केरल भारत का एक दक्षिणी राज्य है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, और उच्च साक्षरता दर के लिए प्रसिद्ध है। इसे “ईश्वर का अपना देश” (God’s Own Country) भी कहा जाता है। केरल की प्रमुख जानकारी:

- राजधानी: तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम)
- आधिकारिक भाषा: मलयालम
- स्थापना: 1 नवंबर, 1956 को राज्यों के पुनर्गठन के तहत केरल राज्य का गठन हुआ।
- सीमाएँ: इसके पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में पश्चिमी घाट की पहाड़ियाँ हैं। यह राज्य उत्तर में कर्नाटक और पूर्व में तमिलनाडु से घिरा हुआ है।
- आबादी: 3.5 करोड़ से अधिक (2011 की जनगणना के अनुसार)।
- साक्षरता दर: भारत में सबसे अधिक, लगभग 94%।
- प्रमुख शहर: कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, कोझिकोड, कोल्लम।
- पर्यटन स्थल: अल्लेप्पी के बैकवॉटर्स, मुन्नार की पहाड़ियाँ, वायनाड, कोवलम बीच, और सबरीमाला मंदिर।
- त्योहार: ओणम केरल का सबसे प्रमुख त्योहार है। इसके अलावा विशु और क्रिसमस भी यहाँ प्रमुखता से मनाए जाते हैं।
- प्रमुख उद्योग: पर्यटन, मसाले, रबर, कोयर उत्पाद, मत्स्य पालन और नारियल।
- मुख्यमंत्री– पिनाराई विजयन
- गवर्नर – आरिफ मोहम्मद खान
- लोकसभा सीटें – 20
- राज्यसभा सीटें – 09
- विधानसभा सीटें – 140 जिलें – 14
- निर्माण – 01 नवम्बर 1956
केरल से संबंधित वस्तुओं की एक सूची, जिन्हें भौगोलिक संकेत (GI टैग) मिला है:
- पोक्कली चावल (Pokalli Rice) – केरल का खास चावल, जिसे विशिष्ट कृषि पद्धतियों से उगाया जाता है।
- अरानमुला कन्नड़ी (Aranmula Kannadi) – धातु से बना पारंपरिक दर्पण, अरानमुला क्षेत्र में खासतौर पर निर्मित।
- वायनाड जीरकसला चावल (Wayanad Jeerakasala Rice) – वायनाड जिले में उगाया जाने वाला खास चावल।
- वायनाड गांधकसला चावल (Wayanad Gandhakasala Rice) – सुगंधित चावल जो वायनाड में उगाया जाता है।
- मुनार की नीलकुरिंजी फूल (Munnar Neelakurinji Flowers) – यह फूल हर 12 साल में एक बार खिलता है।
- नावारा चावल (Navara Rice) – औषधीय गुणों वाला केरल का पारंपरिक चावल।
- मालाबार पेपर (Malabar Pepper) – विश्व प्रसिद्ध काली मिर्च, जिसे मलाबार क्षेत्र में उगाया जाता है।
- मालाबार लॉन्ग (Malabar Long) – केरल के मालाबार क्षेत्र की लौंग।
- पुथारीकांदन उरु (Puthari Kandam Uru) – पारंपरिक लकड़ी से बनी नाव, जो बेयपोर क्षेत्र की विशेषता है।
- कुट्टीअट्टम (Koodiyattam) – केरल का पारंपरिक शास्त्रीय नाट्य कला।
- तिरूर सुपारी (Tirur Betel Leaf) – केरल के तिरूर क्षेत्र की सुपारी।
- छेत्तीनाड की साड़ी (Chettinad Saree) – हाथ से बुनी साड़ी, जो केरल और तमिलनाडु के सीमांत क्षेत्रों में बनाई जाती है।
- तुलुंबा रबर (Thulumba Rubber) – केरल में उत्पादित गुणवत्ता युक्त रबर।
केरल राज्य का इतिहास समृद्ध और विविध है, जो प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक फैला हुआ है। यहाँ के इतिहास के कुछ प्रमुख चरणों को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
1. प्राचीन काल (वैदिक युग और संगम युग)
- केरल का प्राचीन इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि केरल की भूमि समुद्र से बाहर आई थी और इसे भगवान परशुराम ने बसाया था।
- संगम युग (ईसा पूर्व 300 – ईसा के 300) के दौरान केरल दक्षिण भारत के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से एक था, जहाँ से मसाले, रत्न, और रेशम का व्यापार अरब और यूरोपीय देशों के साथ होता था।
- उस समय यहाँ के प्रमुख साम्राज्य थे चेरा साम्राज्य, जो संगम साहित्य में वर्णित है और प्राचीन तमिल सभ्यता का हिस्सा था।
2. मध्यकाल (राज्य और व्यापारिक शक्तियाँ)
- चेरा साम्राज्य: केरल के चेरा राजवंश ने यहाँ 1st से 12th शताब्दी तक शासन किया। यह राज्य व्यापार के लिए मसालों, विशेष रूप से काली मिर्च के लिए प्रसिद्ध था।
- विदेशी संपर्क: केरल का विदेशी संपर्क 3rd शताब्दी ईसा पूर्व से ही स्थापित हो चुका था। रोमन, चीनी, अरब, और यहूदी व्यापारी यहाँ आते थे। खासकर अरब व्यापारी केरल की काली मिर्च को यूरोप ले जाया करते थे।
- सेंट थॉमस का आगमन: 52 ईस्वी में ईसाई धर्म का प्रसार करने के लिए सेंट थॉमस केरल आए थे। उनके आगमन के साथ केरल में ईसाई धर्म की शुरुआत हुई।
- इस्लाम का आगमन: इस्लाम का केरल में प्रवेश 7वीं शताब्दी में हुआ, जब अरब व्यापारी यहाँ आने लगे। मलिक बिन दीनार को केरल में इस्लाम के प्रसार का श्रेय दिया जाता है।
3. औपनिवेशिक काल (पुर्तगाली, डच और ब्रिटिश शासन)
- पुर्तगाली: 1498 में वास्को डी गामा के कोझिकोड (कालीकट) पहुंचने के बाद, केरल पर पुर्तगालियों का प्रभाव बढ़ने लगा। उन्होंने यहां मसालों के व्यापार पर अधिकार जमाने का प्रयास किया।
- डच: 17वीं शताब्दी में डचों ने पुर्तगालियों को हराकर मालाबार तट पर नियंत्रण कर लिया। लेकिन उनके प्रभाव को भी स्थानीय शासकों ने धीरे-धीरे कमजोर कर दिया।
- ब्रिटिश: 1795 के बाद, केरल के प्रमुख क्षेत्रों पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का नियंत्रण हो गया, और धीरे-धीरे यहाँ ब्रिटिश सत्ता मजबूत हो गई। त्रावणकोर और कोचीन ब्रिटिश संरक्षित राज्य बन गए, जबकि मालाबार सीधे ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया।
4. आधुनिक काल (स्वतंत्रता संग्राम और राज्य पुनर्गठन)
- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान केरल के लोगों ने भी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में केरल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, त्रावणकोर और कोचीन को 1949 में मिलाकर “त्रावणकोर-कोचीन” नामक राज्य का गठन हुआ।
- 1 नवंबर, 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत भाषाई आधार पर केरल राज्य का गठन हुआ। त्रावणकोर-कोचीन और मालाबार को मिलाकर यह राज्य बनाया गया, जिसमें मलयालम बोलने वाले लोग प्रमुख थे।
5. केरल का गठन और विकास
- केरल के गठन के बाद इसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधारों में बहुत प्रगति मिली। विशेष रूप से भूमि सुधार और शिक्षा पर जोर देने से केरल में साक्षरता दर और जीवन स्तर में सुधार हुआ।
- 1960 के दशक में केरल के कम्युनिस्ट सरकार ने कई सामाजिक सुधार लागू किए। इनमें भूमि सुधार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और शिक्षा का विस्तार प्रमुख थे।
- 20वीं शताब्दी के अंत और 21वीं शताब्दी के प्रारंभ में केरल को एक समृद्ध सामाजिक कल्याण राज्य के रूप में देखा जाने लगा, जो उच्च साक्षरता, महिलाओं की सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जाना जाता है।
6. आधुनिक केरल
- आज केरल को भारत में सबसे उच्च साक्षरता दर, समृद्ध स्वास्थ्य सेवाओं और उच्च जीवन स्तर के लिए जाना जाता है।
- केरल के लोग बड़ी संख्या में विदेश, खासकर खाड़ी देशों में काम करते हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।