तुगलक वंश की स्थापना
5 सितम्बर, 1320 ई. को खुशरों खाँ को पराजित करके गाजी मलिक या तुगलक गाजी गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितम्बर, 1320 को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। यह वंश दिल्ली सल्तनत का हिस्सा था और खलजी वंश के बाद आया। ग़यासुद्दीन तुगलक ने मंगोल आक्रमणों से सल्तनत को बचाने के लिए मजबूत किलों और सैनिक व्यवस्थाओं का निर्माण किया।
प्रमुख शासक और उनके कार्य
- ग़यासुद्दीन तुगलक (1320-1325):
- ग़यासुद्दीन ने शासन को सुदृढ़ करने और प्रशासनिक सुधार करने के लिए कई कदम उठाए।
- तुगलकाबाद का निर्माण कराया।
- मंगोलों से रक्षा के लिए मजबूत किले और दीवारों का निर्माण कराया।
- मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351):
- ग़यासुद्दीन के पुत्र मुहम्मद बिन तुगलक ने सत्ता संभाली।
- उसकी नीतियां प्रारंभिक रूप से उदार और प्रगतिशील थीं, लेकिन बाद में उसकी अनेक योजनाएं असफल रहीं।
- राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित करना, तांबे और पीतल के सिक्कों का प्रचलन, और खुरासान और कराचिल अभियानों जैसी नीतियां उसके शासन की विशेषताएं थीं।
- उसकी योजनाएं असफल रहीं, जिससे विद्रोह और असंतोष उत्पन्न हुआ।
- फिरोज शाह तुगलक (1351-1388):
- मुहम्मद बिन तुगलक के बाद फिरोज शाह तुगलक ने सत्ता संभाली।
- उसने अपने शासनकाल में सामाजिक और आर्थिक सुधार किए।
- सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण और करों में कटौती की।
- फिरोजाबाद (आधुनिक फिरोज़शाह कोटला) और जौनपुर जैसे शहरों का निर्माण कराया।
- उसने कला, शिक्षा और संस्कृति को प्रोत्साहन दिया।
- ग़यासुद्दीन तुगलक द्वितीय (1388-1389):
- फिरोज शाह तुगलक के पश्चात ग़यासुद्दीन तुगलक द्वितीय ने शासन किया।
- उसका शासनकाल अत्यंत छोटा और अस्थिर रहा।
- अब्दुल्ला शाह (1389-1390):
- ग़यासुद्दीन तुगलक द्वितीय के बाद अब्दुल्ला शाह ने सत्ता संभाली।
- उसका शासन भी अस्थिर और विवादपूर्ण रहा।
तुगलक वंश का पतन
- तुगलक वंश का पतन तैमूर के आक्रमण के कारण हुआ।
- 1398 ई. में तैमूर लंग ने दिल्ली पर हमला किया और भारी विनाश किया।
- तैमूर के आक्रमण से तुगलक वंश की सत्ता समाप्त हो गई और दिल्ली सल्तनत कमजोर हो गई।
तुगलक वंश के शासनकाल की प्रमुख बातें :-
- गयासुदीन ने अलाउदीन के समय में लिए गए अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया।
- इसने सिचांई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया। संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला प्रथम शासक गयासुदीन था।
- गयासुदीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया । रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता है।
- गयासुदीन तुगलक की मृत्यु 1325 ई. में बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित लकडी के महल में दबकर हो गयी।
- गयासुदीन के बाद उलूग खाँ या जूना खाँ मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से 1325 में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
- मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुगलक सर्वाधिक शिक्षित विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था।
- मुहम्मद बिन तुगलक को अपनी सनक भरी योजनओं, क्रूर कृत्यो एवं दूसरे के सुख-दुख के प्रति उपेक्षा भाव रखने के कारण स्वप्नशील, पागल एवं रक्तपिपासु कहा गया।
- मुहम्मद बिन तुगलक के कुषि के विकास के लिए अमीर-ए-कोही नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की।
- मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि में स्थानान्तरित की और इसका नाम दौलाताबाद रखा।
- मुहम्मद बिन तुगलक अपने प्रत्येक मलिक के सम्मान में दो पोशाक दिया करता था – एक जाड़े में और दूसरा गर्मी में।।
- सांकेतिक मुद्रा के अन्तर्गत मुहम्मद बिन तुगलक ने काँसा (फरिश्ता के अनुसार), ताँबा (बरनी के अनुसार) आतुओं के सिक्के चलवाए, जिनका मूल्य चाँदी के रुपए टंका के बराबर होता था। एडवर्ड थॉमस ने मुहम्मद बिन तुगलक को प्रिस आफ मनीअर्स की संज्ञा दी।
- सांकेतिक मुद्रा का प्रयोग चीन के कुबलई खाँ एवं ईरान के गजन खाँ नामक एक मंगोल शासक ने भी किया था।
- अफीका (मोरक्को) यात्री इब्नबतूता लगभग 1333ई में भारत आया। सुल्तान ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया। 1342 ई में सुल्तान ने इसे अपने राजदूत के रूप मे चीन भेजा।
- इब्नबतूता की पुस्तक रेहला में मूहम्मद तुगलक के समय की घटनाओं का वर्णन है। इसमेे अपनी पुस्तक में विदेशी व्यापारियों के आवागमन, डाक चौकियों की स्थापना यानी डाक व्यवस्था एवं गुप्तचर व्यवस्था के बारे मे लिखा है। इसके अनुसार भारतीय डाक व्यवस्था दो प्रकार के थे-
- अश्व डाक व्यवस्था जिसे उलूक कहा जाता थां।
- पैदल डाक व्यवस्था जिसे दावा कहा जाता था इसने नगाड़ों की भारी ध्वनि के बीच एक स्त्री को सती होने के दृश्य का वर्णन किया है। इसके कथननुसार सती होने के लिए सुल्तान से अनुमति लेनी पडती थी।
- मुहम्मद तुगलक के समय जिया नक्शबी पहला व्यक्ति था जिसने संस्कृत कथाओं की एक श्रृंख्ला का फारसी में अनुवाद किया था। इस पुस्तक का नाम तूती नामा था जिसका पति यात्रा पर गया है।
- मुहम्मद तुगलक ने जिन प्रभू सुरी नामक जैन साधु को अपने दरबार में बुलाकर सम्मान प्रदान किया था।
- मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 20 मार्च,1365 ई को सिन्ध जाते समय थट्टा के निकट गोडाल में हो गयी।
- मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दक्षिण में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 मे ंस्वतंत्र राज्य विजयनगर की स्थापना की।
- महाराष्ट्र में अलाउदीन बहमन शाह ने 1347 ई में स्वतंत्र बहमनी राज्य की स्थापना की।
- मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर इतिहसाकार बदायूँनी लिखता है, अंततः लोगो को उससे उससे मुक्ति मिली और उसे लोगों से।
- मुहम्मद बिन तुगलक शेख अलाउदीन का शिष्य था। यह सलत्नत का पहला शासक था, जो अजमेर में शेख मुइनुदीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच में सालार मसूद गाजी के मकबरे में गया।
- मुहम्मद बिन तुगलक ने बदायूँ में मीरन मुलहीम, दिल्ली में शेख निज़ामुदीन औलिया मुल्तान में शेख रूकनुदीन, अजुधन में शेख मुलतान आदि संतों की कब्र पर मकबरे बनवाए।
- फिरोज तुगलक का राज्यभिषेक थट्टा के नजदीक 20 मार्च, 1351 को हुआ खलीफा द्वारा इसे कासिम अमीर उल मोममीन की उपाधि दी गई।
- राजस्व व्यवस्था के अनतर्गत फिरोज ने अपने शासनकाल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल चार कर – खराज (लगान) खुम्स (युद्व में लूट का माल) जजिया एवं जकात को वसूल करे का आदेश दिया।
- फिरोज तुगलक ने ब्राह्मणों पर जजिया लागू करने वाला पहला मुसलमान शासक था । फिराोज तुगलक ने एक नया कर सिचाई कर भी लगाया, जो उपज का 1 10 भाग था।
- फिरोज तुगलक ने 5 बड़ी नहरो का निर्माण करवाया।
- फिरोजतुगलक ने 300 नये नगरों की स्थापना की इनमें प्रमुख फिरोजाबाद (दिल्ली), फतेहाबाद जौनपुन फिरोजपुर प्रमुख है।
- इसके शासनकाल में खिज्राबाद टोपरा गाँव एवं मेरठ से अशेक के दो स्तम्भों को लाकर दिल्ली में स्थापित किया गया। टोपर स्थित अशोक के स्तंभ के परिवहन का चित्रित वर्णन सीरत-ए-फिरोजशाह में मिलता है।
- सुल्तान फिरोज तुगलक ने अनाथ मुस्लिम महिलाओं विधवा एवं लड़कियों की सहायता के लिए एक नए विभाग दीवान-ए-खैरात की स्थापना की।
- सल्तनतकालीन सुल्तानों के शासनकाल में सबसे अधिक दासों संख्या फिरोज तुगलक के समय थी।
- दासों की देखभाल के लिए फिरोज ने एक नए विभाग दीवान-ए-बंदगान की स्थापना की इसने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया
- इसने अपनी आत्मकथा फतुहात-ए-फिरोजशाही की रचना की।
- इसने जियाउदीन बरनी एवं शम्स-ए- शिराज अफीम को अपना संरक्षण प्रदान किया।
- इसने चाँदी एवं ताँबे के मिश्रण से निर्मित सिक्के भारी संख्या जारी करवाए, जिसे अद्धा एवं विख कहा जाता था।
- फिरोज तुगलक की मृत्यु सितम्बर,1388 ई. मे हो गयीं।
- फिरोज काल में निर्मित खान-ए-जहाँ तेजंगानी के मकबरा तुलना जेरुसलम में निर्मित उमर के मस्जिद से की जाती है।
- सुल्तान फिरोज तुगलक ने दिल्ली में कोटला फिरोजशाह दुर्ग का निर्माण करवाया।
- तुगलक वंश का अंतिम शासक नासिरुदीन महमूद तुगलक इसका शासन दिल्ली से पालम तक ही रह गया ।
- तैमूरलंग ने सुल्तान नासिरूदीन महमूद तुगलक के समय 1398 में दिल्ली पर आक्रमण किया।
- नासिरुदीन के समय मे ही मलिकुशर्शक (पूर्वाधिपति) की उपाधि धारण कर एक हिजड़ा मलिक सरवर ने जौनपूर में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की ।