आर्थिक संवृद्धि एवं विकास का विवेचना करें || Discuss economic growth and development.

आर्थिक संवृद्धि और विकास दो महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और समग्र समृद्धि को मापने के लिए उपयोग की जाती हैं। आइए इन दोनों की विस्तृत विवेचना करें:

आर्थिक संवृद्धि (Economic Growth)

परिभाषा: आर्थिक संवृद्धि से तात्पर्य देश की कुल उत्पादन और सेवाओं (GDP) में समय के साथ वृद्धि से है। यह एक मात्रात्मक अवधारणा है जो अर्थव्यवस्था के विस्तार को मापती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  1. GDP वृद्धि: आर्थिक संवृद्धि का मुख्य सूचकांक GDP है, जो एक वर्ष में देश द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य है।
  2. मात्रात्मक: यह विशुद्ध रूप से संख्यात्मक अवधारणा है और केवल उत्पादन में वृद्धि को मापता है।
  3. क्षेत्रीय योगदान: कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि इसके मुख्य कारक होते हैं।
  4. सूचना स्रोत: आर्थिक सर्वेक्षण, राष्ट्रीय आय लेखांकन, आदि स्रोतों से डेटा संकलित किया जाता है।

प्रमुख कारक:

  • पूंजी निर्माण (Capital Formation)
  • तकनीकी प्रगति (Technological Progress)
  • श्रम बल की गुणवत्ता और मात्रा (Quality and Quantity of Labor Force)
  • आर्थिक नीतियाँ (Economic Policies)

आर्थिक विकास (Economic Development)

परिभाषा: आर्थिक विकास से तात्पर्य व्यापक आर्थिक और सामाजिक कल्याण के साथ-साथ जीवन स्तर में सुधार से है। यह एक गुणात्मक अवधारणा है जो आर्थिक संवृद्धि के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को भी शामिल करती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  1. व्यापक अवधारणा: यह केवल GDP वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर में सुधार जैसी कई अन्य सामाजिक कारकों को भी शामिल करती है।
  2. गुणात्मक: यह जीवन की गुणवत्ता, समानता, और सामाजिक न्याय जैसे कारकों पर ध्यान केंद्रित करती है।
  3. सतत विकास: आर्थिक विकास का लक्ष्य सतत और समावेशी विकास है, जिसमें पर्यावरणीय स्थिरता भी शामिल है।

प्रमुख सूचकांक:

  • मानव विकास सूचकांक (Human Development Index – HDI)
  • गरीबी सूचकांक (Poverty Index)
  • बाल मृत्यु दर (Infant Mortality Rate)
  • जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)

प्रमुख कारक:

  • सामाजिक नीतियाँ (Social Policies)
  • स्वास्थ्य और शिक्षा का स्तर (Level of Health and Education)
  • आय वितरण (Income Distribution)
  • स्थायी विकास नीतियाँ (Sustainable Development Policies)

तुलना और संबंध

तुलना:

  • आर्थिक संवृद्धि एक संकीर्ण अवधारणा है जो मात्रात्मक वृद्धि पर केंद्रित है, जबकि आर्थिक विकास एक व्यापक अवधारणा है जो गुणात्मक सुधार और समग्र कल्याण पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • आर्थिक संवृद्धि के आंकड़े जैसे GDP वृद्धि, त्वरित होते हैं और आसानी से मापे जा सकते हैं। इसके विपरीत, आर्थिक विकास के सूचकांक जैसे HDI, गुणवत्ता और सामाजिक पहलुओं पर आधारित होते हैं, जो मापने में अधिक जटिल होते हैं।

संबंध:

  • आर्थिक संवृद्धि आर्थिक विकास का एक आवश्यक लेकिन अपर्याप्त हिस्सा है।
  • एक मजबूत आर्थिक संवृद्धि, जब सही नीतियों के साथ संयोजित होती है, तो व्यापक आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकती है।
  • बिना आर्थिक विकास के, आर्थिक संवृद्धि समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित नहीं कर सकती और दीर्घकालिक विकास को प्रभावित कर सकती है।

निष्कर्ष

आर्थिक संवृद्धि और विकास दोनों किसी भी देश के समृद्धि और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं। संवृद्धि से जहाँ आर्थिक शक्ति में वृद्धि होती है, वहीं विकास से समाज के सभी वर्गों का समावेशी और सतत कल्याण सुनिश्चित होता है। दोनों के बीच एक संतुलित और समन्वित दृष्टिकोण आवश्यक है ताकि देश की समग्र प्रगति और जनकल्याण सुनिश्चित हो सके।

आर्थिक संवृद्धि और विकास के महत्वपूर्ण बिंदु:

  • किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले मात्रात्मक परिवर्तन आर्थिक संवृद्धि कहलाता है।
  • प्रति व्यक्ति समग्र उत्पादन व प्रति भौतिक पूँजी में वृद्धि आर्थिक संवृद्धि कहलाता है।
  • यदि किसी देश मे पूंजी निर्माण हो रहा है तो वह अर्थव्यवस्था पर आर्थिक संवृद्धि में अनिवार्य रूप से वृद्धि होगी।
  • किसी भी देश के लिए आर्थिक संवृद्धि का सबसे उपयुक्त मापदंड प्रति व्यक्ति वास्तविक आय से मापा जाता है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2006-07 में सर्वाधिक संवृद्धि दर प्राप्त की है।
  • भारत में बचत और पूँजी निर्माण की ऊँची दर होते हुए भी संवृद्धि दर कम होने का मुख्य कारण पूँजी उत्पाद अनुपात का अधिक होना माना जाता है।
  • आर्थिक संवृद्धि तथा आर्थिक विकास क्रमश वस्तुनिष्ठ एवं व्यक्तिनिष्ठ अवधरण है।
  • किसी अर्थव्यवस्था मे होने वाले मात्रात्मक एवं गुणात्मक परिवतनों को आर्थिक विकास कहते है। इसमे सामाजिक मूल्य निहित होते है।
  • आर्थिक विकास के मुख्य संकेतक मानव पूजी में वृद्धि, असमानता मे कमी और अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिर्तन माना जाता है।
  • आर्थिक उदारीकरण की नीति लागू होने के पश्चात् 2006-07 वर्ष आर्थिक विकास दर सर्वाधिक रही।
  • तीसरी पंचवषीस योजना में आर्थिक विकास दर हुआ।
  • 11र्वी पंचवर्षीय योजना में आर्थिक विकास दर सर्वाधिक 7.8ककक रही है।
  • सकल घरेलू उत्पाद में परिवर्तन की दर आर्थिक विकास दर कहलाती है।
  • जीवन की भौतिक गुणवता सूचकांक मॉरिस डी मॉरिस (1976) में प्रतिपादन किया गया था।
  • विश्व बैंक के अनुसार क्रय शक्ति समता के आधार पर चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

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