भारत के प्रमुख स्टैच्यू || Important Statues Of India

भारत में कई प्रमुख मूर्तियाँ और स्मारक हैं जो देश के इतिहास, संस्कृति और विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख मूर्तियों की सूची दी गई है:

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक भव्य स्मारक है, जो भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे। यह विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है। यहाँ इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

  • स्थान: केवड़िया, नर्मदा जिला, गुजरात
  • समर्पित: सरदार वल्लभभाई पटेल को
  • ऊंचाई: 182 मीटर (597 फीट)
  • निर्माण वर्ष: 2018 में उद्घाटन हुआ
  • विवरण: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे और भारत के राज्यों का एकीकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह मूर्ति नर्मदा नदी के तट पर साधु बेट नामक स्थान पर स्थित है।

मुख्य विशेषताएँ:

  1. विशाल आकार: 182 मीटर की ऊंचाई के साथ, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी वर्तमान में विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है। इसकी भव्यता और विशालता इसे एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनाती है।
  2. प्राकृतिक सौंदर्य: यह मूर्ति नर्मदा नदी के पास स्थित है और इसके चारों ओर का क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है, जो इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाता है।
  3. गैलरी और संग्रहालय: मूर्ति के परिसर में एक संग्रहालय और एक प्रदर्शनी हॉल है, जहाँ सरदार पटेल के जीवन और उनके योगदान के बारे में जानकारी दी जाती है। यहाँ एक गैलरी भी है जहाँ से नर्मदा बांध और आसपास के क्षेत्रों का शानदार दृश्य देखा जा सकता है।
  4. शिक्षा और प्रेरणा: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्देश्य न केवल सरदार पटेल के योगदान को सम्मानित करना है, बल्कि यह युवा पीढ़ी को उनके आदर्शों और सिद्धांतों से प्रेरित करना भी है।
  5. पर्यटन और आर्थिक विकास: यह मूर्ति और इसके आसपास के क्षेत्र ने गुजरात के पर्यटन को बढ़ावा दिया है और स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है। यहाँ विभिन्न पर्यटक सुविधाएँ भी विकसित की गई हैं, जैसे जंगल सफारी, बोट राइड, और फूलों की घाटी।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक है और सरदार पटेल के प्रति सम्मान का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है

स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी

स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी एक महत्वपूर्ण स्मारक है जो भारत में समानता और भाईचारे के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया है। यहाँ इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

  • स्थान: हैदराबाद, तेलंगाना
  • समर्पित: संत रामानुजाचार्य को
  • ऊंचाई: 216 फीट (66 मीटर)
  • निर्माण वर्ष: 2019 में उद्घाटन हुआ
  • विवरण: स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी संत रामानुजाचार्य की मूर्ति है, जो 11वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध संत और दार्शनिक थे। उन्होंने भक्ति आंदोलन और समाज में समानता के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया। यह मूर्ति विश्व की सबसे ऊंची बैठी हुई मूर्तियों में से एक है।

स्टैच्यू ऑफ नॉलेज

स्टैच्यू ऑफ नॉलेज एक प्रमुख स्मारक है जो डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को समर्पित है, जिन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया और समाज सुधारक के रूप में उल्लेखनीय योगदान दिया। यहाँ इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

  • स्थान: लातूर, महाराष्ट्र
  • समर्पित: डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को
  • ऊंचाई: 73 फीट
  • निर्माण वर्ष: 2020 में उद्घाटन हुआ
  • विवरण: स्टैच्यू ऑफ नॉलेज डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की मूर्ति है, जो ज्ञान और शिक्षा के प्रतीक के रूप में स्थापित की गई है। यह मूर्ति अंबेडकर की एक आदमकद प्रतिमा है, जिसमें वे एक किताब पकड़े हुए हैं, जो संविधान का प्रतीक है।

यह स्मारक डॉ. अंबेडकर की शिक्षा और समाज सुधार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने अपने जीवन को समाज में समानता, न्याय और बंधुत्व के सिद्धांतों को स्थापित करने के लिए समर्पित किया था।

स्टैच्यू ऑफ प्रोस्पेरिटी

स्टैच्यू ऑफ प्रोस्पेरिटी एक भव्य स्मारक है जो भारत में स्थापित किया गया है। यह स्मारक केम्पेगौड़ा को समर्पित है, जो बेंगलुरु शहर के संस्थापक थे। यहाँ इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

  • स्थान: बेंगलुरु, कर्नाटक
  • समर्पित: नादप्रभु केम्पेगौड़ा को
  • ऊंचाई: 108 फीट
  • निर्माण वर्ष: निर्माण प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है
  • विवरण: स्टैच्यू ऑफ प्रोस्पेरिटी नादप्रभु केम्पेगौड़ा की मूर्ति है, जो 16वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध शासक थे और उन्होंने बेंगलुरु शहर की स्थापना की थी। यह मूर्ति बेंगलुरु के विकास और समृद्धि के प्रतीक के रूप में स्थापित की जा रही है।

केम्पेगौड़ा ने बेंगलुरु को एक प्रमुख व्यापारिक और शैक्षिक केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व के कारण आज बेंगलुरु एक महत्वपूर्ण महानगर और आईटी हब के रूप में जाना जाता है।

स्टैच्यू ऑफ प्रोस्पेरिटी का उद्देश्य केम्पेगौड़ा की विरासत को सम्मानित करना और उनकी उपलब्धियों को उजागर करना है। यह मूर्ति बेंगलुरु के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और शहर की समृद्धि और विकास के प्रतीक के रूप में खड़ी रहेगी।

स्टैच्यू ऑफ पीस

स्टैच्यू ऑफ पीस एक महत्वपूर्ण स्मारक है जो भगवान महावीर को समर्पित है, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। यहाँ इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

  • स्थान: विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश
  • समर्पित: भगवान महावीर को
  • ऊंचाई: 108 फीट
  • निर्माण वर्ष: 2020 में उद्घाटन हुआ
  • विवरण: स्टैच्यू ऑफ पीस भगवान महावीर की मूर्ति है, जो शांति, अहिंसा, और करुणा के प्रतीक के रूप में स्थापित की गई है। भगवान महावीर जैन धर्म के प्रमुख प्रचारक थे और उन्होंने अपने जीवन को सत्य, अहिंसा, और अपरिग्रह के सिद्धांतों को फैलाने में समर्पित किया।

यह मूर्ति एक ध्यान मुद्रा में स्थापित की गई है, जो शांति और ध्यान के महत्व को दर्शाती है। स्टैच्यू ऑफ पीस का उद्देश्य भगवान महावीर के शिक्षाओं को फैलाना और लोगों को शांति, अहिंसा, और करुणा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है

स्टैच्यू ऑफ बिलीफ

स्टैच्यू ऑफ बिलीफ एक महत्वपूर्ण स्मारक है जो भारत के राजसमंद जिले में स्थित है। यह भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

  • स्थान: नाथद्वारा, राजसमंद जिला, राजस्थान
  • समर्पित: भगवान शिव को
  • ऊंचाई: 369 फीट (112.5 मीटर)
  • निर्माण वर्ष: 2022 में उद्घाटन हुआ
  • विवरण: स्टैच्यू ऑफ बिलीफ भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा है, जिसे “विश्वास की मूर्ति” के रूप में जाना जाता है। यह प्रतिमा भगवान शिव की एक ध्यान मुद्रा में स्थापित की गई है और यह विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा है।

मुख्य विशेषताएँ:

  1. विशाल आकार: यह प्रतिमा 369 फीट ऊंची है, जो इसे विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनाती है। इसकी विशालता और भव्यता इसे एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनाती है।
  2. ध्यान मुद्रा: भगवान शिव की यह मूर्ति ध्यान मुद्रा में स्थापित की गई है, जो शांति, ध्यान, और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
  3. पर्यटन और धार्मिक स्थल: यह मूर्ति न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। यह श्रद्धालुओं और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करती है।
  4. वास्तुकला: इस प्रतिमा की वास्तुकला और डिजाइन अत्यंत भव्य और आकर्षक है। इसे आधुनिक इंजीनियरिंग और पारंपरिक कला के संयोजन से निर्मित किया गया है।

स्टैच्यू ऑफ बिलीफ का उद्देश्य भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और आस्था को प्रदर्शित करना और लोगों को शांति और ध्यान के महत्व को समझाने के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना है।

स्टैच्यू ऑफ बिलीफ

स्टैच्यू ऑफ वननेस एक प्रमुख स्मारक है जो आदि शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ का निर्माण मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी की ओर देखने वाली मांधाता पहाड़ियों की चोटी पर किया गया है। 2022 में मध्य प्रदेश राज्य मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित, इस परियोजना को आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (एमपीएसटीडीसी) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया था।

  • स्थान: मांधाता पहाड़ियों की चोटी,मध्य प्रदेश
  • समर्पित: आदि शंकराचार्य
  • ऊंचाई: 108 फीट
  • निर्माण वर्ष: 2022 में उद्घाटन हुआ
  • विवरण: वह आदि शंकर (788-820 ई.पू.) के नाम से जाने जाते हैं और उनका जन्म केरल के कोच्चि के पास कलाडी में हुआ था। उन्होंने 33 वर्ष की आयु में केदार तीर्थ पर समाधि ली। वह शिव के भक्त थे। ऐसा कहा जाता है कि वह एक युवा भिक्षु के रूप में ओंकारेश्वर पहुँचे थे, जहाँ उनकी भेंट अपने गुरु गोविंद भगवद्पाद से हुई थी। वह चार वर्षों तक इस पवित्र शहर में रहे और शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 12 वर्ष की उम्र में ओंकारेश्वर छोड़ दिया और पूरे देश की यात्रा पर निकल पड़े, उन्होनें अद्वैत वेदांत दर्शन की शिक्षाओं का प्रसार किया एवं लोगों तक इसके सिद्धांतों को पहुँचाया।

स्टैच्यू ऑफ वेलोर

09 मार्च, 2024 को पीएम नरेंद्र मोदी ने असम के टेओक के पास होल्लोंगापार में लाचित बरफुकन मैदान विकास परियोजना में लाचित बोरफुकन की 125 फुट ऊँची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ वेलोर का अनावरण किया।

स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी

युएसए के मैरीलैंड शहर में भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की देश के बाहर सबसे ऊँची 19 फुट की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का अनावारण किया गया है।

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