देश में पहली बार आज़ादी के बाद जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह जातिगत जनगणना आगामी मूल जनगणना प्रक्रिया के साथ ही कराई जाएगी।
जाति जनगणना को कैबिनेट की मंजूरी: 2025 || Cabinet Approval For Caste Census: 2025

जाति जनगणना: सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम कदम
📌 क्या है जाति जनगणना ?
➡️ यह प्रक्रिया राष्ट्रीय जनगणना के दौरान नागरिकों की जाति संबंधी जानकारी एकत्र करने की होती है।
➡️ उद्देश्य: सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जनसंख्या आंकड़े और प्रतिनिधित्व को समझना।
➡️ उपयोग: आरक्षण नीतियां, कल्याणकारी योजनाएं और सामाजिक न्याय से जुड़ी रणनीतियां तैयार करने में मदद।
📌 जाति गणना का ऐतिहासिक परिदृश्य:
✅ ब्रिटिश काल (1881–1931): हर दशक में जाति, धर्म और व्यवसाय के आधार पर विस्तृत जनगणना।
✅ स्वतंत्र भारत (1951): SC/ST को छोड़कर जाति गणना बंद, एकता को प्राथमिकता।
🔸 नेहरू सरकार का तर्क: जाति आधारित विभाजन से राष्ट्रीय एकता को नुकसान।
✅ 1961: राज्यों को OBC सर्वेक्षण की अनुमति दी गई। राष्ट्रव्यापी जाति गणना फिर भी नहीं हुई।
✅ मंडल आयोग (1980): जातिगत आरक्षण के लिए डेटा की मांग तेज हुई।
🔸 सिफारिश: OBC को 27% आरक्षण।
✅ SECC 2011: स्वतंत्र भारत की पहली सामाजिक-आर्थिक-जातीय गणना, पर डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया।
✅ राज्य-स्तरीय प्रयास: बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे राज्यों ने अपने स्तर पर जाति सर्वे किए।
📌 जाति गणना क्यों रोकी गई थी?
➤ राष्ट्रीय एकता का लक्ष्य: जातीय पहचान के बजाय समावेशी राष्ट्रीय पहचान पर ज़ोर।
➤ प्रशासनिक जटिलता: जातियों की विविधता और उपजातियों के वर्गीकरण में कठिनाई।
➤ सामाजिक सुधार की सोच: जाति को सामाजिक बाधा मानते हुए इसे कमज़ोर करने की नीति।
📌 जाति जनगणना के संभावित प्रभाव:
✅ नीतिगत सुधार: योजनाएं अधिक प्रभावी व लक्षित हो सकेंगी।
✅ राजनीतिक रणनीति: चुनावी राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।
✅ सामाजिक प्रभाव:
🔸 सकारात्मक: वंचित समुदायों को मुख्यधारा में लाने में मदद।
🔸 नकारात्मक: जातिगत पहचान और विभाजन को बढ़ावा देने की आशंका।
✅ गवर्नेंस सुधार: डेटा आधारित प्रशासन और समावेशी नीति निर्माण को बढ़ावा।
📌 जाति जनगणना अब क्यों जरूरी है?
✅ सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए
✅ प्रभावी आरक्षण नीतियाँ बनाने के लिए
✅ सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को उजागर करने के लिए
✅ समावेशी नीति सुधार करने के लिए
✅ राजनीतिक प्रतिनिधित्व को समझने के लिए
📌 प्रमुख चुनौतियां:
⚠️ जातियों की संख्या और उपजातियों का वर्गीकरण जटिल।
⚠️ सामाजिक तनाव और ध्रुवीकरण का खतरा।
⚠️ पिछली SECC 2011 के आंकड़ों के प्रयोग में पारदर्शिता की कमी।
⚠️ तकनीकी और प्रशासनिक तैयारी की ज़रूरत।
📌 समाधान की दिशा:
🎯 सावधानीपूर्वक योजना, पारदर्शिता और समावेशी दृष्टिकोण के साथ जाति जनगणना को अवसर में बदला जा सकता है।
🎯 इससे डेटा आधारित नीति, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास को बल मिलेगा।
🔆 जाति जनगणना निर्णय: मुख्य बिंदु
✅ डिजिटल मोड और ड्रॉप-डाउन जाति निर्देशिका
🔸 पहली बार जनगणना डिजिटल मोड में एक मोबाइल ऐप के माध्यम से की जाएगी।
🔸 SC/ST कॉलम के बगल में एक नया “अन्य” कॉलम होगा, जिसमें ड्रॉप-डाउन जाति कोड निर्देशिका होगी।
🔸 इसके लिए सॉफ्टवेयर का परीक्षण जारी है।
✅ डायरेक्टरी विकास और परीक्षण
🔸 केंद्र की OBC सूची (2,650 जातियाँ), SC सूची (1,170), और ST सूची (890) को राज्यों की OBC सूचियों के साथ मिलाकर एक विस्तृत कोडबुक तैयार की जा रही है।
🔸 असली गणना से पहले प्री-टेस्ट किया जाएगा ताकि तकनीकी खामियों को दूर किया जा सके।
✅ दशकों बाद बड़ा नीतिगत बदलाव
🔸 1931 के बाद पहली बार, जातिगत आंकड़े शामिल करने की CCPA की मंजूरी ऐतिहासिक मानी जा रही है (SC/ST को छोड़कर अन्य जातियों की गणना पहली बार होगी)।
✅ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
🔸 1951–2011 के बीच की जनगणनाओं में जाति के आंकड़े नहीं लिए गए थे (सिर्फ SC/ST को छोड़कर)।
🔸 अंतिम पूरी जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी; 1941 के आंकड़े प्रकाशित नहीं हुए थे।
✅ अब तक अनुमानों पर निर्भरता
🔸 जातिगत आंकड़ों के अभाव में, मंडल आयोग द्वारा बताई गई OBC की 52% हिस्सेदारी जैसे अनुमान नीति और राजनीति को दिशा देते रहे हैं।
✅ प्रशासनिक और वर्गीकरण की चुनौतियाँ
🔸 एक जैसी जातियों के नाम, परस्पर मिश्रण और प्रवासी समूहों के कारण सटीक वर्गीकरण कठिन हो जाता है।
✅ राज्य स्तरीय असंगत OBC सूचियाँ
🔸 राज्यों की OBC सूचियाँ अलग-अलग हैं, जिनमें उपवर्ग जैसे अति पिछड़ा वर्ग (Most Backward Classes) शामिल हैं, जिससे एकीकृत राष्ट्रीय डेटाबेस बनाना मुश्किल होता है।
✅ शासन और प्रतिनिधित्व पर नई बहस
🔸 यह कदम सामाजिक न्याय, नीति निर्धारण और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में जाति के स्थान को लेकर बहस को फिर से ज़ोर देता है।
✅ अब क्या होगा?
🔸 करीब 30 लाख सरकारी कर्मचारियों को डिजिटल प्रणाली के लिए दोबारा प्रशिक्षित किया जाएगा।
✅ जनगणना दो चरणों में होगी:
🔸 चरण 1: हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग शेड्यूल (31 प्रश्न; 2020 में अधिसूचित)
🔸 चरण 2: जनसंख्या गणना (28 प्रश्न; 2019 में परीक्षण किया गया, अभी अधिसूचना शेष)
✅ महत्त्वपूर्ण उपयोग:
🔸 लोकसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण (Delimitation)
🔸 33% महिलाओं का आरक्षण संसद और विधानसभा में लागू करने के लिए
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