तमिलनाडु भारत का एक दक्षिणी राज्य है, जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसकी राजधानी चेन्नई (पुराना नाम मद्रास) है। राज्य की सीमाएँ उत्तर में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक, पश्चिम में केरल, और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से लगती हैं। तमिलनाडु की मुख्य भाषा तमिल है, जो दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक मानी जाती है।
- राजधानी: चेन्नई
- मुख्यमंत्री– एम॰ के॰ स्टालिन
- गवर्नर – आर एन रवि
- लोकसभा सीटें -39
- राज्यसभा सीटें – 18
- विधानसभा सीटें – 234
- जिलें -38
- आधिकारिक भाषा: तमिल
- स्थापना: 26 January 1950
- आबादी: 7.21 Cr
- साक्षरता दर: 82.09 %
- त्योहार: पोंगल,पंचांगम, नल्ला नेरम.
- राजकीय पशु –नीलगिरि तहर
- राजकीय पक्षी – पन्ना कबूतर
- क्षेत्रफल – 130,058 km2 (50,216 sq mi)
- राजकीय खेल –
- वृक्ष – ताड़
- लिंगानुपात – 996
- राजकीय नृत्य – भरतनाट्यम करगट्टम,कुम्मी,कोलाट्टम,कावड़ी आट्टम
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भौगोलिक स्थिति:
तमिलनाडु की भौगोलिक स्थिति इसे दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य बनाती है। इसकी विशेषताएँ इसे भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से समृद्ध बनाती हैं। यहां तमिलनाडु की भौगोलिक स्थिति और मुख्य विशेषताएँ दी जा रही हैं:
1. भौगोलिक स्थान:
- तमिलनाडु भारत के दक्षिणी भाग में स्थित है।
- यह उत्तर में कर्नाटक और आंध्र प्रदेश, पश्चिम में केरल, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, और दक्षिण में हिंद महासागर से घिरा है।
- तमिलनाडु का दक्षिणतम बिंदु कन्याकुमारी है, जहां बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर मिलते हैं।
2. आकार और क्षेत्रफल:
- तमिलनाडु का क्षेत्रफल लगभग 130,058 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे भारत का 10वां सबसे बड़ा राज्य बनाता है।
- इसकी समुद्र तट रेखा लगभग 1076 किलोमीटर लंबी है, जो इसे एक प्रमुख समुद्री राज्य बनाती है।
3. भौतिक विशेषताएँ:
- पूर्वी तटीय मैदान: तमिलनाडु का अधिकांश हिस्सा पूर्वी तटीय मैदान पर स्थित है, जो बंगाल की खाड़ी के किनारे फैला हुआ है। यह क्षेत्र उपजाऊ है और यहाँ धान, गन्ना और कपास की खेती की जाती है।
- नीलगिरी पहाड़ियाँ: पश्चिमी घाट की नीलगिरी पहाड़ियाँ तमिलनाडु की पश्चिमी सीमा पर स्थित हैं। यहाँ ऊटी, कोडाइकनाल जैसे प्रसिद्ध हिल स्टेशन स्थित हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
- कावेरी नदी का डेल्टा: कावेरी नदी राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। इसका डेल्टा क्षेत्र उपजाऊ है और इसे “दक्षिण का चावल का कटोरा” कहा जाता है।
- अनाईमलाई पहाड़ियाँ: ये पहाड़ियाँ तमिलनाडु और केरल की सीमा पर स्थित हैं। अनाईमलाई की सबसे ऊंची चोटी अनाईमुडी (2695 मीटर) दक्षिण भारत की सबसे ऊँची चोटी है।
4. जलवायु:
- तमिलनाडु की जलवायु मुख्यतः उष्णकटिबंधीय है।
- गर्मियों में तापमान 40°C तक पहुँच सकता है, जबकि सर्दियों में यह 15°C तक गिर सकता है।
- राज्य को मॉनसून से वर्षा मिलती है, खासकर उत्तर-पूर्वी मॉनसून से अक्टूबर से दिसंबर तक।
5. नदियाँ:
- तमिलनाडु की प्रमुख नदियों में कावेरी, वैगई, पलार, और ताम्रपर्णी शामिल हैं।
- कावेरी राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नदी है और यह कृषि के लिए जीवनरेखा के रूप में जानी जाती है। इसका डेल्टा क्षेत्र तमिलनाडु की कृषि उत्पादन का प्रमुख केंद्र है।
6. समुद्र तट:
- तमिलनाडु का लंबा तटवर्ती क्षेत्र है, जिसमें कई महत्वपूर्ण बंदरगाह और समुद्र तटीय शहर स्थित हैं।
- चेन्नई पोर्ट भारत के सबसे पुराने और प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। इसके अलावा तूतीकोरिन पोर्ट भी महत्वपूर्ण है।
7. वन और वन्यजीव:
- राज्य के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में सघन वन मिलते हैं, जिनमें कई प्रकार की जैव विविधता पाई जाती है।
- मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान, अनाईमलाई टाइगर रिज़र्व, और गिंडी राष्ट्रीय उद्यान यहाँ के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य हैं।
8. पर्यटक स्थल:
- राज्य में प्राकृतिक सुंदरता से भरे हिल स्टेशन, समुद्र तटीय शहर, और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध स्थल जैसे महाबलीपुरम, कन्याकुमारी, रामेश्वरम, और तंजावुर स्थित हैं।
1. प्राचीन इतिहास (300 ईसा पूर्व – 300 ईस्वी)
तमिलनाडु का प्राचीन इतिहास संगम काल से जुड़ा है, जो लगभग 300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक फैला हुआ था। इस काल में तमिल साहित्य और संस्कृति अपने चरम पर थी। तीन प्रमुख राजवंश – चेर, चोल, और पांड्य – इस समय प्रभावी थे:
- चेर वंश: चेर साम्राज्य का विस्तार केरल और पश्चिमी तमिलनाडु के हिस्सों तक था।
- चोल वंश: चोलों का साम्राज्य कावेरी नदी के आसपास के क्षेत्रों में फैला हुआ था, और वे समुद्री व्यापार में कुशल थे।
- पांड्य वंश: पांड्यों का शासन दक्षिणी तमिलनाडु पर था, और उनकी राजधानी मदुरै थी, जो उस समय का सांस्कृतिक केंद्र थी।
इस समय को संगम साहित्य का स्वर्णकाल माना जाता है, जिसमें तमिल कवियों ने अद्भुत साहित्यिक कृतियाँ रचीं। इस काल के साहित्य में राजा, युद्ध, प्रेम, और प्रकृति की सुंदरता का वर्णन किया गया है।
2. मध्यकालीन इतिहास (300 ईस्वी – 1600 ईस्वी)
मध्यकालीन तमिलनाडु में कई महत्वपूर्ण साम्राज्य उभरे, जिन्होंने दक्षिण भारत पर अपनी अमिट छाप छोड़ी:
- पल्लव वंश: 4वीं से 9वीं शताब्दी तक पल्लवों का शासन रहा। वे कला, संस्कृति और वास्तुकला के संरक्षक थे। पल्लव राजा महेंद्रवर्मन और नरसिंहवर्मन प्रथम के समय में महाबलीपुरम (मामल्लपुरम) में कई प्रसिद्ध मंदिर और शिल्पकृतियाँ बनवाई गईं।
- चोल वंश: 9वीं से 13वीं शताब्दी तक चोल साम्राज्य दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था। चोल सम्राट राजराजा चोल प्रथम और उनके बेटे राजेंद्र चोल प्रथम के शासनकाल में चोलों का साम्राज्य श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण पूर्व एशिया तक फैला। इस समय में तंजावुर का बृहदीश्वर मंदिर जैसे महान वास्तुशिल्प चमत्कारों का निर्माण हुआ।
- पांड्य वंश का पुनरुत्थान: चोलों के पतन के बाद पांड्यों ने पुनः सत्ता संभाली, और मदुरै उनकी राजधानी रही। पांड्य शासकों ने कई सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का निर्माण किया।
3. मुगल और यूरोपीय प्रभाव (1600 – 1850)
16वीं शताब्दी के बाद तमिलनाडु पर विजयनगर साम्राज्य और फिर मदुरै नायक वंश का प्रभाव रहा। इसके बाद यूरोपीय शक्तियाँ, विशेष रूप से पुर्तगाली, डच और ब्रिटिश, तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों में व्यापार और सत्ता के लिए आए।
- ब्रिटिश शासन: 18वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने तमिलनाडु पर धीरे-धीरे नियंत्रण करना शुरू किया। 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में, अंग्रेजों ने तमिलनाडु के अधिकांश हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया और मद्रास (अब चेन्नई) को अपना प्रमुख प्रशासनिक केंद्र बनाया। ब्रिटिश शासन के दौरान तमिलनाडु में कई सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन भी हुए।
4. आधुनिक इतिहास (1850 – 1947)
तमिलनाडु का आधुनिक इतिहास ब्रिटिश राज के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। बाल गंगाधर तिलक, वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई, सुब्रमण्यम भारती, और ई. वी. रामासामी पेरियार जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने तमिलनाडु से ब्रिटिश शासन का विरोध किया। पेरियार का “द्रविड़ आंदोलन” भी इस समय में बहुत महत्वपूर्ण था, जिसने तमिल समाज में जाति और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया।
5. स्वतंत्रता के बाद (1947 के बाद)
स्वतंत्रता के बाद, तमिलनाडु को 1956 में भाषाई आधार पर एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी गई। पहले इसका नाम “मद्रास राज्य” था, जिसे 1969 में बदलकर “तमिलनाडु” कर दिया गया।
- द्रविड़ आंदोलन: स्वतंत्रता के बाद द्रविड़ पार्टियों का उभार हुआ, विशेष रूप से DMK (Dravida Munnetra Kazhagam) और AIADMK (All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam)। ये पार्टियाँ सामाजिक सुधार और तमिल पहचान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। मुख्यमंत्री जैसे करुणानिधि और एम. जी. रामचंद्रन (MGR) ने तमिलनाडु की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है।
6. वर्तमान तमिलनाडु
वर्तमान समय में, तमिलनाडु एक अग्रणी राज्य है, जो औद्योगिकीकरण, शिक्षा, और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी है। राज्य में उच्चतम साक्षरता दर, व्यापक औद्योगिक बुनियादी ढाँचा, और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की समृद्ध परंपरा है।
तमिलनाडु की वास्तुकला, शास्त्रीय नृत्य (भरतनाट्यम), संगीत, साहित्य और संस्कृति पूरे भारत और विश्व में प्रसिद्ध हैं।
तमिलनाडु के भौगोलिक संकेतक (Geographical Indications – GI)
तमिलनाडु के भौगोलिक संकेतक (Geographical Indications – GI) टैग वाले उत्पाद विशिष्ट सांस्कृतिक, पारंपरिक, और क्षेत्रीय विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ तमिलनाडु के प्रमुख GI टैग वाले उत्पादों की सूची है:
- कांचीपुरम सिल्क साड़ी
यह साड़ी अपनी बारीक बुनाई और ज़री के काम के लिए प्रसिद्ध है। - मदुरै मल्लिगई (मदुरै की चमेली)
मदुरै क्षेत्र की यह सुगंधित चमेली का फूल विशिष्ट खुशबू के लिए जाना जाता है। - एरोड हल्दी
एरोड की हल्दी अपने उच्च गुणवत्ता और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। - सलेम सिल्क
सलेम की रेशम की साड़ियाँ अपनी चमकदार रंगों और बारीक डिजाइन के लिए जानी जाती हैं। - पालानी पंचामृतम
यह एक धार्मिक प्रसाद है जो तमिलनाडु के पालानी मंदिर में चढ़ाया जाता है और मुख्य रूप से फलों से बनाया जाता है। - तंजावुर पेंटिंग्स
यह पारंपरिक चित्रकला शैली धार्मिक और सांस्कृतिक चित्रणों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सोने की पत्तियों का उपयोग होता है। - अरानी सिल्क
अरानी की साड़ियाँ उनकी मुलायमता और बारीक शिल्पकारी के लिए प्रसिद्ध हैं। - कोरांगणी इलायची
तमिलनाडु के कोरांगणी क्षेत्र की इलायची अपनी विशिष्ट महक और स्वाद के लिए जानी जाती है। - कोयम्बटूर वेट ग्राइंडर
यह क्षेत्र विशेष रूप से वेट ग्राइंडर (गीले मसाले पीसने वाली मशीन) के लिए प्रसिद्ध है, जो पारंपरिक दक्षिण भारतीय खाना पकाने में उपयोगी है। - तंजावुर डॉल्स
यह लकड़ी की गुड़िया पारंपरिक तंजावुर शैली में बनाई जाती हैं और अपनी विशिष्ट संरचना के लिए मशहूर हैं, जिनका सिर और शरीर हल्के ढंग से हिलता है। - तिरुवन्नामलाई हिल्स गार्लिक
तिरुवन्नामलाई क्षेत्र में उगने वाला यह लहसुन अपने औषधीय गुणों और विशिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है। - नाचीयारकोइल ब्रास लैंप्स
नाचीयारकोइल के पीतल के दीये अपनी डिजाइन और शिल्पकारी के लिए प्रसिद्ध हैं, जो पारंपरिक दक्षिण भारतीय मंदिरों में उपयोग होते हैं।