आजाद हिन्द फौज Indian National Army (INA) की स्थापना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई थी। इसका नेतृत्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था। यह सेना द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के सहयोग से बनी थी और इसका लक्ष्य भारत को अंग्रेज़ों के शासन से मुक्त कराना था। आजाद हिन्द फौज || Indian National Army (INA)

आजाद हिन्द फौज की स्थापना और विकास
- पहली स्थापना (1942)
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश सेना के भारतीय सैनिकों को जापान ने मलाया और बर्मा (अब म्यांमार) में बंदी बना लिया था।
- जापान के सहयोग से कैप्टन मोहन सिंह ने 1942 में पहली बार आजाद हिन्द फौज की स्थापना की, लेकिन कुछ मतभेदों के कारण यह भंग हो गई।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिन्द फौज (1943)
- सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी और जापान की सहायता से 1943 में सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का पुनर्गठन किया।
- नेताजी ने “दिल्ली चलो” का नारा दिया और भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया।
- उन्होंने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” का नारा भी दिया, जिसने भारतीयों में जोश भर दिया।
आजाद हिन्द सरकार
21 अक्टूबर 1943 को नेताजी ने सिंगापुर में “आजाद हिन्द सरकार” (Provisional Government of Free India) की स्थापना की और इसे जापान, जर्मनी, इटली और अन्य देशों ने मान्यता दी।
इस सरकार के तहत आजाद हिन्द फौज ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बर्मा (म्यांमार) और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों (मणिपुर और नागालैंड) में युद्ध लड़ा।
महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ और योगदान
- इम्फाल और कोहिमा का युद्ध (1944):
आजाद हिन्द फौज ने जापानी सेना के साथ मिलकर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। - अंडमान और निकोबार द्वीप:
जापान की मदद से इन्हें ब्रिटिश शासन से मुक्त कराकर “शहीद” और “स्वराज” नाम दिया गया। - महिला रेजिमेंट – झाँसी की रानी ब्रिगेड:
कैप्टन लक्ष्मी सहगल के नेतृत्व में महिलाओं की एक अलग सैन्य टुकड़ी बनाई गई।
आजाद हिन्द फौज का पतन
- 1945 में जापान और जर्मनी की हार के बाद आजाद हिन्द फौज कमजोर पड़ गई।
- नेताजी का विमान हादसा (1945) रहस्यमय परिस्थितियों में हुआ, जिससे यह आंदोलन कमजोर हो गया।
- आजाद हिन्द फौज के कई सैनिकों को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और उन पर “लाल किला ट्रायल” (INA Trials) चलाया गया।
आजाद हिन्द फौज का प्रभाव
- इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को और तेज कर दिया।
- ब्रिटिश सरकार को यह एहसास हो गया कि भारतीय सेना और जनता उनके साथ नहीं है, जिससे 1947 में भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हुआ।
आजाद हिन्द फौज के महत्वपूर्ण बिंदु
- आजाद हिन्द फौज का गठन 1942 में किया गया था।
- आजद हिन्द फौज का विचार सर्वप्रथम मोहन सिंह को सुझाया था।
- जुलाई 1943 में रासविहारी बोस ने आजाद हिन्द फौज की कमान सुभाष चन्द्र बोस को सौंपी थी।
- नेता जी सुभाष चंन्द्र बोस ने स्वतंत्र भारत की अस्थायी सेना का गठन सिंगापुर में किया।
- सुभाष चंन्द्र बोस झॉसी रेजिमंेट के नाम से एक महिला रेजिमेंट का गठन किया था आजाद हिन्द फौज के तीन अन्य ब्रिगेडों के नाम से क्रमशः सुभाष ब्रिगेड नेहरू ब्रिगेडइ तथा गाँधी ब्रिगेड रखे गए।
- जापान देश के द्वारा सुभाष चंन्द्र बोस को अण्डमान एवं निकोबार द्वीप को सौंपा गया था।
- सुभाष चन्द्र बोस द्वारा अण्डमान तथा निकोबार का नया नामकरण शहीद द्वीप एवं स्वराज द्वीप रखा गया।
- 6 जुलाई, 1944 को आजाद हिन्द फौज के रेडियों के एक प्रसारण में महात्मा गाँधी को संबोधित करते हुए सुभाष चंद्र बोस ने कहा – भारत की स्वतंत्रता के लिए अंतिम युद्ध प्रारम्भ हो चुका है। राष्ट्रपिता! भारतीय स्वतंत्रता के इस पवित्र युद्ध में हमें आपका आशीर्वाद चाहिए।
- भारतीय स्वतंत्रा संघर्ष के दौरान, सुभाष चंद्र बोस ने द फी इंडियन लीजन नामक सेना बनाई थी।
- दिल्ली चलो, जय हिन्द तथा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजदी दूँगा का नारा नेता जी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया था।
- सुभाष चंन्द्र बोस को देश नायक की उपाधि रवीन्द्रनााि टैगोर के द्वारा प्रदान किया गया था।
- महात्मा गाँधी जी द्वारा सुभाष चन्द्र बोस को देशभक्तो का देशभक्त की उपाधि दी गई थी।
- वर्ष 1945 सरकार के प्रति निष्ठा न रखने के आरोप मे आजाद हिन्द फौज के उपर लाल किला मुकदमा चलाया गया।
- ब्रिटिश सरकार ने आजाद हिंद फौज के सैनिकों एवं अधिकारियों को गिरफतार कर नवंबर, 1945 में दिल्ली के लाल किले मे उन पर मुकदमा चलाया। इसमें तीन अभियुक्तों प्रेम सहगल, गुरुबख्श सिंह ढिल्लों एवं शाहनवाज खान को फांसी की सजा तथा राशिद अली को 7 वर्ष के कारावास का दंड निर्धारित किया गया। परन्तु बाद में जनता के भारी विरोध के कारण उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया।
- लार्ड वैवेल वायसराय के द्वारा आजाद हिन्द फौज के अभियुक्तों को क्षमा कर दिया गया।
- वर्ष 1944 में सी आर फार्मूला सी राजगोपालाचारी के द्वारा प्रस्तुत किया गया।
- भारतीय राजनीति गतिरोधी को दूर करने के लिए वैवेल योजना 14 जून 1945 को प्रस्तुत किया गया।
- वैवेल योजना पर विचार करने के लिए आयोजित शिमला सम्मेलन में कॉग्रेस की ओर से मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रतिनिधित्व किया।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लगातार छह वर्षो तक अध्यक्ष रहने वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद थे।
- आजाद हिन्द फौज के विरुद्ध मुकदमें में कांग्रेस द्वारा गठित आजाद हिन्द फौज बचाव समिति का अध्यक्ष भूला भाई देसाई थे।
- आजाद हिन्द फौज दिवस 12 नवम्बर, 1945 को मनाया गया।
निष्कर्ष
आजाद हिन्द फौज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में यह सेना भारतीयों के मन में स्वतंत्रता की ललक जगाने में सफल रही। भले ही यह फौज सैन्य रूप से जीत न सकी, लेकिन इसने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और भारतीय स्वतंत्रता को तेज कर दिया।
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