भारतीय डाक विभाग ने माता कर्मा (Mata Karma) की स्मृति में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया है, जो एक प्रतिष्ठित संत, समाज सुधारक और भगवान श्रीकृष्ण की अन्नय भक्त थीं। यह डाक टिकट छतीसगढ़ के रायपुर मे एक विशेष समारोह के दौरान उनकी 1009वीं जयंती के उपलक्ष्य में जारी किया गया। मता कर्मा की 1009वीं जयंती पर स्मारक डाक टिकट किया गया जारी || Commemorative postage stamp released on 1009th birth anniversary of Mata Karma
माता कर्मा एक अत्यंत आध्यात्मिक और समाजसेवी महिला थीं, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, समाज सुधार, महिला सशक्तिकरण और धार्मिक सौहार्द को समर्पित किया।
भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अटूट आस्था के चलते माता कर्मा तीर्थ यात्रा पर पुरी पहुँचीं। वहाँ के मंदिर पुजारियों ने उनसे भगवान के लिए खिचड़ी बनाने को स्वीकार किया। यह दिव्य घटना जगन्नाथ मंदिर की परंपरा का हिस्सा बन गई, जो आज भी निभाई जाती है।

माता कर्मा का इतिहास
माता कर्मा एक महान संत, समाजसेवी और भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थीं। उनका जन्म भारतीय समाज में भक्ति, समाज सुधार और धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हुआ था। विशेष रूप से सतनामी समाज में उनका महत्वपूर्ण स्थान है, और वे अपनी निस्वार्थ भक्ति व सेवा भावना के लिए जानी जाती हैं।
भक्ति और आस्था
माता कर्मा भगवान श्रीकृष्ण की परम भक्त थीं। उनका संपूर्ण जीवन कृष्ण भक्ति में समर्पित था। उन्होंने न केवल स्वयं भक्ति मार्ग अपनाया बल्कि अपने अनुयायियों को भी श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा और समर्पण का संदेश दिया।
पुरी यात्रा और खिचड़ी प्रसाद की परंपरा
एक बार माता कर्मा तीर्थ यात्रा के दौरान पुरी के जगन्नाथ मंदिर पहुँचीं। वहाँ के मंदिर पुजारियों ने उनकी भक्ति और निष्ठा को देखते हुए उन्हें भगवान जगन्नाथ के लिए खिचड़ी बनाने की अनुमति दी। माता कर्मा के द्वारा बनाई गई खिचड़ी को भगवान को भोग लगाया गया और यह परंपरा आज भी जगन्नाथ मंदिर में “महाप्रसाद” के रूप में निभाई जाती है।
समाज सुधार और महिला सशक्तिकरण
माता कर्मा ने समाज सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने सामाजिक बुराइयों, भेदभाव और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई। वे महिलाओं की स्वतंत्रता और सशक्तिकरण की समर्थक थीं और उन्होंने समाज में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया।
धार्मिक सौहार्द और योगदान
माता कर्मा का जीवन धार्मिक सौहार्द का प्रतीक था। वे जाति-पाति और ऊँच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को समानता और प्रेम का संदेश देती थीं। उनके उपदेशों ने समाज में भाईचारे और शांति को बढ़ावा दिया।
स्मृति और सम्मान
माता कर्मा की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा उनकी 1009वीं जयंती पर एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया। यह उनके धार्मिक और सामाजिक योगदान को सम्मान देने का प्रतीक है।
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