ब्रिटिश भारत में शिक्षा का विकास || Development of education in British India

ब्रिटिश भारत में शिक्षा का विकास एक जटिल और महत्वपूर्ण प्रक्रिया थी जिसने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला। यहां ब्रिटिश काल के दौरान शिक्षा के विकास के कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

1. प्रारंभिक चरण:

ब्रिटिश शासन के प्रारंभिक चरण में शिक्षा का कोई संगठित प्रयास नहीं था। इस समय, पारंपरिक शिक्षा प्रणाली जैसे गुरुकुल और मदरसे प्रमुख थे।

2. चार्टर एक्ट 1813:

इस एक्ट के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने भारत में शिक्षा के विकास की जिम्मेदारी ली और इसने शिक्षा के लिए एक निश्चित राशि आवंटित की।

3. मैकाले की मिनट (1835):

लॉर्ड मैकाले की मिनट ने अंग्रेजी भाषा के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा दिया। इसके परिणामस्वरूप, अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम और प्रशासन की भाषा बनाया गया। इससे पश्चिमी विज्ञान, साहित्य और दर्शन का प्रसार हुआ।

4. वुड्स डिस्पैच (1854):

चार्ल्स वुड्स के डिस्पैच को भारतीय शिक्षा के लिए “मैग्ना कार्टा” कहा जाता है। इसमें निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया गया:

  • प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षा का विस्तार।
  • महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
  • निजी संस्थानों को अनुदान देना।
  • शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना।

5. विश्वविद्यालयों की स्थापना:

ब्रिटिश काल में कई प्रमुख विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई, जैसे:

  • 1857 में कलकत्ता, बंबई (मुंबई) और मद्रास (चेन्नई) विश्वविद्यालय।
  • 1882 में पंजाब विश्वविद्यालय।
  • 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU)।

6. हंटर कमीशन (1882-83):

महात्मा गांधी ने इस कमीशन के तहत प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। इस कमीशन ने प्राथमिक शिक्षा के प्रसार और महिला शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।

7. भारतीय शिक्षा अधिनियम (1917):

इस अधिनियम के तहत भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार और विस्तार के लिए कई कदम उठाए गए। इसमें भारतीय संस्कृति और इतिहास के अध्ययन को बढ़ावा दिया गया।

8. साडलर कमीशन (1917-19):

इस कमीशन ने माध्यमिक और उच्च शिक्षा के बीच संबंधों की समीक्षा की और कई सुधार सुझाए। इसमें विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।

9. राष्ट्रीय आंदोलन और शिक्षा:

राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की मांग की। गांधीजी ने ‘नई तालीम’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें हाथ और मस्तिष्क के समन्वय पर जोर दिया गया।

10. वर्धा योजना (1937):

महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित इस योजना में प्राइमरी शिक्षा को मातृभाषा में अनिवार्य बनाने और हस्तशिल्प और व्यावसायिक प्रशिक्षण को शिक्षा का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव था।

ब्रिटिश शासनकाल के दौरान शिक्षा में आए इन परिवर्तनों ने आधुनिक भारत की शिक्षा प्रणाली की नींव रखी और भारतीय समाज में जागरूकता और आधुनिक विचारों का प्रसार किया।

ब्रिटिश भारत में शिक्षा का विकास कई महत्वपूर्ण बिंदुओं के माध्यम से हुआ। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया गया है जो भारतीय शिक्षा प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण थे

  • व्यक्तिगत प्रयासों से सर्वप्रथम कलकता में शिक्षा हेतु मदरसा की स्थापना वॉरेग हेस्टिंग्स के द्वारा की गयी।
  • वर्ष 1784 में कलकता में एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना सर विलियम जोंस के द्वारा की गयी।
  • एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल के अधीन सर्वप्रथम भगवद्गीता का अंग्रेजी में अनुवाद चार्ल्स विल्किंस ने किया था तथा कालिदास की प्रसिद्ध रचना अभिज्ञान शाकुंतलम् का पहली बार अंग्रेजी में अनुवाद सर विलियम जोंस द्वारा किया गया था।
  • वाराणसी में प्रथम संस्कृत महाविधालय की स्थापना जोनाथन डंकन ने किया था।
  • वर्ष 1800 मंेे कलकता में असैन्य अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु फोर्ट विलियम कालेज की स्थापना लॉर्ड वेलेजली के द्वारा किया गया था।
  • चार्टर अधिनियम, 1833 के द्वारा भारत में शिक्षा के प्रसार हुतु 1 लाख रूपये खर्च करने का अधिकार गवर्नर जनरल को दिया गया।
  • आंग्ल-प्राच्य विवाद भारत में शिक्षा पद्धति लागू करने के तरीको से जाना जाता है।
  • भारत में शिक्षा प्रसार हेतु आंग्लवादी युरोपीय ज्ञान एवं अंग्रेजी भाषा के समर्थक थे, जबकि प्रच्यवादी, भारतीय पारम्परिक ज्ञान एवं भारतीय भाषाओं के समर्थक थे।
  • शिक्षा के सम्बंध में विख्यात अधोमुखी निस्यंदन सिद्धान्त के प्रवर्तक मैकाले थे।
  • लॉर्ड मैकाले अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से सम्बंधित है।
  • भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली 1835 के मैकाले के स्मरण पत्र से प्रारम्भ हुई।
  • भारत में अंग्रेजी शिक्षा लॉर्ड विलियम बैंटिक के शासन काल से प्रारंभ हुआ।
  • बुड घोषणा पत्र के सुझाव पर कलकता बंम्बई तथा मद्रास में 1857 के समय में विश्वविधालयों की स्थापना की गई।
  • बुड घोषणा पत्र (1854 ई) को भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा जात है।
  • मनुस्मृति वह प्रथम ग्रंथ है जिसका अनुवाद सबसे पहले संस्कृत से अंग्रेजी भाषा में ए कोड ऑफ जेन्टू लॉज के नाम से प्रकाशित हुआ।
  • पेरिस स्थित रॉयल एशियाटिक सोसाइटी की सदस्यता माइकल मधुसूदन दत को प्रदान कि गया था।
  • बम्बई में प्रथम महिला विश्वविद्यालय की स्थापना डी के कर्वे के प्रयासों से हुई।
  • भारतीय विश्वविद्यालय में धार्मिक शिक्षा के लिए मदन मोहन मालवीय ने प्रबल रूप से जोर दिया था।
  • बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का शिलान्यास लॉर्ड हार्डिग के द्वारा किया गया था।
  • भारत में शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिये एनी बेसेंट ने वर्ष 1898 में सेट्रल हिंदू कालेज की स्थापना की, जो वर्ष 1916 मे मदनमोहन मालवीय जी के प्रयासों से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बना।
  • वर्ष 1817 में डेविड हेयर के सहयोग से कलकता में हिन्दू कॉलेज की स्थापना राजाराम मोहन राय के द्वारा की गई।
  • वर्ष 1847 में रूडकी इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में भारत के प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना जेम्स टॉमसन के द्वारा किया गया।
  • शिक्षा से संबंधित रैले आयोग विश्वविद्यालय आयोग के सदस्य दो भारतीय जस्टिस गुरूदास बनर्जी और सैयद हुसैन बिलग्रामी थे।
  • वर्ष 1937 में गांधी जी द्वारा प्रस्तुत वर्धा योजना शिक्षा से सम्बंधित थी।

प्रमुख शिक्षा आयोग

समिति / आयोग वर्ष गवर्नर जनरल / वायसराय
चार्ल्स वुड डिस्पैच 1854 लॉर्ड डलहौजी
हंटर आयोग 1852लॉर्ड रिपन
रैले आयेाग (विश्वविद्यालय आयोग) 1902लॉर्ड कर्जन
सैडलर आयोग 1917 चेम्सफोर्ड
इंचकैप आयोग 1923लॉर्ड रीडिग
हार्टोंग समिति (प्राथमिक शिक्षा)1929लॉर्ड इरविन
लिंडसे आयोग (प्रौढ़ शिक्षा)1929लॉर्ड इरविन
सार्जेट आयोग1944 लॉर्ड बेवेल
राधाकृष्ण आयोग1948 लॉर्ड माउंटबेटन



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