वे अर्थव्यवस्थाएँ जिनमें पूँजीवादी एवं समाजवादी दोनों अर्थव्यवस्थाओं के तत्व उपस्थित होते है, उन्हें मिश्रित अर्थव्यवस्था कहाँ जाता है। भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था वाला देश है।
पूँजीवादी और समाजवाद दोनों ही अतिवादी दृष्टिकोण हैं एक आर्थिक क्षेत्र मे पूरी और खुली स्वतंत्रता देता है तो दूसरा स्वतंत्रता को पूर्णतया ही नकार देता है। ये दोनों ही अवस्थाएं अर्थव्यवस्था को मिलाकर एक नई प्रणाली विकसित करने का प्रयास किया गया है, इसे ही मिश्रित अर्थव्यवस्था कहते है। इस प्रणाली में पूंजीवादी और समाजवादी दोनों के ही गुणों को अपनाने और उनकी बुराईयों से बचने की कोशिश की गई है। इसलिय इसे सुनहरा मार्ग कहा जाता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं अन्य नेताओं तथा विचारकों ने पूर्ण पूँजीवाद एवं पूर्ण समाजवाद के अतिरिक्त एक अन्य रास्ता निकाला, जिसे मिश्रित अर्थव्यवस्था का नाम दिया गया है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकर से है-
- भूमि का स्वामित निजी तथा सार्वजनिक दोनों क्षे़त्रों में होता है।
- इसमे निजी क्षेत्रों के उद्यमी को स्वतंत्रता होतीं है तथा सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्यमी को कोई स्वतंत्रता नहीं होती।
- निजी क्षेत्र लाभ अर्जन के उद्देश्य से काम करते है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र समाज कल्याण के लिए काम करते है।
- निजी क्षेत्र में कीमत संयत्र सभी समस्याओं का हल करता है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र मे सरकार उत्पादन संबंधी निर्णय लेती है।
- प्रतियोगिता निजी क्षेत्र तक सीमित रहती है।
- उपभोक्ता प्रभुसता होती है।
- व्यावसयिक स्वंतत्रता होती है।
- आय में असमानता होती है।
- सार्वजनिक क्षेत्र में सरकार की पूर्ण भूमिका होती है तथा निजी क्षेत्र मे सीमित भूमिका होती है। निजी क्षेत्र मे कीमत संयत्र मुख्य भूमिका निभाता है तथा यह निर्णय करता है कि क्या, कैसे और किसके लिए उत्पादन करना हैं जबकि सार्वजनिक क्षेत्र में केन्द्रीय नियोजन प्राधिकरण निर्णय करता है कि क्या, कैसे तथा किसके लिए उत्पादन करना है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था के लाभ –
- निजी उत्साह तथा लाभर्जन को पूरा विस्तार प्रदान करती है।
- उद्यमों को स्वंतत्रता तथा कीमत संयत्र को संसाधनों के आवंटन तथा उत्पादन में कुशलता को प्रभावित करने की अनुमति होती है।
- सार्वजनिक क्षेत्र में सामाजिक हित तथा कल्याण उद्देश्य स्वयं के हित तथा निजी लााभ में बदल जाते है।
- निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में उपस्थित प्रतियोगिता से उत्पादकता अधिकतम हो जाती है।
- सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों की उपस्थिति, बाजार एवं नियंत्रित दोनों अवस्थाओं के बीच स्थिति प्रदान करती है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था की हानियाँ
- राष्ट्रीयकरण का भय।
- अकुशलता तथा भ्रष्टाचार।
- आर्थिक शक्तियों का केंद्रीकरण।