विश्व बैंक टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करता है, जिसमें पर्यावरण की रक्षा, सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना शामिल है।
  • वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना: विश्व बैंक विकासशील देशों और विकसित देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।

विश्व बैंक का कार्य:

  • ऋण और अनुदान प्रदान करना: विश्व बैंक विकासशील देशों को बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य विकास परियोजनाओं के लिए ऋण और अनुदान प्रदान करता है।
  • तकनीकी सहायता प्रदान करना: विश्व बैंक विकासशील देशों को नीति निर्माण, परियोजना प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों में तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • नीति सलाह प्रदान करना: विश्व बैंक विकासशील देशों को आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन और टिकाऊ विकास से संबंधित नीति सलाह प्रदान करता है।

विश्व बैंक और भारत:

  • भारत विश्व बैंक का एक संस्थापक सदस्य है और ऋण और अनुदान सहित इसके विभिन्न कार्यक्रमों से लाभान्वित हुआ है।
  • विश्व बैंक ने भारत के बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कृषि क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • भारत वर्तमान में विश्व बैंक से ऋण लेने वाला सबसे बड़ा देश है।

विश्व बैंक के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • विश्व बैंक का मुख्यालय वाशिंगटन, डी.सी. में है।
  • विश्व बैंक के 189 सदस्य देश हैं।
  • विश्व बैंक का अध्यक्ष डेविड मलपास हैं।
  • विश्व बैंक का वार्षिक बजट लगभग 80 अरब अमेरिकी डॉलर है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

अवलोकन:

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो वैश्विक मौद्रिक स्थिरता को बढ़ावा देने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने और देशों को वित्तीय संकटों का सामना करने में मदद करने के लिए काम करती है।
  • इसकी स्थापना 22 जुलाई, 1944 को ब्रेटन वुड्स, न्यू हैम्पशायर, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी और इसका मुख्यालय वाशिंगटन, डी.सी. में है।
  • IMF के 190 सदस्य देश हैं।

उद्देश्य:

  • IMF के चार मुख्य उद्देश्य हैं:
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा सहयोग को बढ़ावा देना: IMF सदस्य देशों के बीच मुद्रा विनिमय दरों को स्थिर करने और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली में सुधार करने के लिए काम करता है।
    • वैश्विक व्यापार को सुविधाजनक बनाना: IMF मुक्त और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने और व्यापार बाधाओं को कम करने के लिए काम करता है।
    • देशों को वित्तीय संकटों का सामना करने में मदद करना: IMF देशों को ऋण प्रदान करके और नीति सलाह देकर वित्तीय संकटों का सामना करने में मदद करता है।
    • विश्व अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना: IMF वैश्विक अर्थव्यवस्था की निगरानी करता है और देशों को अपनी आर्थिक नीतियों में सुधार करने के लिए सलाह देता है।

कार्यक्षेत्र:

  • IMF का कार्यक्षेत्र काफी व्यापक है, जिसमें शामिल हैं:
    • मुद्रा निगरानी: IMF सदस्य देशों की मुद्रा विनिमय दरों और मौद्रिक नीतियों की निगरानी करता है।
    • वित्तीय स्थिरता: IMF वित्तीय प्रणाली की स्थिरता को बढ़ावा देने और वित्तीय संकटों को रोकने के लिए काम करता है।
    • ऋण और सहायता: IMF देशों को ऋण और सहायता प्रदान करता है जो वित्तीय संकटों का सामना कर रहे हैं।
    • नीति सलाह: IMF देशों को उनकी आर्थिक नीतियों में सुधार करने के लिए सलाह देता है।
    • अनुसंधान और डेटा: IMF वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अनुसंधान करता है और आर्थिक डेटा प्रकाशित करता है।

विश्व अर्थव्यवस्था में IMF की भूमिका:

  • IMF वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह मुद्रा स्थिरता को बनाए रखने, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने और देशों को वित्तीय संकटों से उबरने में मदद करने में मदद करता है।
  • IMF वैश्विक अर्थव्यवस्था पर एक महत्वपूर्ण आवाज भी है और यह नीति निर्माताओं को आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में मदद करने के लिए सलाह और सिफारिशें प्रदान करता है।

भारत और IMF:

  • भारत IMF का एक संस्थापक सदस्य है और संगठन के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
  • भारत ने अतीत में IMF से ऋण लिया है और वित्तीय सहायता प्राप्त की है।
  • भारत IMF के कोटा में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है, जो संगठन के वित्तपोषण में योगदान देता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ

अवलोकन:

  • संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना, देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और मानव अधिकारों की रक्षा करना है।
  • इसकी स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में 51 देशों द्वारा की गई थी।
  • वर्तमान में, UN के 193 सदस्य देश हैं।
  • UN का मुख्यालय न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में है।

उद्देश्य:

  • UN चार्टर के अनुसार, UN के मुख्य उद्देश्य हैं:
    • अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना: UN अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने और युद्धों को रोकने का प्रयास करता है।
    • देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना: UN विभिन्न क्षेत्रों में देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है, जैसे कि अर्थव्यवस्था, विकास, मानवाधिकार और पर्यावरण।
    • मानव अधिकारों की रक्षा करना: UN मानव अधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
    • मानवीय सहायता प्रदान करना: UN प्राकृतिक आपदाओं और संघर्षों से प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करता है।

संरचना:

  • UN छह मुख्य अंगों से बना है:
    • महासभा: यह UN का मुख्य विचार-विमर्श और नीति-निर्माण निकाय है। इसमें सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व होता है।
    • सुरक्षा परिषद: यह UN का मुख्य शांति और सुरक्षा निकाय है। इसमें पांच स्थायी सदस्य (चीन, फ्रांस, रूस, यूके और यूएस) और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं।
    • आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC): यह UN का आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर समन्वय निकाय है। इसमें 54 सदस्य देश होते हैं।
    • सचिवालय: यह UN का प्रशासनिक निकाय है। इसका नेतृत्व महासचिव करते हैं, जिन्हें महासभा द्वारा चुना जाता है।
    • अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ): यह UN का प्रमुख न्यायिक अंग है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार राज्यों के बीच कानूनी विवादों को हल करता है।
    • संयुक्त राष्ट्र ट्रस्टीशिप परिषद: यह परिषद अब निष्क्रिय है क्योंकि सभी ट्रस्ट क्षेत्रों को स्वतंत्रता प्राप्त हो चुकी है।

कार्यक्षेत्र:

  • UN का कार्यक्षेत्र बहुत व्यापक है और इसमें कई क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • शांति और सुरक्षा: UN शांतिरक्षक मिशन तैनात करता है, युद्ध विराम वार्ता की सुविधा देता है और हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देता है।
    • मानवाधिकार: UN मानवाधिकारों की निगरानी करता है, मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करता है और मानवाधिकार कानूनों का विकास करता है।
    • विकास: UN विकास सहायता प्रदान करता है, गरीबी को कम करने और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
    • मानवीय सहायता: UN प्राकृतिक आपदाओं और संघर्षों से प्रभावित लोगों को भोजन, आश्रय और चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है।
    • पर्यावरण: UN जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता हानि जैसी पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए काम करता है।
    • आर्थिक और सामाजिक विकास: UN व्यापार, निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, साथ ही शिक्षा, स्वा

इंटरपोल

अवलोकन:

  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो दुनिया भर में पुलिस सहयोग और अपराध नियंत्रण की सुविधा प्रदान करता है।
  • इसकी स्थापना 7 सितंबर, 1923 को वियना, ऑस्ट्रिया में हुई थी और इसका मुख्यालय लियोन, फ्रांस में है।
  • इंटरपोल के 195 सदस्य देश हैं।

उद्देश्य:

  • इंटरपोल का प्राथमिक उद्देश्य सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय अपराधों की रोकथाम और नियंत्रण में सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • इसमें शामिल हैं:
    • आतंकवाद
    • संगठित अपराध
    • मादक पदार्थों की तस्करी
    • मानव तस्करी
    • आर्थिक अपराध
    • साइबर अपराध

कार्यक्षेत्र:

  • इंटरपोल का कार्यक्षेत्र काफी व्यापक है, जिसमें शामिल हैं:
    • सूचना साझा करना: इंटरपोल सदस्य देशों के बीच अपराधियों, अपराधों और अपराधी गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा करता है।
    • अनुसंधान और विश्लेषण: इंटरपोल अपराध के रुझानों का विश्लेषण करता है और सदस्य देशों को अपराधों की रोकथाम और जांच में सहायता प्रदान करता है।
    • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: इंटरपोल पुलिस अधिकारियों को अपराध जांच, फोरेंसिक विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
    • ऑपरेशनल सहायता: इंटरपोल सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय अपराध जांच में सहायता प्रदान करता है, जिसमें गिरफ्तारी वारंट जारी करना और अपराधियों को प्रत्यर्पित करना शामिल है।

तकनीक का उपयोग:

  • इंटरपोल अपराधों से लड़ने में मदद करने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करता है।
  • इसमें शामिल हैं:
    • इंटरपोल सूचना प्रणाली (I24/7): यह एक सुरक्षित वैश्विक नेटवर्क है जो सदस्य देशों को अपराध-संबंधी जानकारी साझा करने की अनुमति देता है।
    • इंटरपोल डीएनए डेटाबेस: यह दुनिया का सबसे बड़ा पुलिस डीएनए डेटाबेस है, जिसमें अपराधियों और अपराध दृश्यों से डीएनए प्रोफाइल शामिल हैं।
    • इंटरपोल चेहरे की पहचान प्रणाली: यह प्रणाली पुलिस को तस्वीरों और वीडियो से व्यक्तियों की पहचान करने में मदद करती है।

भारत और इंटरपोल:

  • भारत 1950 से इंटरपोल का सदस्य है और संगठन के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
  • भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय अपराध जांच में इंटरपोल के साथ सहयोग किया है।
  • 2018 में, भारत को इंटरपोल के कार्यकारी समिति के लिए चुना गया था, जो पहली बार हुआ था।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और सभी के लिए बेहतर कामकाजी परिस्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए काम करती है।
  • इसकी स्थापना 1919 में वर्साय की संधि के तहत हुई थी और यह संयुक्त राष्ट्र की पहली और सबसे पुरानी विशेष एजेंसी है।
  • ILO का मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • ILO के 187 सदस्य देश हैं।

उद्देश्य:

  • ILO का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को निर्धारित करके और सामाजिक संवाद को बढ़ावा देकर सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाना है।
  • ILO का मानना ​​है कि सभी लोगों को काम करने का अधिकार है जो उनकी गरिमा और मूल्य का सम्मान करता है

कार्यक्षेत्र:

  • ILO का कार्यक्षेत्र व्यापक है, जिसमें शामिल हैं:
    • काम के अवसरों को बढ़ावा देना: ILO रोजगार सृजन और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
    • कामकाजी परिस्थितियों में सुधार करना: ILO सुरक्षा और स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और मजदूरी जैसे मुद्दों पर काम करता है।
    • सामाजिक संवाद को बढ़ावा देना: ILO सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देता है।
    • बाल श्रम का उन्मूलन: ILO बाल श्रम के उन्मूलन और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है।
    • सामाजिक समावेश को बढ़ावा देना: ILO सभी लोगों के लिए समान अवसर और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है।

महत्वपूर्ण सम्मेलन:

  • ILO ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों का एक व्यापक सेट विकसित किया है, जिन्हें सम्मेलनों के रूप में जाना जाता है।
  • इन सम्मेलनों में काम के घंटों, न्यूनतम मजदूरी, बाल श्रम, भेदभाव और सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर मानक शामिल हैं।
  • देशों को इन सम्मेलनों को अपने राष्ट्रीय कानूनों में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

भारत और ILO:

  • भारत ILO का एक संस्थापक सदस्य है और संगठन के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
  • भारत ने कई ILO सम्मेलनों को अपनाया है और अपने राष्ट्रीय कानूनों में उन्हें शामिल किया है।
  • ILO ने भारत में सामाजिक सुरक्षा, बाल श्रम उन्मूलन और रोजगार सृजन जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण काम किया है।

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