युनानियों के बाद मध्य एशिया के शकों ने भारत पर आक्रमण किया। उन्होने युनानियों से अधिक भाग पर कब्जा किया। शकों की कुल पाँच शाखाएं थी। उनकी एक शाखा अफगानिस्तान मेंबस गई । भारत में वे मुख्यतः दो शखओं मे विभाजित थे।- प्रथम उत्तरी क्षत्रप कहलाते थे जो तक्षशिला एवं मथुरा में थे और दूसरे पश्चिमी क्षत्रप कहलाते थे जो नासिक एवं उज्जैन में थे। भारत के शक राजा अपने आप को क्षत्रप कहते थे।
तक्षशिला के शक
इसका प्रथम शासक माउस (20 ई. पू. – 22 ई. ) था इस वंश के कुछ अन्य शासक एजेज और एजेलिसेज थे।
मथुरा के शक
ऐसा माना जाता हैकि मथुरा के शक पहले मालवा क्षेत्र में रहते थे। जिन्हें 57 ई. पू में विक्रमादित्य नामक शासक ने पराजित किया जिससे वे भागकर मथुरा आ गए। इन्हीं विक्रमादित्य के नाम पर एक नवीन संवत् विक्रम संवतृ या मालव संवत् (57 ई.) की नीव पडी।
मथुरा का प्रथम शक शासक राजुल या राजउल था। राजुल के बाद उसका पुत्र शोडाल राजा हुआ।।
नासिक के शक
नासिक के क्ष़त्रपों के दो प्रसिद्ध शासक भूमक और नहपान थे वे अपने आप को क्षहरात क्षत्रप कहते थे। इसमें सबसे प्रसिद्ध शक शासक नहपान था।
नहपान ( 119 ई. – 124 ई. ) – इसके राज्य मे कठियावाड़, दक्षिणी गुजरात, पश्चिमी मालवा, उत्तरी कोंकण, पूना आदि शामिल थे । उसने महाराष्ट्र के एक बड़े भू-भाग को सातवाहन राजाओं से छीना था। पेरिप्लस के अनुसार इसकी राजधानी मिन्नगर (भड़ौच और उज्जैन के बीच) थी। सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी ने से पराजित कर मार डाला । जोगलथम्बी से प्राप्त नहपान के बहुसंख्यक सिक्के गौतमीपुत्र शातकर्णी द्वारा पुनः अंकित किए गए। नहपान का दामाद सातवाहन शासक ऋषभदत्त या उषावदत्त था।
मालवा अथवा उज्जैन के शक
इस वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक रूद्रदामन था जबकि पहला स्वतंत्र शासक चष्टन था।
रूद्रदामन (130-150 ई )
यह उज्जयिनी के शकों मे सबसे प्रसिद्ध शक शासक था इसके विषय में जानकारी का प्रमुख स्त्रोत इसका जूनागढ़ अभिलेख 150 ई. है इस अभिलेखस से पता चलता है कि इस समय यहाँ का राज्यपाल सुविशाख था जिसने सुदर्शन झील के बाँध का पुनर्निर्माण करवाया।
रूद्रदामन व्याकरण , राजनीति, संगीत एवं तर्कशास्त्र का पण्डित था । मालवा के शको मे अंतिम शक शासक रूद्रसिंह तृतीय था जिसे गुप्त शासक चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने मारकर पहली बार मालवा क्षेत्र में व्याघ्र शैली में चाँदी के सिक्के चलवाए।
पार्थियाई या पह्लव
पाथियाई मध्य एशिया में ईरान से आये थे। भारत मं पार्थियन साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक मिथ्रेडेट्स प्रथम (171-130 ई. पु. ) था परन्तु इस वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक गोण्डोफर्नीज था।
गोण्डोफर्नीज (20-41 ई.)
राजधानी – तक्षशिला
- गोण्डोफर्नीज के शसन काल का एक एक अभिलेख तख्तेबही (पेशावर जिले में स्थिर ) से प्राप्त हुआ है।
- गोण्डोफर्नीज के काल की सबसे प्रमुख धटना सेंट थॉमस नामक ईसाई द्वारा भारत में ईसाई धर्म का प्रचार करना था। बाद में वह दक्षिण चला गया और तमिलनाडु में मार डाला गया।
- इस प्रकार ईसाई धर्म भारत में पहली शदी ई. में आया।