त्रिपुरा (Tripura) भारत का एक पूर्वोत्तर राज्य है, जो बांग्लादेश की सीमा से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी अगरतला है। त्रिपुरा का इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाता है। त्रिपुरा की प्रमुख भाषाएं बंगाली और कोकबोरोक हैं। यहाँ के लोग आदिवासी संस्कृति और विविध परंपराओं का पालन करते हैं।
- राजधानी: अगरतला
- मुख्यमंत्री– माणिक साहा
- गवर्नर – इंद्र सेना रेड्डी नल्लू
- लोकसभा सीटें -02
- राज्यसभा सीटें -01
- विधानसभा सीटें – 60
- जिलें – 08
- आधिकारिक भाषा: कोक बोरोक
- स्थापना: 21 जनवरी 1972
- साक्षरता दर: 87.8%
- त्योहार: मकर संक्रान्ति, होली, अशोकष्टमी, राश, गरिया, धामेल, बिजू व होजगिरि उत्सव, रॉबिदर-नजरूल-सुकान्ता उत्सव, चोंग प्रेम उत्सव, खपुई उत्सव, वाह उत्सव, मुरासिंग उत्सव, संघारी उत्सव ।
- राजकीय पशु – फेयरे लंगूर
- राजकीय पक्षी – ग्रीन इंपीरियल कबूतर
- क्षेत्रफल – 76,504 वर्ग किमी.
- राजकीय फूल – नाग केसर
- लिंगानुपात – 961
- राजकीय नृत्य – गरिया नृत्य (भगवान गरिया के लिए ), लोबांग बोमानी नृत्य (महिला तथा पुरुष द्वारा बाँसों के साथ नृत्य किया जाता है), होजगिरी नृत्य (रियांग समुदाय द्वारा कमर तथा पैरों द्वारा किया जाने वाला नृत्य )। बिजू नृत्य (चकमा समुदाय द्वारा चैत्र संक्रान्ति पर )।
- उच्च न्यायालय : अगरतला
- पड़ोसी राज्य : अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय
- प्रमुख नदियाँ: खोवली, मनु, डोलोई, लांगाई, जुटी, गोमती, फैनी, मुहुरी, हओरा इत्यादि।
- प्रसिद्ध स्थान: अगरतला स्थित उज्जयन्त महल, कुंजबन महल, सेपाहीजाला वन्यजीव अभ्यारण्य ( 150 पक्षी जातियाँ, तृष्णा वन्यजीव अभ्यारण्य,
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त्रिपुरा का राजव्यवस्था:
त्रिपुरा भारतीय संविधान के तहत एक संवैधानिक राज्य है, जहाँ लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार शासन करती है। यहाँ का प्रशासनिक ढांचा अन्य भारतीय राज्यों के समान ही है।
- विधानमंडल: त्रिपुरा में एक एकसदनीय विधान सभा है, जिसमें कुल 60 सदस्य होते हैं। विधानसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं, और वे 5 वर्षों के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं।
- मुख्यमंत्री: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री राज्य के कार्यकारी प्रमुख होते हैं। वे विधानसभा के सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता होते हैं। वर्तमान में माणिक साहा (2024 तक) त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं।
- राज्यपाल: त्रिपुरा के राज्यपाल केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त होते हैं और राज्य में संविधान के संरक्षक होते हैं। राज्यपाल का कार्यकाल 5 साल का होता है। वर्तमान में सत्यदेव नारायण आर्य त्रिपुरा के राज्यपाल हैं।
- न्यायपालिका: त्रिपुरा में न्यायिक व्यवस्था के लिए त्रिपुरा उच्च न्यायालय (Agartala High Court) है, जो राज्य के न्यायिक मामलों का निपटारा करता है। इसके अतिरिक्त, निचली अदालतें और जिला अदालतें भी न्यायिक प्रक्रियाओं को संभालती हैं।
- लोकसभा और राज्यसभा: त्रिपुरा से भारतीय संसद के लिए 2 लोकसभा सदस्य और 1 राज्यसभा सदस्य चुने जाते हैं।
त्रिपुरा का इतिहास:
त्रिपुरा का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। यहाँ की संस्कृति, परंपराएँ और शासकीय व्यवस्था भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों से अलग और विशिष्ट रही है। त्रिपुरा का प्राचीन नाम ‘त्रिपुरी’ था, और इसका नाम ‘त्रिपुरा’ एक पौराणिक कथा से लिया गया है।
- राजशाही काल: त्रिपुरा का ऐतिहासिक शासक घराना ‘माणिक्य वंश’ (Manikya Dynasty) था, जिसका शासन 15वीं सदी से लेकर 20वीं सदी तक रहा। त्रिपुरा लंबे समय तक स्वतंत्र राज्य था और यहाँ का शाही परिवार यहाँ की संस्कृति और परंपराओं का मुख्य संरक्षक था।
- ब्रिटिश शासन: 19वीं शताब्दी में त्रिपुरा ब्रिटिश साम्राज्य का एक रक्षक राज्य बन गया, लेकिन इसका आंतरिक प्रशासन माणिक्य वंश के हाथों में ही रहा। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद त्रिपुरा भारत में विलय हो गया।
- भारत में विलय: त्रिपुरा का औपचारिक रूप से भारतीय संघ में 15 अक्टूबर 1949 को विलय हुआ। इस समय यह एक केंद्र शासित प्रदेश था। 1972 में त्रिपुरा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और इसके बाद यहाँ एक लोकतांत्रिक सरकार स्थापित हुई।
- आदिवासी आंदोलन और उग्रवाद: 20वीं सदी के अंत में त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष और उग्रवाद की घटनाएँ हुईं, जो आदिवासियों की पहचान और अधिकारों से जुड़ी थीं। हालाँकि, सरकार और विभिन्न संगठनों के प्रयासों से यह स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में आ गई है।