वित्त आयोग क्या है? और उसके कार्य क्या हैं?

वित्त आयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित होता है, जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वित्तीय संबंधों को समायोजित करने के लिए है। इसका मुख्य उद्देश्य निरंतर वित्तीय समानता और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करना होता है। वित्त आयोग विभिन्न राज्यों के बीच आधारित वित्तीय और सामाजिक प्राथमिकताओं के आधार पर वित्तीय संरचना को निर्धारित करने में सहायक होता है।

वित्त आयोग की संरचना

वित्त आयोग का ढांचा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के अधीन निर्मित है। यह पांच सदस्यों से मिलकर बना होता है, जिन्हें प्रधानमंत्री द्वारा चुना जाता है। यह सदस्यों के प्रमुख निर्वाचित सदस्य की अध्यक्षता में कार्य करता है। वित्त आयोग की कार्यक्षमता चार साल की होती है और इसके पदाधिकारी इस समय के लिए नियुक्त होते हैं। वित्त आयोग का मुख्य कार्य विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वित्तीय संबंधों को समायोजित करना है।

अध्यक्ष – सार्वजनिक कार्यें का अनुभव रखने वाला व्यक्ति

  • सदस्य – उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यता रखने वाला व्यक्ति
  • सरकार के वित एवं लेखाओं का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति
  • वितीय एवं प्रशासनिक मामलों का अनुभव रखने वाला व्यक्ति
  • आर्थिक मामलों का विशेशज्ञ व्यक्ति

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –

  • भारत के प्रथम वित्त आयोग का गठन वर्ष 1951 में किया गया था, इसके अध्यक्ष के. सी. नियोगी थे।
  • वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों को संसद सदन के समक्ष भारत के राष्ट्रपति रखवाला है।
  • वित्तआयोग का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
  • वित्त आयोग में अध्यक्ष के अतिरिक्त कुल चार अन्य सदस्य होते है।
  • भारत मे केद्र – राज्य के मध्य वितीय सम्बंध वित आयोग की संस्तुति से निर्धारित होता है।
  • वित आयोग का मुख्य कार्य केंद्रीय करो में राज्यों के भाग तथा केंद्र राज्यों के लिए दी जाने वाली वितीय सहायता को निर्धारित करना है।
  • केन्द्र एवं राज्य के मध्य वितीय विवादों के समाधान वित आयोग के द्वारा होता है।
  • केंद्र की समेकित निधि से राज्यों को राज्स्व की सहायता हेतु अनुदान देने वाले सिद्धान्तों की अनुशंसा वित आयोग प्रधिकरण करता है।
  • सामान्य रूप में भारत में प्रति पांच वर्ष बाद वित आयोग की नियुक्ति केंद्रीय अनुदान और संघ के राजस्व मे राज्यों का अंश निर्धारित करने के लिए की जाती है।
  • भारत की संचित निधि में से राज्यो के राजस्व में सहायता अनुदान वित आयोग करता है।
  • 15वें वित्त आयोग के सिफारिशों के अनुसार केन्द्रीय करों के विभाज्य पूल में राज्यों का हिस्सा 41 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • वर्ष 2021-26 के लिए केन्दीय करों के विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी हेतु निर्धारित मानदण्डों में जनसंख्यिकीय प्रदर्शन एव कराधान प्रयास के दो नए मानदण्ड शामिल किए गए है।
  • ऋत्विक रंजनम पाण्डेय को 16 वें वित्त आयोग का सचिव नियुक्त किया गया है।

भारत के वित्त आयोग की सूची-

क्रमांक गठन अध्यक्ष का नाम अनुशंसा वर्षअध्यक्षता में
पहला 1951 के. सी. नियोगी 1952-57के. आयस्कृति अजारीया
दूसरा 1956 के. संथानम 1957- 62के. आयस्कृति अजारीया
तीसरा1960 ए. के. चन्द्रा1962-66के आयस्कृति अजारीया
चौथा1964 डॉ. पीवी राजामन्नार1966-69पी.जे. भगवत
पाँचवा1968महावीर त्यागी1969-74विष्णु सहाय
छठा1972 ब्रह्मानन्द रेड्डी1974-79के. बी. ब्रम्हनंद रेड्डी
सातवाँ1977जे. एम. शेलेट1979-84नीलेश गोकर्ण
आठवाँ1982 वाई. वी. चव्हाण1984-89चेन्नपिल्लै रमन
नौवाँ1987 एन. के. पी. साल्वे1989-95मनमोहन सिंह
दसवाँ1992के. सी. पन्त1995-2000केसरी नाथ त्रिपाठी
ग्यारहवाँ1998प्रो. ए. एम. खुसरो2000-05वेंकिया नायडू
बारहवाँ2002 डॉ सी रंगराजन2005-10द्रौपदी मुर्मू
तेरहवाँ2007 डॉ. विजय केलकर2010-15डॉ. विजय केलकर
चौदहवाँ2013 डॉ. वाई. वी. रेडी2015-20यवाराज सिंग
पन्द्रहवाँ2017एन. के. सिंह2020-21/2021-26निर्धारित अध्यक्षता के तहत।
सोलहवाँ2023अरविंद अनगढ़िया1.04.2026 —5 yearsनिर्धारित अध्यक्षता के तहत।

वित्त आयोग में प्रधानमंत्री की भूमिका:

  1. वित्त आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति: प्रधानमंत्री वित्त आयोग के अध्यक्ष का पद नियुक्त करते हैं।
  2. नीति निर्माण: प्रधानमंत्री वित्त आयोग के माध्यम से विभिन्न वित्तीय नीतियों और योजनाओं का मूल्यांकन और सुझाव देते हैं।
  3. आर्थिक योजनाओं की मंजूरी: वित्त आयोग की वित्तीय योजनाओं और स्वीकृतियों को मंजूरी देना।
  4. वित्तीय समानता: वित्त आयोग के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वित्तीय समानता को सुनिश्चित करना।
  5. आर्थिक प्रगति की मॉनिटरिंग: आयोग के द्वारा लोकसभा और राज्यसभा को आर्थिक प्रगति की रिपोर्ट प्रस्तुत करना।

यह ऊपर उल्लिखित कार्य प्रधानमंत्री की भूमिका कुछ मुख्य कार्य हैं, हालांकि उनकी योजनाएं और प्राथमिकताएं समय के साथ बदल सकती हैं







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