भारत का विभाजन और स्वतंत्रता का इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण और नाटकीय घटनाक्रमों में से एक है। यह घटनाक्रम 20वीं सदी के मध्य में घटित हुआ और इसका प्रभाव आज भी देखा जा सकता है।
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भारत का विभाजन
भारत का विभाजन 1947 में हुआ, जब ब्रिटिश भारत को दो स्वतंत्र डोमिनियनों में विभाजित किया गया: भारत और पाकिस्तान। इस विभाजन का मुख्य कारण धार्मिक और सांप्रदायिक था, जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच मतभेद और संघर्ष प्रमुख भूमिका निभाते थे।
विभाजन के कारण
- सांप्रदायिकता: हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच लंबे समय से चल रहे मतभेद और संघर्ष।
- मुस्लिम लीग की मांग: मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिमों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग की।
- ब्रिटिश नीति: ‘फूट डालो और राज करो’ की ब्रिटिश नीति ने सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ावा दिया।
- द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव: युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य की शक्ति कमजोर हो गई, जिससे उन्होंने भारत से जल्दबाजी में अपना शासन समाप्त करने का निर्णय लिया।
विभाजन का परिणाम
- जनसंख्या का स्थानांतरण: करोड़ों लोग अपने घरों को छोड़कर भारत और पाकिस्तान के नए सीमाओं के अनुसार स्थानांतरित हुए। इसमें भारी हिंसा, हत्या, और दंगे हुए।
- सांप्रदायिक हिंसा: विभाजन के दौरान और बाद में भीषण सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसमें लाखों लोग मारे गए।
- राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता: विभाजन के बाद दोनों देशों में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता बढ़ गई।
भारत की स्वतंत्रता
भारत ने 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। यह स्वतंत्रता एक लंबे और संघर्षमय आंदोलन का परिणाम थी, जिसमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, और अन्य नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
स्वतंत्रता संग्राम
- 1857 का विद्रोह: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला प्रमुख विद्रोह, जिसे सिपाही विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को संगठित और गति प्रदान की।
- गांधीजी का नेतृत्व: महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
- अलग-अलग आंदोलन: विभिन्न आंदोलनों जैसे कि असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन पर दबाव डाला।
स्वतंत्रता का महत्व
- स्वतंत्रता प्राप्ति: भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बना और अपनी संप्रभुता स्थापित की।
- लोकतांत्रिक सरकार: स्वतंत्रता के बाद भारत ने एक लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना की और संविधान को अपनाया।
- विकास और प्रगति: स्वतंत्रता ने भारत को अपनी राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाने का अवसर प्रदान किया।
भारत का विभाजन एवं स्वतंत्रता की कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु –
- 20 फरवरी, 1947 को क्लीमेंट एटली ब्रिटिश प्रधानमंत्री द्वारा जून, 1948 से पहले भारत छोड़ने की घोषणा की गई थी।
- क्लीमंेट एटली ने लॉर्ड वैवेल के स्थान पर लॉर्ड माउंटबेटन को वायसराय नियुक्त किया था।
- माउंटबेटन द्वारा विभाजन के साथ सता हस्तांतरण के लिए 3 जून, 1947 को योजना प्रस्तुत की।
- माउंटबेटन योजना को 3 जून योजना के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत विभाजन के संदर्भ में वर्ष 1947 में नियुक्त सीमा आयोग की अध्यक्षता सिरिल रेडक्लीफ की अध्यक्ष्ता में की गयी।
- कांग्रेस के दिल्ली अधिवेशन में भारत के विभाजन का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया था।
- भारत का विभाजन स्वीकार किये जाने के समय कांग्रेस का अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी थे।
- खान अब्दुल गफफार खान राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता थे, जिसने विभाजन को कभी स्वीकार नहीं किया।
माउंटबेटन योजना के प्रमुख प्रावधान
- पंजाब और बंगाल में हिंदू-मुसलमान बहुसंख्यक जिलों प्रांतीय विधानसभा के सदस्यो की अलग बैठक बुलायी जाए उनके प्रतिनिधियों को यह निश्चय करना था कि प्रांत का विभाजन हो अथवा नहीं।
- विभाजन होने की दशा में दो डोमिनियनों (भारत-पाकिस्तान तथा दो संविधान सभाओं का निर्माण किया जायगा।
- उतर-पश्चिमी सीमांत प्रांत तथा असम के सिलहट जिले मं, जनमत संग्रह द्वारा यह पता लगाया जाएगा कि वे भारत के किस भाग के साथ रहना चाहते है।
- विभाजन के गतिरोध को दूर करने के लिए एक सीमा आयोग का गठन किया जायगा।
- माउंटबेटन ने भारत की आजादी के लिए डिक्री बर्ड प्लान तैयार किया था, जिसे नेहरू ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि यह योजना भारत के बाल्कनीकरण को आमंत्रित करेगी। इसीलिए इस योजना को बाल्कन प्लान भी कहा जाता है।
- ब्रिटिश संसद द्वारा 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के नाम से माउंटबेटन योजना को स्वीकृति प्रदान की गई?
भारतीय स्वतंत्रता अधीनियम 1947 के प्रमुख प्रांवधान
- 15 अगस्त 1947 को भारत को , भारत और पाकिस्तान नामक दो भागों मे बाँट दिया जायगा।
- प्रत्येक अधिराज्य में एक गवर्नर जनरल होगा जिसकी नियुक्ति इंग्लैंड का सम्राट करेगा।
- नए संविधान का निर्माण होन तक दोनों राज्य का प्रशासन भारत शासन अधिनियम, 1935 के अनुसार चलाया जाएगा।
- भारतीय रजवाडों को स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया जा सकता । उन्हें या तो भारत में रहना होगा या पकिस्तान में।
- भारत की स्वतंत्रा के समय कांग्रेस का अध्यक्ष जे बी कृपलानी थे।
- भारत का अतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन था।
- स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ।
- स्वतंत्र भारत के प्रथम एवं अतिम भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोलानाचारी थे ।
- महात्मा गाँधी ने कांग्रेस के प्रमुख नेता थे जो कि स्वतंत्रता दिवस के समारोह में भाग नहीं लिया था।
- 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि में केन्द्रीय असेम्बली में जन-गण-मन तथा इकबाल द्वारा चरित सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा एम एस सुब्बुलक्ष्मी के द्वारा गाया गया था।
- प्रथम बार भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति गवर्नर जनरल के द्वारा की गई थी।
- पाकिस्तान का प्रथम गवर्नर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना थे।
- भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
- भारत की स्वतंत्रा के पश्चात् लोकसभा का प्रथम अध्यक्ष जी वी मावलंकर बनाये गये थे।