बिहार में, भारतीय वायु सेना की सूर्य किरण टीम ने पटना में मंत्रमुग्ध कर देने वाले एरोबेटिक् प्रदर्शन और शानदार एयर शो से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया सूर्य किरण के जांबाजों ने सबसे पहले IAF के हेलिकॉप्टर से पैराग्लाइडिंग डाइव का प्रदर्शन किया और आसमान में राष्ट्रीय ध्वज थामा। फ्री-फॉल रणनीति ने दर्शको की तालियाँ बटोरी।। 1857 के महान नायक बाबू कुंवर सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए पटना में हुआ सूर्य किरण एयर शो।। Surya Kiran Air Show held in Patna to pay tribute to the hero of 1857, Babu Kunwar Singh
Surya Kiran Air Show held in Patna
पटना में हुआ सूर्य किरण एयर शो
पटना में दो दिवसीय कार्यम शुरू हुआ, जिसमें भारतीय वायुसेना के सूर्य किरण विमानों का शानदार प्रदर्शन और करतब शामिल है। नौ हॉक लड़ाकू विमानों ने भी करतब, और हवाई कलाबाजी का प्रदर्शन किया।
चालीस से अधिक स्कूलों के स्कूली बच्चो सहित कई लोगों ने भी इस ऐतिहासिक अवसर को देखा। यह कायक्रम बाबू कुंअर सिंह के शौर्य दिवस के भोजपूर में 1857 की क्रांति के महान स्वतंत्रता सेनानी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।

बाबू कुंवर सिंह जगदीशपूर के परमार राजपूतों के उज्जैनिया कबीले के परिवार से थे, जो वर्तमान में बिहार के भोजपूर जिले का एक हिस्सा है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान के लिये 23 अप्रैल 1966 को भारत गणराज्य द्वारा उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया। वर्ष 1992 में बिहार सरकार द्वारा वीर कुंवर सिहं विश्वविद्यालय आरा की स्थापना कि गई|
बाबू कुंवर सिंह का परिचय:
बाबू कुंवर सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सेनानी थे। उनका जन्म 1777 ई. में बिहार के आरा (वर्तमान भोजपुर ज़िला) के जगदीशपुर गांव में एक प्रतिष्ठित राजपूत परिवार में हुआ था। वे उज्जैनिया राजपूत वंश से थे और जगदीशपुर के जमींदार भी थे। प्रमुख विशेषताएँ: पूरा नाम: बाबू वीर कुंवर सिंह जन्म: 1777, जगदीशपुर, बिहार मृत्यु: 26 अप्रैल 1858 पिता का नाम: बाबू साहबजादा सिंह क्रांतिकारी योगदान: 1857 की पहली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: 1857 के विद्रोह के समय बाबू कुंवर सिंह की उम्र करीब 80 वर्ष थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की कमान संभाली। वे अपने साहस, रणनीति और युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध हुए। उन्होंने बिहार और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में अंग्रेजी सेना को कई बार पराजित किया। उन्होंने जगदीशपुर से क्रांति की शुरुआत की और अनेक जगहों पर सफल अभियान चलाया। उनका अंतिम युद्ध जगदीशपुर में हुआ जहाँ उन्होंने ब्रिटिश सेना को हराकर विजय पताका फहराई। विशेष तथ्य: उन्होंने घायल अवस्था में भी युद्ध किया और अपनी कटी हुई बाँह स्वयं तलवार से काट दी ताकि जहर शरीर में न फैले। उन्हें “बिहार के शेर” के नाम से भी जाना जाता है। बाबू कुंवर सिंह का जीवन देशभक्ति, साहस और बलिदान की मिसाल है। वे भारतीय इतिहास के अमर सेनानी हैं, जिनका नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है।
